रीतू तोमर :
दीवाली पर ज्वेलरी कंपनियाँ ब्रांडेड गहनों की बिक्री के लिए लुभावने ऑफर लेकर आ रही हैं।
सोने और चाँदी की बढ़ती कीमतों के बाद भी ब्रांडेड गहने बनाने वाली कंपनियों को आभूषणों की बिक्री प्रभावित होने की कोई संभावना नजर नहीं आती। इसके पीछे खास वजह यह है कि भारत में निवेश के लिए ब्रांडेड गहनों की खरीदारी सबसे ज्यादा की जाती है। इस साल भी तनिष्क, गीतांजलि जेम्स, जिली, तारा ज्वेलर्स और श्रीगणेश ज्वेलर्स जैसी कंपनियाँ सोने के ब्रांडेड गहनों की कई नयी सीरीज लाने की तैयारियों में जुटी हैं।
निरंतर अपनी बिक्री बनाये रखने के लिए अब आभूषण कंपनियाँ दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों में भी प्रवेश कर रही हैं, जिसके चलते उन्हें अपनी बिक्री बढ़ाने में मदद भी मिली है।
क्रिसिल रेटिंग की एक ताजा ज्वेलरी रिटेल रिपोर्ट के अनुसार ब्रांडेड ज्वेलरी कंपनियों को मंदी की स्थिति में दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों में विस्तार करने से अपने मुनाफे को स्थिर बनाये रखने में सफलता मिली है और साथ ही उनकी बिक्री भी बढ़ी है।
एक अनुमान के मुताबिक भारत के शहरी इलाकों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में भी ब्रांडेड गहनों की खरीदारी में इजाफा हुआ है। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के अनुमान के मुताबिक, भारत में सोने के गहनों के 70,000 करोड़ रुपये के घरेलू बाजार में ग्रामीण और कस्बाई बाजारों की हिस्सेदारी 60% है। देश के ग्रामीण बाजारों में ब्रांडेड गहनों की हिस्सेदारी अभी केवल 7% और कुल बिक्री 3,000 करोड़ रुपये की है। लेकिन यह सालाना 25-30% की दर से बढ़ रही है।
वर्ष 2008 में ब्रांडेड गहने बनाने वाली कंपनियों की बिक्री महानगरों में 40% दर्ज की गयी। वित्त वर्ष 2013-14 तक दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों में ब्रांडेड गहनों की खरीदारी 55% तक पहुँचने की उम्मीद है।
वर्ष 2008 में ब्रांडेड ज्वेलरी कंपनियों की बिक्री महानगरों से 40% से 50% थी, लेकिन जिस प्रकार से दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों में ब्रांडेड गहनों की माँग बढ़ी है, उसको देखते हुए वित्त वर्ष 2013-14 में दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों से 55% से अधिक बिक्री मिलने की उम्मीद है। अभी तक इन शहरों से 45% बिक्री इन कंपनियों को मिल रही है। इन शहरों में आय का स्तर बढऩे के साथ प्रचार-प्रसार की वजह से भी बिक्री बढ़ी है, क्योंकि ग्राहकों को ब्रांडेड गहनों की जानकारी मिल रही है।
सरकार ने इस वर्ष मई में बिना ब्रांड के गहनों से एक्साइज ड्यूटी हटाने के साथ-साथ ब्रांडेड गहनों पर भी किसी तरह की एक्साइज ड्यूटी नहीं लगाने का फैसला किया था। गौरतलब है कि सरकार ने वर्तमान बजट में ब्रांडेड और गैर-ब्रांडेड गहनों पर से 2% एक्साइज लगाया था, जिसका देश भर के सर्राफा कारोबारियों ने जम कर विरोध किया था।
बदलते परिवेश को देखते हुए ऑनलाइन शॉपिंग का चलन भी काफी बढ़ा है। इस दीपावली के मौके पर कंपनियों को ब्रांडेड गहनों की बिक्री दोगुनी होने की उम्मीद है। ऑनलाइन शॉपिंग के आँकड़ों का रुझान भी देखें तो जानकार अंदाजा लगा रहे हैं कि पिछले साल की तुलना में ऑनलाइन माध्यम से गहनों की खरीदारी इस दीपावली के समय पिछली बार से करीब दोगुनी खरीदारी हो सकती है।
ऑनलाइन कारोबार में हाल ही में प्रवेश करने वाले एक प्रमुख ज्वेलरी ब्रांड गीतांजलि समूह को त्योहारी मौसम में 40% बिक्री बढऩे की उम्मीद है। दीपावली और धनतेरस में सोने के सिक्कों और सोने समेत तमाम ब्रांडेड गहनों की बिक्री बढऩा स्वाभाविक है। सर्राफा कारोबारियों के मुताबिक सोने में उछाल की संभावना के चलते खरीदार सोने के सिक्कों और छड़ों में निवेश करने को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं।
गहने आम तौर पर महिलाओं को लुभाते हैं, पर अब पुरूषों को भी ब्रांडेड गहने काफी पसंद आने लगे हैं। सॉलिटेयर (नग जडि़त आभूषण) के शौकीन यूबी ग्रुप के अध्यक्ष विजय माल्या पहले से ही इस सूची में शामिल हैं! कंपनियों ने अब पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग रुचि और जरूरतों को ध्यान में रख कर उत्पाद बनाना भी शुरू किया है।
रिसर्च फर्म यूरोमॉनीटर इंटरनेशनल के मुताबिक इस साल अमेरिका को पछाड़ कर भारत तीसरा सबसे बड़ा मेंस लग्जरी ज्वेलरी बाजार बन गया है। मौजूदा रुझान को देखते हुए भारत की इस छलांग पर कतई हैरानी नहीं होनी चाहिए।
यूरोमॉनीटर के अनुमानों के मुताबिक, भारत में पुरुषों के ब्रांडेड गहनों का बाजार 19.44 करोड़ डॉलर यानी 954 करोड़ रुपये का है। अगले साल इसकी वृद्धि 36.4% रहने का अनुमान लगाया गया है। महिलाओं के गहनों के बाजार के मुकाबले ये आँकड़े हल्के भले ही ही लगें, क्योंकि देश के कुल 1.2 लाख करोड़ रुपये के गहनों के बाजार में महिला खरीदारों का ही दबदबा है। पर अब कंपनियाँ ग्राहकों के इस नये वर्ग पर भी काफी ध्यान देने लगी हैं।
(निवेश मंथन, नवंबर 2012)