अगर आप वेतनभोगी कर्मचारी हैं, आपकी कुल सालाना आमदनी पाँच लाख रुपये तक है और इसमें वेतन के अलावा कोई अन्य आमदनी नहीं है, तो आपके लिए आयकर रिटर्न जमा करना अब जरूरी नहीं है।
अगर बैंकों के बचत खातों पर मिला ब्याज 10,000 रुपये से अधिक नहीं है तो भी इस छूट का फायदा मिलेगा, बशर्ते 10,000 रुपये तक की उस ब्याज आय को जोडऩे पर भी कुल सालाना आय पाँच लाख रुपये के अंदर हो और कर्मचारी ने अपने बैंक खाते से मिले ब्याज का ब्योरा अपने नियोक्ता को समय रहते दे दिया हो। इस छूट का फायदा उठाने के लिए जरूरी है कि आपने अपने नियोक्ता को अपना पैन नंबर बताया हो।
लेकिन अगर आपको आयकर की वापसी (रिफंड) लेनी है, तो इसके लिए रिटर्न दाखिल करना होगा। अगर किसी ने कारोबारी साल के बीच में नौकरी बदली और इस तरह साल के दौरान उसके एक से ज्यादा नियोक्ता रहे हैं तो उसे रिटर्न भरना होगा। इसके अलावा, अगर मियादी जमा (एफडी), आवर्ती जमा (रेकरिंग डिपॉजिट), एनएससी, पीपीएफ वगैरह से भी कोई ब्याज आय हो तो उसे दिखाने के लिए रिटर्न भरना जरूरी होगा। हाल ही में वित्त मंत्रालय ने यह घोषणा की है। इस फैसले को इसी कारोबारी साल से लागू कर दिया गया है।
ताजा घोषणा के मुताबिक रिटर्न भरने से यह मुक्ति केवल उन्हीं वेतनभोगी कर्मचारियों को मिलेगी, जिन्हें अपने नियोक्ता से फॉर्म 16 मिला हो। इस फैसले के पीछे सोच यह है कि ऐसे वेतनभोगी कर्मचारियों की आय का पूरा ब्योरा सरकार को फॉम 16 से मिल ही जाता है और टीडीएस के रूप में आय कर की वसूली भी हो चुका होता है। लिहाजा उनसे रिटर्न भरवाना दरअसल एक ही जानकारी को दो बार लेना है। एक अनुमान के मुताबिक 85 लाख वेतनभोगी कर्मचारी ऐसे हैं, जिनकी कुल सालाना आय पाँच लाख रुपये से कम है। लेकिन इनमें से ऐसे कितने लोग होंगे, जिन्होंने एफडी, एनएससी वगैरह किसी भी चीज में पैसा नहीं लगाया होगा, यह अंदाजा लगाना बड़ा कठिन है। आम तौर पर 2-5 लाख रुपये सालाना आय की श्रेणी में आने वाले लोग अपनी कुछ-न-कुछ बचत एफडी वगैरह में जरूर रखते हैं, और ऐसे लोगों के लिए अब भी रिटर्न दाखिल करना जरूरी होगा।
(निवेश मंथन, मार्च 2012)