साल 2012 में भारतीय शेयर बाजार का प्रदर्शन उम्मीदों से कुछ बेहतर ही रहा, लेकिन अनुमानों से विपरीत नहीं।
हमारे सहयोगी समाचार पोर्टल शेयर मंथन ने जनवरी 2012 में बाजार के दिग्गज विशेषज्ञों का जो सर्वेक्षण किया था, उसमें साल के अंत तक सेंसेक्स और निफ्टी में लगभग 17-18% बढ़त हासिल होने का अनुमान सामने आया था, जबकि साल के दौरान सेंसेक्स ने 25.7% की और निफ्टी ने 27.7% की बढ़त हासिल की। जब छह महीने बाद जुलाई 2012 में शेयर मंथन ने अगला सर्वेक्षण किया तो उसमें दिसंबर 2012 के लक्ष्य सेंसेक्स के लिए 17,995 और निफ्टी के लिए 5,484 पर थे। इस तरह जुलाई में बाजार जिन लक्ष्यों की बात सोच रहा था, उससे स्थिति काफी बेहतर नजर आयी। अब साल 2013 की संभावनाओं के बारे में ताजा सर्वेक्षण के नतीजे एक बार फिर सीमित आशावाद के संकेत सामने रखते हैं। आइये देखते हैं सहभागियों की संख्या के लिहाज से भारतीय शेयर बाजार के इस सबसे बड़े सर्वेक्षण के नतीजे।
भारतीय शेयर बाजार को लेकर इस समय दो वैश्विक संगठनों के अनुमान एक तरह से अलग-अलग धाराओं के प्रतिनिधि के रूप में दिख रहे हैं। एक तरफ गोल्डमैन सैक्स ने साल 2013 के अंत में निफ्टी के लिए अपने लक्ष्य को 6,600 से बढ़ा कर 7,000 कर दिया है, तो दूसरी ओर क्रेडिट सुइस ने दिसंबर 2013 में निफ्टी का लक्ष्य 5,600 माना है। एक-बारगी सुनने में ऐसा लगता है मानो गोल्डमैन सैक्स ने काफी ऊँचा लक्ष्य दे दिया है, और क्रेडिट सुइस ने काफी नीचे का। लेकिन क्या वाकई ऐसा है? निफ्टी जनवरी 2013 की शुरुआत में 6,000 के आसपास है और 7,000 का स्तर इससे केवल 17% दूर है। बीते साल ही निफ्टी ने करीब 28% की बढ़त हासिल की है। ऐसे में 17% सालाना बढ़त का लक्ष्य क्या वास्तव में इतना बड़ा और महत्वाकांक्षी लक्ष्य है? दरअसल 7,000 का लक्ष्य ज्यादा बड़ा लगना इस बात का संकेत है कि बाजार में एक अविश्वास कायम है और लोग ज्यादा ऊँचे स्तरों की इच्छा भले रखते हों, लेकिन मानसिक रूप से इसके लिए तैयार नहीं हैं।
दूसरी ओर क्रेडिट सुइस ने 5,600 का जो लक्ष्य दिया है, वह मौजूदा स्तर से कितनी गिरावट की संभावना दिखाता है? महज 6-7% नीचे ही तो है 5,600 का स्तर? क्या कोई शेयर बाजार ऐसा हो सकता है, जिसमें इतनी गिरावट का जोखिम भी न हो? मोटे तौर पर केवल 20% उतार-चढ़ाव का यह दायरा लोगों को ऊपर और नीचे दोनों सिरों पर क्यों चौंका रहा है? आखिर भारतीय बाजार में तो कभी 40%, तो कभी 70% उछाल वाले साल भी आते रहे हैं! दरअसल इसके लिए बीते 5 सालों में निवेशकों को लगी आर्थिक और मानसिक चोटों को जिम्मेदार कहा जा सकता है। इसीलिए बीते साल विश्व के तमाम अन्य बाजारों की तुलना में ज्यादा तेज चलने के बावजूद नये साल की शुरुआत में भारतीय बाजार कुछ छुईमुई-सा लग रहा है।
