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यह बाजार न तेजी का, न मंदी का

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Category: मार्च 2012

आम तौर पर लोगों को लगता है कि बाजार या तो तेजी में होता है या मंदी में, लेकिन अभी मुझे दोनों में से कोई भी स्थिति नहीं लग रही है। लोग यह सोच कर चलते हैं कि अगर तेजी का बाजार (बुल मार्केट) है तो कोई भी 10 रुपये का शेयर लेकर बैठ जायें और कुछ समय में अपने-आप 20-30 का हो जायेगा। वहीं मंदी वाले बाजार (बीयर मार्केट) में लोग यह सोच कर चलते हैं कि जो भी बिकवाली (शॉर्ट) कर देंगे उसमें फायदा मिल जायेगा, या फिर हाथ में अच्छे-अच्छे जो शेयर हैं उन्हें भी बेच कर एकदम निकल जाना है। मेरा मानना है कि अभी बाजार में थोड़ी नरमी भले ही आ जाये, लेकिन ज्यादा बड़ी गिरावट नहीं होगी।

बाजार के सामने अभी कई बड़ी घटनाएँ आने वाली हैं। विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद 15 मार्च को कर्ज नीति आयेगी। इसके बाद 16 मार्च को बजट आना है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में एलटीआरओ एक बड़ी घटना होगी, जिससे काफी नकदी आने वाली है। तमाम बड़ी घटनाओं से पहले यहाँ लोगों ने मुनाफा निकालने पर जोर दिया। अब यह इन्हीं स्तरों पर 2-3% आगे पीछे चलता रहेगा। लोग किसी एक तरफ अपनी प्रतिबद्धता नहीं जता रहे हैं। संभव है कि ये सभी घटनाएँ बाजार के पक्ष में चली जायें, इसलिए बिकवाली (शॉर्ट) करना काफी उन्हें जोखिम भरा लग रहा है। वहीं लोग आक्रामक ढंग से तेजी की राय भी नहीं बना पा रहे हैं। हालाँकि अभी रुझान सकारात्मक लग रहा है, क्योंकि हाल में लोगों को मुनाफा मिला है और उनका हौसला बढ़ा है। इसलिए लोग ग्लास को आधा खाली देखने के बदले आधा भरा देख कर चल रहे हैं।
अभी मेरी राय यही है कि चुनिंदा शेयरों पर ध्यान दिया जाये। जिन शेयरों की बैलेंस शीट अच्छी हो, भले ही वे थोड़े महँगे लगते हों, वे सब अच्छे चलेंगे। ओएनजीसी के शेयरों का विनिवेश सरकार के लिए काफी सकारात्मक है। भले ही कोई कहे कि 40,000 करोड़ रुपये के विनिवेश का बजट वाला लक्ष्य तो पूरा नहीं हो पायेगा। लेकिन 2-3 महीने पहले की स्थिति से तुलना करें तो यह काफी सकारात्मक बदलाव है, क्योंकि पहले तो कुछ भी आता नहीं लग रहा था। लग रहा था कि सरकार ने ओएनजीसी पर हार मान ली है और इस कारोबारी साल में कुछ नहीं हो पायेगा। महीने भर पहले तक क्रॉस होल्डिंग और डिविडेंड वगैरह से पैसा निकालने की माथापच्ची चल रही थी। तीसरी तिमाही में सरकार ने ऑयल इंडिया, ओएनजीसी से अच्छा डिविडेंड ले भी लिया। जहाँ तक 290 रुपये के न्यूनतम मूल्य की बात है, आखिर संस्थागत निवेशकों को छूट पर शेयर क्यों दिये जायें? अगर वे लंबी अवधि के निवेशक हैं और 5-7 साल तक अपना निवेश रखना चाहते हैं तो उन्हें 10 रुपये की छूट क्यों चाहिए भला!
बनी रहेगी एफआईआई खरीदारी
बाजार में अभी जीडीपी के ताजा आँकड़ों के चलते थोड़ा उत्साह टूटा है और कच्चे तेल की कीमत से भी बाजार कुछ परेशान है। लेकिन अभी बाजार में जो ऊपर की चाल आयी थी, उसका मुख्य कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की खरीदारी रही है। वह खरीदारी अभी जारी है, क्योंकि वैश्विक बाजारों में नकदी की मात्रा काफी है। साथ ही वैश्विक बाजारों में जोखिम की धारणा (रिस्क परसेप्शन) में कमी आयी है और निकट भविष्य इसके बढऩे की आशंका भी नहीं है। लिहाजा बाजार भले ही जीडीपी और तेल पर थोड़ा परेशान है, लेकिन एफआईआई खरीदारी जारी रह सकती है। उनके सामने ऐसा कोई कारण नहीं है कि उनके निवेश का प्रवाह रुक जाये।
जहाँ तक जीडीपी के आँकड़ों की बात है, यह सबको पता था कि धीमापन रहेगा। आँकड़े अनुमान से थोड़े कम भले ही रहे, मगर यह कोई आश्चर्यजनक खबर नहीं थी। मेरा मानना है कि बाजार थोड़ा रुका है, लेकिन इसके बाद ऊपर का ही रुख रहेगा। ऊपर बाजार कहाँ तक जा सकेगा, यह इस बात पर निर्भर है कि बजट कैसा रहेगा। अगर बजट अच्छा आया तो काफी तेजी रह सकती है। वैसे एक सामान्य उम्मीद यही है कि अप्रैल तक निफ्टी 5500 के ऊपर चला जायेगा। इसके बाद संभावना रहेगी कि 5500 का स्तर निफ्टी के लिए एक आधार बन जाये। हालाँकि एक बड़ा जोखिम इस बात का रहेगा कि कहीं ईरान के साथ युद्ध जैसी स्थिति न बन जाये। ऐसा होने पर काफी नकारात्मक स्थिति बन सकती है। उसके बारे में कोई अनुमान लगाना मुश्किल है, लेकिन अभी इसकी संभावना कम लगती है। दूसरी चिंता यह है कि इस साल की दूसरी छमाही में ग्रीस फिर संकट में फंस सकता है और उन्हें फिर से वित्तीय मदद की जरूरत हो सकती है। लेकिन एफआईआई मान कर चल रहे हैं कि ग्रीस के संकट का उभरते बाजारों और खास कर भारत पर कोई बड़ा असर नहीं होगा। लिहाजा एफआईआई खरीदारी ग्रीस संकट की वजह से नहीं रुकेगी।
अब यह स्पष्ट है कि मौद्रिक नीतियों में ढील दे कर और नीतिगत सुधार करके सरकार और आरबीआई को वापस अर्थव्यवस्था को सँभालना पड़ेगा। आरबीआई ने सीआरआर घटा कर मौद्रिक ढील का साफ संकेत दिया भी था। मगर ब्याज दरों में कमी शायद मार्च के बदले अप्रैल में ही होगी। आरबीआई पहले यह देखना चाहेगा कि सरकारी घाटे में कमी के लिए बजट में कैसे कदम उठाये जाते हैं। आरबीआई गवर्नर ने पहले ही संकेत दिया था कि घाटे के बारे में अब सरकार को कदम उठाने होंगे।
(निवेश मंथन, मार्च 2012)

