आईपीओ बाजार में नयी सरगर्मी दिखने लगी है। लेकिन इस बीच सरकार ने संसद में ऐसी जानकारी सामने रखी है, जो निवेशकों को सावधान करती है।
कॉर्पोरेट कार्य मंत्री सचिन पायलट ने हाल में राज्य सभा को बताया कि पिछले कारोबारी साल के अंत तक आईपीओ ला कर आम निवेशकों से पैसे जुटाने वाली 87 कंपनियाँ अभी ‘लापता’ हैं।
इन कंपनियों का अब कोई अता-पता नहीं लग रहा है। इन्होंने बाजार से पैसे जुटाने के बाद अपने रिटर्न दाखिल करने बंद कर दिये हैं। ऐसी कंपनियाँ अपने पंजीकृत कार्यालय पर मौजूद नहीं हैं और उनके निदेशकों की भी तलाश नहीं हो पा रही है। पायलट ने भरोसा दिलाया कि सरकार और सेबी की ओर से ऐसे मामलों पर नजर रखी जा रही है। इसके लिए एक केंद्रीय निगरानी समिति बनी है।
दरअसल लापता कंपनियों की इस सूची में 238 कंपनियाँ थीं, लेकिन पायलट ने जानकारी दी कि इनमें से 151 कंपनियों का पता लग चुका है। ऐसी 151 कंपनियों में से 32 कंपनियाँ अब लिक्विडेशन यानी काम-काज समाप्त करने के दौर से गुजर रही हैं।
पायलट ने बताया कि लापता कंपनियों और उनके निदेशकों की तलाश में पुलिस की भी मदद ली जा रही है और उनके खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करायी जा रही है।
(निवेश मंथन, दिसबंर 2012)