मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज की सहायक कंपनी रिलायंस जियो इन्फोकॉम ने टेलीकॉम बाजार में आते ही धमाका किया। इसने अपने व्यावसायिक कामकाज की शुरुआत के पहले ही महीने - सितंबर 2016 में 1.6 करोड़ ग्राहक जुटा कर एक विश्व रिकॉर्ड बनाने का दावा किया।
जियो देश के टेलीकॉम बाजार में आयी सबसे नयी खिलाड़ी है। कंपनी ने पाँच सितंबर 2016 को व्यावसायिक रूप से अपनी सेवाओं का आरंभ किया था। इससे पहले सेवाओं के परीक्षण काल में इसने लगभग 15 लाख ग्राहक बनाये थे। दिसंबर 2015 में इसने अपनी टेलीकॉम सेवाओं को अपने कर्मचारियों और साझेदारों के लिए खोला था। आगे चल कर इसने रिलायंस इंडस्ट्रीज की ही एक अन्य सहायक कंपनी रिलायंस रिटेल के लाइफ ब्रांड वाले फोन खरीदने वालों के लिए तीन महीनों तक मुफ्त कॉल और डेटा सेवाओं की पेशकश की। इसके बाद कंपनी ने स्मार्टफोन रखने वाले सभी लोगों के लिए एक प्रीव्यू ऑफर रखा। अब प्रीव्यू ऑफर वाले सभी ग्राहकों को वेलकम ऑफर से जोड़ दिया गया है।
अपने वेलकम ऑफर में कंपनी ने साल 2016 के अंत तक मुफ्त कॉल और डेटा सेवाओं की पेशकश कर रखी है। कंपनी ने 5 सितंबर को अपनी व्यावसायिक सेवाओं के आरंभ के समय जो दरें घोषित कीं, उनमें कॉल मुफ्त होने के साथ-साथ डेटा की दरें प्रतिस्पर्धियों की तुलना में 80% तक सस्ती हैं। हालाँकि इसके बाद प्रतिस्पर्धी कंपनियों ने भी दरों में कमी लाने और नयी आकर्षक योजनाएँ पेश करने का सिलसिला बना लिया है और संकेत दे दिया है कि वे मुकाबले में कमजोर नहीं पडऩा चाहतीं।
टेलीकॉम बाजार में जियो का सीधा मुकाबला भारती एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया सेलुलर, बीएसएनएल और एयरसेल जैसी कंपनियों से है। सितंबर 2016 के अंत में इस बाजार की सबसे अग्रणी कंपनी एयरटेल के ग्राहकों की संख्या 25.99 करोड़ थी, जबकि वोडाफोन के पास 20.07 करोड़, आइडिया के लगभग 17.88 करोड़, एयरसेल के लगभग 9.01 करोड़, टेलीनॉर के लगभग 5.29 करोड़ और एमटीएनएल के 35.9 लाख ग्राहक थे।
फिलहाल कम-से-कम सितंबर माह में नये ग्राहकों के आँकड़ों से ऐसा नहीं लगता कि पुरानी कंपनियों पर रिलायंस जियो के आगमन ने बहुत नकारात्मक प्रभाव डाला है। सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के मुताबिक सितंबर में एयरटेल ने 24.3 लाख और आइडिया ने 19.1 लाख नये ग्राहक बनाये हैं, जो बीते छह महीनों में उनका सबसे ऊँचा आँकड़ा ही है। वोडाफोन की रफ्तार कुछ धीमी रही, पर उसने भी सितंबर में 5.2 लाख नये ग्राहक बनाये। हालाँकि टेलीनॉर को 3.67 लाख ग्राहक गँवाने पड़े। हालाँकि जानकार मानते हैं कि मौजूदा कंपनियों की ग्राहक संख्या पर रिलायंस जियो के आने का ज्यादा असर तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर-दिसंबर 2016 के दौरान दिखना चाहिए।
कुल मिला कर सितंबर महीने में जीएसएम मोबाइल ऑपरेटरों ने 49.3 लाख नये ग्राहक बनाये और सितंबर के अंत में इनकी कुल ग्राहक संख्या 78.61 करोड़ पर पहुँच गयी है। इसमें रिलायंस जियो और बीएसएनएल के आँकड़े शामिल नहीं हैं। इससे पहले अगस्त महीने में 20.9 लाख और जुलाई में 20.8 लाख नये ग्राहक ही बने थे। इसलिए सितंबर में ग्राहक संख्या में आयी उछाल को जियो से मुकाबले की तैयारी के लिए एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया और बीएसएनएल वगैरह की ओर से पेश आकर्षक योजनाओं का सकारात्मक असर माना जा सकता है। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि इन 49 लाख नये ग्राहकों में से 42 लाख से अधिक ग्राहक गैर-मेट्रो शहरों में से हैं, जहाँ रिलायंस जियो को अपना विस्तार करने में थोड़ा समय लग सकता है। इसी वजह से जानकार रिलायंस जियो के चलते तीसरी तिमाही में मौजूदा कंपनियों पर असर पडऩे की संभावना मान रहे हैं।
