सुशांत शेखर :
वेदांत रिसोर्सेस पीएलसी के चेयरमैन अनिल अग्रवाल बड़ी पहल करने के लिए जाने जाते हैं। स्टरलाइट इंडस्ट्रीज और सेसा गोवा के विलय का ऐलान करके अनिल अग्रवाल ने एक झटके में अपनी होल्डिंग कंपनी वेदांत रिसोर्सेस पीएलसी का 61% कर्ज घटाने का इंतजाम कर लिया। यह विलय शेयरों के लेनदेन के जरिये होगा। विलय के बाद सेसा गोवा का नाम बदल कर सेसा स्टरलाइट हो जायेगा। स्टरलाइट इंडस्ट्रीज के निवेशकों को अपने 5 शेयरों के बदले सेसा स्टरलाइट के 3 शेयर मिलेंगे।
वेदांत समूह कैर्न इंडिया में अपनी पूरी 58.9% हिस्सेदारी भी सेसा स्टरलाइट को सौंप देगा। साथ ही कैर्न सौदे के लिए लिया गया 590 करोड़ ड़ॉलर यानी करीब 29,000 करोड़ रुपये का कर्ज भी नयी कंपनी के खातों में चला जायेगा। सेसा स्टरलाइट की सहायक कंपनियों में कैर्न इंडिया, हिंदुस्तान जिंक, स्कॉर्पियन एंड लिशीन, बाल्को, तलवंडी साबो पावर, वेदांत एल्युमिनियम, वेस्टर्न क्लस्टर लाइबेरिया और ऑस्ट्रेलियन कॉपर माइंस शामिल होंगी।
वेदांत पीएलसी ने केवल जांबिया में कोंकोला कॉपर माइंस को सेसा स्टरलाइट में शामिल नहीं किया है, जिसमें उसकी 79.4% हिस्सेदारी है। सेसा स्टरलाइट में वेदांता पीएलसी की 58.3% हिस्सेदारी होगी। वेदांत पीएलसी की अब केवल 2 कंपनियों में सीधी हिस्सेदारी रहेगी - सेसा स्टरलाइट और कोंकोला कॉपर माइंस में।
वेदांत के मुताबिक भारतीय बाजार में सेसा स्टरलाइट का मूल्यांकन करीब 2000 करोड़ डॉलर यानी करीब 1 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है। मुनाफे के लिहाज से सेसा स्टरलाइट अब रिलायंस इंडस्ट्रीज और ओएनजीसी के बाद तीसरी सबसे बड़ी कंपनी बन जायेगी। बाजार पूँजी (मार्केट कैप) के लिहाज से सेसा स्टरलाइट 15 सबसे बड़ी कंपनियों में शामिल हो जायेगी। वेदांत पीएलसी के मुताबिक प्राकृतिक संसाधनों के क्षेत्र में सेसा स्टरलाइट दुनिया की 7 सबसे बड़ी कंपनियों में से एक होगी। इसके पास तांबा, एल्युमिनियम, जस्ता, चाँदी, बिजली और तेल-गैस से जुड़े कारोबार शामिल होंगे।
वेदांत पीएलसी को फायदा
इस पुनर्गठन का सबसे ज्यादा फायदा वेदांत पीएलसी को होगा। इसका कुल कर्ज 61% यानि घटकर 380 करोड़ डॉलर यानी करीब 18, 620 करोड़ रुपये रह जाएगा। वेदांत ने कैर्न की खरीद के लिए लिया करीब 29,000 करोड़ रुपये का कर्ज भी अपने खातों से हटा लिया है। साथ ही घाटे में चल रही वेदांत एल्युमिनियम का करीब 19,500 करोड़ रुपये का कर्ज भी सेसा स्टरलाइट के खातों में चला जायेगा। घाटे में चल रही माल्को की देनदारियाँ भी अब सेसा स्टरलाइट को ही चुकानी होंगी।
कर्ज में कमी के बाद लंदन स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध वेदांता रिसोर्सेस पीएलसी को नयी कंपनियाँ खरीदने के लिए कर्ज जुटाने में आसानी होगी। माना जा रहा है कि वेदांत रिसोर्सेस की नजर अब सोने की खानें खरीदने पर है। साथ ही वह कोयला खानों को भी भी खरीद सकती है। वेदांत पीएलसी ने उम्मीद जतायी है कि इस पुनर्गठन से कम-से-कम 1,000 करोड़ रुपये की बचत की जा सकेगी।
निवेशकों की चिंता
स्टरलाइट और सेसा गोवा के बीच शेयरों के लेन-देन अनुपात को दोनों कंपनियों के निवेशकों के लिए फायदेमंद बताया जा रहा है। हालाँकि कुछ जानकार मानते हैं कि स्टरलाइट के निवेशकों को इसमें थोड़ा ज्यादा फायदा मिल रहा है। मगर इस पुनर्गठन से सेसा स्टरलाइट के खाते में 36,936 करोड़ रुपये का शुद्ध कर्ज आने से निवेशकों में चिंता है। वेदांत एल्युमिनियम के 2,332 करोड़ रुपये के मूल्यांकन पर भी सवाल उठे हैं। पिछले नौ महीनों में इसे 1,850 करोड़ रुपये के घाटे के चलते मूल्यांकन काफी महँगा बताया जा रहा है। कई अल्पसंख्यक निवेशकों ने इस विलय योजना का विरोध भी शुरू कर दिया है। सेसा स्टरलाइट पर भारी कर्ज की चिंता की प्रतिक्रिया शेयर बाजार में भी साफ तौर पर दिखी। विलय की घोषणा के बाद ठीक अगले कारोबारी दिन सेसा गोवा के शेयर में 10% से ज्यादा की गिरावट आयी और स्टरलाइट का शेयर भी करीब 3% नीचे बंद हुआ।
पुनर्गठन की दूसरी कोशिश
वेदांत रिसोर्सेस पीएलसी ने इसके पहले 2008 में भी पुनर्गठन की कोशिश की थी। उस समय अफ्रीकी कारोबार के मूल्यांकन को लेकर उठे विवाद की वजह से ही इसे अपना फैसला बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडपी) ने इस ताजा योजना पर अमल होने में मुश्किलें आने की आशंका भी जतायी है। एसएंडपी के मुताबिक इस योजना के लिए कई अल्पसंख्यक निवेशकों के साथ-साथ भारत और ब्रिटेन के नियामकों की भी मंजूरी लेनी होगी। हालाँकि कंपनी ने इस साल के अंत तक पुनर्गठन की प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद जतायी है।
(निवेश मंथन, मार्च 2012)