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  • गिरावट में करें 2-3 साल के लिए निवेश
  • ब्रेक्सिट से एफपीआई निवेश पर असर संभव
  • अस्थिरताओं के बीच सकारात्मक रुझान
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  • बीत गया भारतीय बाजार का सबसे बुरा दौर
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  • ब्रेक्सिट का असर दो सालों तक पड़ेगा
  • 2016-17 में सुधार आने के स्पष्ट संकेत
  • चुनिंदा क्षेत्रों में तेजी आने की उम्मीद
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  • ब्रेक्सिट से भारत बनेगा ज्यादा आकर्षक
  • सावधानी से चुनें क्षेत्र और शेयर
  • छोटी अवधि में बाजार धारणा नकारात्मक
  • निफ्टी 8400 के ऊपर जाने पर तेजी
  • ब्रेक्सिट का तत्काल कोई प्रभाव नहीं
  • निफ्टी अभी 8500-7800 के दायरे में
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  • निफ्टी छू सकता है ऐतिहासिक शिखर
  • विकास दर की अच्छी संभावनाओं का लाभ
  • बेहद लंबी अवधि की तेजी का चक्र
  • मुद्रा बाजार की हलचल से चिंता
  • ब्रेक्सिट से भारत को होगा फायदा
  • निफ्टी साल भर में 9,200 के ऊपर
  • घरेलू बाजार आधारित दिग्गजों में करें निवेश
  • गिरावट पर खरीदारी की रणनीति
  • साल भर में 15% बढ़त की उम्मीद
  • भारतीय बाजार का मूल्यांकन ऊँचा
  • सेंसेक्स साल भर में 32,000 की ओर
  • भारतीय बाजार बड़ी तेजी की ओर
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  • ब्रेक्सिट का परोक्ष असर होगा भारत पर
  • 3-4 साल के नजरिये से जमा करें शेयरों को
  • रुपये में कमजोरी का अल्पकालिक असर
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