कुणाल सरावगी , सीईओ, इक्विटी रश :
फिबोनाची संख्याओं का जादू प्राचीन मिस्र की वास्तुकला से लेकर मानव शरीर तक में दिखता है।
इसमें कुछ खास अनुपातों के आधार पर संख्याओं का संबंध निकाला जाता है। शेयर, कमोडिटी या मुद्रा बाजार वगैरह में शानदार कारोबारी मौकों को पहचानने के लिए गणित के इन्हीं अनुपातों के आधार पर प्रमुख शिखरों और तलहटियों का पूर्वानुमान लगाया जाता है। मध्यकालीन ग्रीस में इटली के गणितज्ञ लियोनार्डो ऑफ पीसा ने गणितीय संख्याओं का एक विशेष क्रम पहचाना जिसमें 1, 1, 2, 3, 5, 8, 13, 21, 34, 55, 89 और इसी तरह आगे की संख्याएँ हैं। इनकी खास बात यह है कि 13 के बाद हर अगली संख्या को पिछली संख्या से भाग देने पर 0.618 मिलता है। इन्हीं संख्याओं के आधार पर फिबोनाची स्तरों के रूप में 61.8%, 50 और 38.2% की पहचान की गयी।
तकनीकी विश्लेषक इनके आधार पर अनुमान लगाते हैं कि कोई रुझान किस सीमा तक जा सकता है और किसी रुझान के अंदर कोई सुधार (करेक्शन) किस हद तक आयेगा। वेव थ्योरी या तरंग सिद्धांत के तकनीकी विश्लेषक भी किसी मोनोवेव या करेक्टिव की सीमा का आकलन करते समय फिबोनाची संख्याओं का प्रयोग करते हैं। इंट्राडे या एकदिनी कारोबारी इसे काफी पसंद करते हैं, क्योंकि इसमें खरीदारी और बिकवाली के स्पष्ट स्तर मिलते हैं और घाटा काटने का पहले से तय स्तर भी मिलता है।
चार्ट पर फिबोनाची स्तरों को इस्तेमाल करना बड़ा आसान है। आपको बस इतना करना है कि किसी ठीक पिछली या बड़ी तलहटी (बॉटम) से उसके बाद के शिखर (टॉप) को मिलाती रेखा खींचें। ज्यादातर चार्टिंग सॉफ्टवेयर में इसके लिए फिबोनाची टूल उपलब्ध होता है। यह सॉफ्टवेयर अपने-आप ही तलहटी और शिखर के बीच की दूरी को 38.2%, 50% और 61.8% के अनुपात में बाँट देता है।
यह काम बंद भाव के आधार पर, यानी लाइन चार्ट पर करना चाहिए। काफी लोग शिखर-तलहटी (हाई-लो) के आधार पर भी फिबोनाची रिट्रेसमेंट डालते हैं, लेकिन मेरा मानना है कि बंद भाव के आधार पर ज्यादा सटीक परिणाम मिलते हैं। दरअसल रेखाओं के आधार पर जितने भी तकनीकी विश्लेषण होते हैं, उनको लेकर काफी बहस चलती रहती है और दो खेमे बने हुए हैं। कुछ लोग रुझान रेखाओं (ट्रेंड लाइन) को खींचते समय भी शिखरों (हाई) या तलहटियों (बॉटम) को जोड़ते हैं। लेकिन भारत ऐसा बाजार है, जिसमें काफी ज्यादा फ्रीक ट्रेड होते हैं, लिहाजा शिखर और तलहटी के बिंदुओं को बहुत तवज्जो नहीं दी जा सकती।
चार्ट पर फिबोनाची स्तरों को लगा लेने के बाद सौदे की रणनीति कैसे बनायें? जब भाव किसी फिबोनाची स्तर के नीचे आये और उसके बाद पलट कर वापस उसके ऊपर जाने लगे तो यह खरीदारी करने का संकेत होता है। जैसे किसी रुझान में भाव नीचे आ रहा हो और 38.2% वापसी के नीचे चला जाये, लेकिन 50% को बंद भाव के लिहाज से न तोड़े (भले ही इंट्राडे में नीचे चला जाये), और उसके बाद यह पलट कर फिर से 38.2% के ऊपर चला जाये तो वहाँ खरीदारी की जा सकती है। ऐसे सौदे में घाटा काटने का स्तर (स्टॉप लॉस) ठीक नीचे उस फिबोनाची स्तर (इस उदाहरण में 50%) को रखा जाता है, जो बंद भाव के आधार पर अभी नहीं कटा था।
