शुरुआत के साथ ही तिमाही नतीजों का मौसम भी शुरू हो रहा है।
एंजेल ब्रोकिंग का अनुमान है कि सेंसेक्स कंपनियों के मुनाफे में दूसरी तिमाही में मिली 5.8% बढ़त के मुकाबले इस बार 11.0% वृद्धि होगी, यानी मुनाफे के लिहाज से हालात बेहतर होंगे। हालाँकि सेंसेक्स कंपनियों की आमदनी में दूसरी तिमाही की 11.7% बढ़त के मुकाबले तीसरी तिमाही में 10.3% बढ़त ही होगी, यानी आमदनी बढऩे की गति कुछ धीमी रहेगी। इसने 2012-13 में सेंसेक्स ईपीएस 7.9% बढ़ कर 1,213 रुपये होने और अगले साल 2013-14 में 14.2% की बेहतर वृद्धि के साथ 1,385 रुपये हो जाने का अनुमान लगाया है। इसने 16 का पीई अनुपात रखते हुए 12 महीनों में सेंसेक्स का लक्ष्य 22,100 माना है। पेश है एंजेल ब्रोकिंग की रिपोर्ट में तीसरी तिमाही के दौरान अलग-अलग क्षेत्रों के प्रदर्शन का पूर्वानुमान।
ऑटो : टाटा मोटर्स के चलते धीमी चाल
कारोबारी साल 2012-13 की तीसरी तिमाही में ऑटोमोबाइल्स क्षेत्र की कंपनियों (टाटा मोटर्स को छोड़ कर) के मुनाफे में साल दर साल 16.4% की दर से शानदार वृद्धि होने की संभावना है। कमजोर स्टैंडअलोन प्रदर्शन और जगुआर लैंड रोवर के मोर्चे पर ऊँचे बेस इफेक्ट की वजह से टाटा मोटर्स के कमजोर नतीजों का प्रभाव ऑटो क्षेत्र के कुल प्रदर्शन पर पडऩे की संभावना है। इस क्षेत्र में मारुति सुजुकी और महिंद्रा एंड महिंद्रा की वृद्धि दर सबसे ज्यादा प्रभावशाली रह सकती है। मारुति सुजुकी में मानेसर की हड़ताल खत्म होने के बाद उत्पादन की मात्रा में तेजी से हुए सुधार और पिछले वर्ष के लो बेस के कारण इसके मुनाफे में खासी बढ़ोतरी दिख सकती है, जबकि मात्रा में वृद्धि और कीमतों में सुधार के कारण महिंद्रा एंड महिंद्रा के मुनाफे में अच्छी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
बैंकिंग : निजी बैंक करेंगे बेहतर प्रदर्शन
कारोबारी साल 2012-13 की तीसरी तिमाही में निजी बैंकों का प्रदर्शन सार्वजनिक क्षेत्र के बैकों से बेहतर रहने की संभावना है। इस तिमाही में निजी क्षेत्र के बड़े बैंकों के मुनाफे में साल दर साल 22.5% की दर से, जबकि छोटे बैंकों के लाभ में 16.1% की दर से वृद्धि होने की उम्मीद है। संपत्तियों की गुणवत्ता के मोर्चे पर अपेक्षाकृत उच्च दबाव के कारण सार्वजनिक बैंकों के मुनाफे में बढ़ोतरी सपाट रह सकती है। सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े बैंकों के मुनाफे में महज 1.5% की दर से बढ़ोतरी होने की संभावना है, जबकि मँझोले सार्वजनिक बैंकों के मुनाफे में वृद्धि दर साल-दर-साल 4.6% तक सिमट सकती है।
सीमेंट : अधिक प्राप्तियों से होगा सुधार
बेहतर रियलाइजेशन यानी प्राप्तियों के कारण सीमेंट क्षेत्र की कंपनियों की आमदनी में साल दर साल 13.8% की दर से सुधार होने की उम्मीद है। लेकिन कच्चे माल, ढुलाई और बिजली की वजह से लागत में वृद्धि के कारण सीमेंट कंपनियों के मार्जिन पर दबाव पड़ेगा, जिसके चलते इनके मुनाफे में साल-दर-तिमाही 8.2% की धीमी दर से बढ़ोतरी हो सकती है।
एफएमसीजी : मिले-जुले नतीजे
एफएमसीजी कंपनियों की ओर से इस तिमाही में मिला-जुला प्रदर्शन किये जाने की संभावना है। एफएमसीजी क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों एचयूएल और आईटीसी (सेंसेक्स की एकमात्र एफएमसीजी कंपनी) के मुनाफे में इस तिमाही में साल-दर-साल 11% की दर से वृद्धि होने की संभावना है।
अमूमन सभी एफएमसीजी कंपनियाँ आमदनी के मोर्चे पर दोहरे अंकों में वृद्धि दर्ज कर सकती हैं। कुल मिला कर एफएमसीजी कंपनियों की आमदनी में 15.8% की दर से शानदार वृद्धि होने की उम्मीद की जा सकती है। हालाँकि मुख्यत: कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण एफएमसीजी कंपनियों के ऑपरेटिंग मार्जिन में साल-दर-साल 1.06% अंक की कमी आ सकती है।
बुनियादी ढाँचा क्षेत्र : आमदनी के मोर्चे पर जारी रहेगी परेशानी
ऊँची ब्याज दरों, महँगाई की वजह से लागत पर पड़ने वाले दबाव और नये ठेके मिलने की रफ्तार में धीमेपन के कारण इस तिमाही में भी बुनियादी ढाँचा (इन्फ्रास्ट्रक्चर) क्षेत्र को चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इस क्षेत्र की कंपनियों का कार्य निष्पादन तीसरी तिमाही में धीमा रहने की संभावना है।
