कारोबारी साल 2010-11 की चौथी तिमाही में विकास दर अनुमान से काफी नीचे रह गयी। बाजार में चौथी तिमाही की विकास दर औसतन 8.2' रहने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन यह केवल 7.8' रही।
साल 2009-10 की चौथी तिमाही में विकास दर 9.4' थी। तीसरी तिमाही की विकास दर को भी संशोधित किया गया है। पहले तीसरी तिमाही में 8.3' विकास दर आँकी गयी थी, लेकिन इसे अब संशोधित करके 8.2' कर दिया गया है। चौथी तिमाही में कृषि क्षेत्र में काफी अच्छा सुधार दिखा है। कृषि विकास दर 1.1' से बढ़ कर 7.5' हो गयी है। लेकिन खनन और उत्पादन जैसे क्षेत्रों की रफ्तार धीमी पड़ी है। पूरे कारोबारी साल 2010-11 के लिए विकास दर 8.5' रही है, जो सीएसओ के 8.6' के पिछले अनुमान से थोड़ा नीचे है। इससे पहले 2009-10 में विकास दर 8' रही थी।
इस बीच अप्रैल 2011 में भारत का औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) 6.3' की दर से बढ़ा। यह दर आधार वर्ष (बेस ईयर) बदलने के बाद की है। अगर पुराने आधार वर्ष के मुताबिक देखें तो अप्रैल में आईआईपी 4.4' बढ़ी, जो जानकारों के अनुमान से कुछ कम ही रही। हालाँकि नये आधार वर्ष से तय किये गये आँकड़ों को जानकार औद्योगिक उत्पादन की ज्यादा बेहतर तस्वीर मान रहे हैं।
थोड़े धीमे विकास के बीच ऊँची महँगाई दर और ऊँची ब्याज दर के इस दौर में बाजार और सरकार का चिंता में पडऩा लाजिमी है।
(निवेश मंथन, जुलाई 2011)