साल 2013 की संभावनाओं के बारे में शेयर मंथन ने बाजार के शीर्ष विश्लेषकों का जो सर्वेक्षण किया है, उसमें भी एक तरफ तो निफ्टी के लिए 7,000 से 7,500 तक की तेजी के लक्ष्य मिल रहे हैं, दूसरी ओर नीचे 5,000-4,800 तक फिसलने के अंदेशे भी सुनाई दे रहे हैं। दरअसल अगर निफ्टी साल भर में 7,500 तक चढ़ा, तो भी यह एक तरह से 2012 के प्रदर्शन को दोहरायेगा ही, कोई बहुत बड़ी उछाल हासिल नहीं कर लेगा, क्योंकि 6,000 के स्तर 7,500 तक की उछाल दरअसल 25% की बढ़त होगी। वहीं अगर यह फिसल कर 4,800 पर भी चला गया तो मौजूदा स्तर से यह करीब 20% की गिरावट होगी।
खैर, सालाना अनुमानों पर नजर डालने से पहले यह देख लेते हैं कि अगले छह महीने कैसे रहेंगे, यानी जून 2013 में सेंसेक्स और निफ्टी कहाँ हो सकते हैं। जून 2013 के लिए सेंसेक्स का लक्ष्य 20,879 पर आ रहा है, यानी 31 दिसंबर 2012 के बंद स्तर 19,427 की तुलना में यह जून तक करीब 7.5% बढ़त दर्ज कर सकता है। इसी तरह जून 2013 में निफ्टी 6,283 पर होने का अनुमान सामने आया है, यानी 31 दिसंबर 2012 के बंद स्तर 5,905 से 6.4% ऊपर।
कई जानकारों के मुताबिक साल की शुरुआत में, संभवत: पहली तिमाही में ही बाजार इस साल का अपना शिखर बना सकता है। यानी साल के शुरुआती महीनों में एक उछाल हासिल करने के बाद शायद साल के बाकी समय बाजार ठंडा चलता रहे। लेकिन सर्वेक्षण में साल के अंत के जो लक्ष्य मिल रहे हैं, वे कहते हैं कि जून 2013 के आगे भी बाजार के लिए गुंजाइश बाकी रह सकती है। संभव है कि कई विश्लेषकों ने दिसंबर 2013 के अंत तक का जो लक्ष्य बताया है, वह ठीक दिसंबर 2013 में बाजार की स्थिति बताने के बदले इस नजरिये से हो कि वह लक्ष्य साल के दौरान कभी-भी मिल सकता है।
दिसंबर 2013 के जो लक्ष्य मिले हैं, उनके मुताबिक इस साल के दौरान सेंसेक्स 13.2% बढ़त हासिल कर सकता है। सेंसेक्स का दिसंबर 2013 का लक्ष्य 21,985, यानी लगभग 22,000 का है। इसी तरह निफ्टी का लक्ष्य 6,549 का मिल रहा है, यानी साल भर में 10.9% बढ़त की संभावना दिखती है। इस तरह जून तक एक हल्की बढ़त और उसके बाद दिसंबर तक थोड़ी और बढ़त का संभावित ग्राफ बनता है।
जहाँ तक साल के शिखर की बात है, निफ्टी के लिए 7,000 का स्तर अब काफी जानकारों की नजर में है। सर्वेक्षण में 35.3% जानकारों की राय यह है कि 2013 का शिखर 6751-7000 के दायरे में होगा, जबकि 7,000 से ऊपर शिखर बनने का अनुमान 9.8% लोगों का है। करीब एक चौथाई विश्लेषकों ने इस साल निफ्टी का शिखर ठीक 7,000 पर या इसके ऊपर बनने का अनुमान जताया है। हालाँकि अगर सर्वेक्षण का औसत परिणाम देखें तो 2013 में निफ्टी का शिखर 6,682 पर होना चाहिए, जो दिसंबर 2012 के बंद स्तर से 12.9% ऊपर है। दूसरी ओर निफ्टी की तलहटी का औसत अनुमान 5,389 पर है, यानी ज्यादा-से-ज्यादा 8.7% गिरावट की संभावना दिखती है।