नतीजतन आमदनी के मोर्चे पर इन कंपनियों का प्रदर्शन सामान्य रह सकता है। इस तिमाही में बुनियादी ढाँचा क्षेत्र की कंपनियों के मुनाफे में 14.1% की दर से वृद्धि होने की उम्मीद है। लेकिन यदि एलएंडटी के प्रदर्शन को निकाल दिया जाये तो इस क्षेत्र की बाकी कंपनियों के मुनाफे की औसत वृद्धि दर केवल 1.6% रहने की संभावना है। मजबूत ऑर्डर बुक के कारण आमदनी के मोर्चे पर सुधार होने की वजह से इस तिमाही में एलएंडटी के मुनाफे में साल-दर-साल 21.6% शानदार वृद्धि होने की उम्मीद है।
कैपिटल गुड्स : चुनौतियों का असर
कारोबारी साल 2012-13 की तीसरी तिमाही में कैपिटल गुड्स कंपनियों की आमदनी में औसतन साल-दर-साल 7.4% की सामान्य वृद्धि होने की संभावना है। हालाँकि मुनाफे के मोर्चे पर इन कंपनियों की वृद्धि दर नकारात्मक रहने की संभावना है। मुख्यत: मार्जिन के दबाव की वजह से इस दौरान इन कंपनियों के मुनाफे में साल-दर-साल 1.6% की दर से गिरावट दर्ज की जा सकती है।
आईटी : मिला-जुला तिमाही प्रदर्शन
बीती तिमाही में आईटी कंपनियों का प्रदर्शन मिला-जुला ही रहने की संभावना है। इस दौरान आईटी कंपनियों के औसत मुनाफे में 7.9% की दर से वृद्धि होने की संभावना है। हालाँकि सेंसेक्स में शामिल आईटी कंपनियों के मुनाफे में बढ़ोतरी की दर इससे कुछ कम 5.9% रह सकती है। तिमाही-दर-तिमाही की बात करें तो इन दोनों ही समूहों की आईटी कंपनियों के मुनाफे में गिरावट आने की संभावना है।
रुपये की मजबूती और कामकाजी मात्रा के मोर्चे पर सामान्य बढ़ोतरी (खास तौर पर बड़ी आईटी कंपनियों के लिए) को इस गिरावट की मुख्य वजह माना जा सकता है।
धातु और खनन : टाटा स्टील से तेज होगी मुनाफे की धार
मुख्यत: लो बेस इफेक्ट के कारण टाटा स्टील के मुनाफे में बढ़ोतरी के कारण धातु क्षेत्र की कंपनियों के लाभ में बीती तिमाही के दौरान साल दर साल 14.4% की दर से वृद्धि होने की उम्मीद है। हालाँकि टाटा स्टील को छोड़ कर बात करें तो धातु कंपनियों का मुनाफा इस तिमाही साल दर साल 5.6% की दर से सिकुड़ सकता है। कोल इंडिया का मार्जिन कम होने की वजह से इसका मुनाफा भी अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में घटने की संभावना है। कंपनी का मार्जिन घटने की वजह ऊँची स्टाफ लागत और ई-ऑक्शन से हुई कम प्राप्तियाँ हो सकती हैं।
तेल-गैस : मिले-जुले नतीजों के आसार
तेल-गैस क्षेत्र की कंपनियाँ तीसरी तिमाही में मुनाफे के मोर्चे पर मिला जुला प्रदर्शन कर सकती है। कैर्न इंडिया की बात करें तो उत्पादन की अधिक मात्रा के कारण आमदनी में होने वाली मजबूत वृद्धि की वजह से कंपनी के मुनाफे में साल-दर-साल 52.3% की शानदार बढ़ोतरी दर्ज की जा सकती है।
दवा : मार्जिन घटने की चिंता
मार्जिन में गिरावट (साल-दर-साल 3.14% अंक तक) और आमदनी में धीमी बढ़ोतरी (साल-दर-साल 2%) के कारण दवा कंपनियों के मुनाफे में इस दौरान साल-दर-साल 1.6% की दर से गिरावट दर्ज की जा सकती है। लेकिन यदि हम दिग्गज कंपनियों जैसे रैनबैक्सी और डॉ. रेड्डीज लैब आदि के नकारात्मक प्रदर्शनों को छोड़ दें तो बाकी दवा कंपनियों के मुनाफे में वृद्धि की दर साल-दर-साल 17.3% रह सकती है।
बिजली और दूरसंचार सेवा : खत्म होती नहीं दिख रहीं मुश्किलें
बिजली क्षेत्र की बात करें तो ईंधन की कमी, भूमि अधिग्रहण में देरी और पर्यावरण संबंधी अनुमति सहित विभिन्न समस्याओं का दौर जारी है। दूसरी ओर दूरसंचार सेवा क्षेत्र में एकमुश्त स्पेक्ट्रम शुल्क, स्पेक्ट्रम के नवीनीकरण से संबंधित अदायगी, स्पेक्टम री-फार्मिंग सहित विभिन्न मसलों पर नीतिगत अनिश्चिततायें बरकरार हैं। मुख्य रूप से लो बेस इफेक्ट के कारण बीती तिमाही में बिजली कंपनियों के मुनाफे में साल दर साल 22.7% की दर से वृद्धि होने की उम्मीद है। दूसरी ओर, दूरसंचार सेवा क्षेत्र की कंपनियों के मुनाफे में इस दौरान साल दर साल महज 7.3% की बढ़ोतरी हो सकती है।
(निवेश मंथन, जनवरी 2013)