इसी तरह अगर 50% वापसी का स्तर टूटने के बाद अगर 61.8% वापसी न टूटे और भाव फिर से 50% के ऊपर निकल जाये तो वहाँ खरीदारी की जा सकती है। दूसरी ओर नीचे गिर रहे शेयर में बिकवाली के संकेत पहचानने के लिए ठीक पिछले शिखर से तलहटी को मिला कर फिबोनाची अनुपात देखे जाते हैं।
बहुत-से कारोबारी एकदिनी (इंट्राडे) कारोबार में फिबोनाची का बड़ा अच्छा इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि एकदिनी कारोबार में आपको लक्ष्य और घाटा काटने के एकदम पक्के स्तरों को चुनना होता है। अगर आप एकदिनी कारोबार में फिबोनाची के आधार पर सौदे करना चाहें तो 5 मिनट के चार्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें आपको हर 5 मिनट का बंद स्तर चाहिए। चाहें तो 15 मिनट या 30 मिनट का भी चार्ट देख सकते हैं, लेकिन उसका बंद भाव लें, यानी लाइन चार्ट का इस्तेमाल करें। दूसरी ओर कई विश्लेषक तो पूरे सुपर-साइकल यानी 56 साल के चक्र या फिर नौ साल के चक्र पर भी फिबोनाची का इस्तेमाल करते हैं। यानी किसी भी समयावधि के लिए इसका इस्तेमाल हो सकता है।
जब कोई शेयर अपने रिकॉर्ड ऊपरी या निचले स्तरों पर चल रहा होता है तो उस समय संभावित लक्ष्यों को पहचानने के लिए भी फिबोनाची का प्रयोग होता है। इसके लिए 161.8%, 261.8% और 423.6% के फिबोनाची एक्सटेंशन (विस्तार) के स्तरों को देखा जाता है। निफ्टी के चार्ट पर देखें तो फिबोनाची विस्तार के आधार पर निफ्टी के 2008 और 2010 के शिखरों की सटीक भविष्यवाणी होती है।
फिबोनाची रिट्रेसमेंट को एकदम छोटी चाल पर भी लगाया जा सकता है और काफी बड़ी चाल पर भी। आप चाहें तो किसी रुझान के शुरू होते समय सबसे निचली तलहटी से लेकर उसके एकदम ऊपरी शिखर को जोड़ सकते हैं और उसके बीच बन रहे छोटे-छोटे रुझानों पर भी डाल सकते हैं।
कई बार यह देखने को मिलता है कि आपने एक तो सबसे निचली तलहटी से लेकर सबसे ऊपरी शिखर पर फिबोनाची रिट्रेसमेंट लगाया और उसके बीच के किसी रुझान पर भी फिबोनाची रिट्रेसमेंट लगाया तो दोनों के कई महत्वपूर्ण स्तर आसपास होते हैं। मसलन बड़ी चाल की 38.2% वापसी के पास ही छोटी चाल की 61.8% वापसी निकल आती है। ऐसे स्तरों को हमें ज्यादा महत्वपूर्ण मानना चाहिए। अगर उस स्तर के पास पहले भी समर्थन या बाधा मिली हो तो इसकी और भी पुष्टि हो जाती है। कारोबारियों के लिए फिबोनाची काफी मददगार है। इसे अन्य तकनीकी संकेतकों के साथ मिला कर देखने पर किसी सौदे में उतरने के सटीक समय को और संभावित लक्ष्य को पहचाना जा सकता है।
(निवेश मंथन, जून 2013)