शिखर और तलहटी के इन अनुमानों से यह स्पष्ट है कि जानकारों की उम्मीदें आगे बढ़ी हैं। जुलाई 2012 के सर्वेक्षण में 2012 के शिखर का लक्ष्य किसी ने 6,501-7,000 के बीच नहीं रखा था। तब सबसे ज्यादा 40.4% विशेषज्ञ 2012 में निफ्टी का शिखर 5,501-5,750 के बीच बनने की बात कह रहे थे। लेकिन अब जानकार अगले एक साल के दौरान 7,000 और इससे ऊपर के लक्ष्यों की भी बात कर रहे हैं। ताजा सर्वेक्षण में एक तिहाई जानकारों ने 6,751-7,000 के बीच और करीब 10% ने 7,001 के भी ऊपर इस साल का शिखर रहने का अनुमान जताया है।
इसी तरह तलहटी के अनुमान भी पहले से ऊपर खिसक आये हैं। जून में सबसे ज्यादा 42.3% जानकारों ने 4,501-4,750 के बीच तलहटी बनने का अनुमान रखा था। हालाँकि संभव है कि कई जानकारों ने इसके लिए साल 2012 की शुरुआत के निचले स्तरों को ही ध्यान में रखा हो। इसके बाद 28.8% की राय यह थी कि साल 2012 की तलहटी 4,751-5,000 के बीच होगी। खैर, इस बार 18% की राय में साल 2013 की तलहटी 5,751-6000 के बीच ही होगी, यानी मौजूदा स्तर से ज्यादा नीचे जाने का खतरा नहीं होगा। वहीं 24% ने कहा है कि तलहटी 5,501-5,750 के बीच होगी। इसी तरह 24% ने तलहटी 5,251-5,500 के बीच होने का अनुमान रखा है। इस तरह दो तिहाई जानकार मान रहे हैं कि साल 2013 में निफ्टी के लिए 5,500 से ज्यादा नीचे फिसलने की आशंका नहीं होगी।
इस सर्वेक्षण में दो मुख्य धाराएँ दिखती हैं। बाजार में मजबूती देखने वालों को आर्थिक सुधारों की दिशा में सरकार के ताजा कदमों ने आश्वस्त किया है। वे यह भी मान रहे हैं कि अगले लोकसभा चुनाव होने में पर्याप्त समय बाकी है, लिहाजा भारतीय बाजार को ऊपर चढऩे के लिए अभी ठीक-ठाक समय मिल जायेगा। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लगातार खरीदारी भी उन्हें भरोसा दिलाती है। लेकिन कमजोरी के संकेत देखने वालों की मुख्य चिंता राजनीतिक ही है। साथ ही सरकारी घाटे के बारे में सरकारी दावे उन्हें आश्वस्त नहीं कर पा रहे।
इस साल सेंसेक्स को 25,000 तक चढ़ता देखने वाले साइट्रस एडवाइजर्स के संस्थापक संजय सिन्हा कह रहे हैं कि बुनियादी ढाँचे के विकास को नयी गति मिलने की उम्मीद भारतीय बाजार के लिए एक खास सकारात्मक पहलू है। तकनीकी नजरिये से बाजार को देखने वाले एम बी सिंह की नजर में सरकार अब प्रतिबद्ध लग रही है और बाजार का चक्र भी बदल रहा है। लेकिन निवेश सलाहकार अंबरीश बालिगा कह रहे हैं कि अगले चुनाव में किसी को स्पष्ट बहुमत के बिना ऐसी स्थिति आ सकती है, जिसमें राजा से ज्यादा राजा बनाने वाले लोग हो जायें। उन्हें आशंका है कि यह स्थिति 1996-1999 की याद दिलायेगी।
(निवेश मंथन, जनवरी 2013)