जियो ने 1.6 करोड़ ग्राहक बनाने की घोषणा करते हुए अपने बयान में दावा किया कि उसने यह मुकाम विश्व में किसी भी अन्य टेलीकॉम ऑपरेटर या यहाँ तक कि फेसबुक, व्हाट्सऐप्प या स्काइप जैसे स्टार्टअप आदि से भी कम समय में हासिल किया। जियो का सबसे ज्यादा जोर डेटा पर है, क्योंकि इसका पूरा नेटवर्क 4जी है। इसीलिए रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने इस मौके पर अपने बयान में कहा, "पूरे भारत में रिलायंस जियो के वेलकम ऑफर के प्रति लोगों की जबरदस्त प्रतिक्रिया से हमें बेहद खुशी है। जियो हर भारतीय को डेटा की ताकत देने के लिए बनी है।" गौरतलब है कि मुकेश अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज की 42वीं सालाना आम सभा में कहा था कि उनका लक्ष्य सबसे कम समय में जियो के 10 करोड़ ग्राहक जुटा कर नया विश्व रिकॉर्ड बनाना है।
ग्राहक जुटाने के इस अभियान को तेज गति से चलाने के लिए जियो ने सिम सक्रिय करने के लिए आधार संख्या पर आधारित कागज-रहित प्रक्रिया अपनायी है, जो 3,100 शहरों और कस्बों में चल रही है। कंपनी का कहना है उसकी इस प्रक्रिया में लोग केवल अपनी आधार कार्ड संख्या के माध्यम से मिनटों में सिम कार्ड सक्रिय करा सकते हैं। इसने कहा है कि अगले कुछ हफ्तों में यह पूरे देश में इस प्रक्रिया को चालू कर लेगी।
नये खिलाड़ी की रैगिंग
लेकिन बाजार में इस नये खिलाड़ी का प्रवेश एकदम निर्बाध भी नहीं रहा है। पुराने खिलाडिय़ों से इंटरकनेक्शन को लेकर इसका जम कर विवाद भी हुआ। इस विवाद के बारे में हाल में मुकेश अंबानी ने एक साक्षात्कार में कहा कि यह कुछ ऐसा था जैसे एक छात्र अपनी प्रतिभा के आधार पर किसी प्रतिष्ठित संस्थान में दाखिला ले और उसकी रैगिंग हो।
रिलायंस जियो की मुफ्त कॉल की सुविधा इसके ग्राहकों के लिए एक बड़ा आकर्षण है। लेकिन इसकी सेवाओं के आरंभ के साथ ही इसके तमाम ग्राहक शिकायतें करने लगे कि कॉल लगती ही नहीं है, खास कर किसी दूसरी कंपनी के नेटवर्क पर। इस शिकायत का मर्म है इंटरकनेक्शन विवाद में।
रिलायंस जियो अपनी सेवाओं के आरंभ से ही लगातार आरोप लगाती रही है कि पुरानी कंपनियाँ उसे पर्याप्त मात्रा में इंटरकनेक्शन के बिंदु उपलब्ध नहीं करा रही हैं। इन इंटरकनेक्ट बिंदुओं के माध्यम से ही एक कंपनी के नेटवर्क वाले मोबाइल से शुरू होने वाली कॉल दूसरी कंपनी के नेटवर्क वाले मोबाइल तक पहुँचती है। मगर रिलायंस जियो के आरोप में अन्य कंपनियाँ यही दावा करती रहीं कि उन्होंने पर्याप्त मात्रा में इंटरकनेक्शन बिंदु उपलब्ध कराये हैं या कराने की प्रक्रिया जारी है, जो समयबद्ध ढंग से पूरी होगी।
भारी मात्रा में कॉल न जुडऩे को लेकर रिलायंस जियो की शिकायत पर टेलीकॉम क्षेत्र के नियामक टीआरएआई ने भारती एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया से सफाई भी माँगी, मगर खबरों के मुताबिक इन कंपनियों ने जवाब दिया कि रिलायंस जियो के नेटवर्क पर दी जा रही मुफ्त कॉलों की वजह से नेटवर्क जाम हो रहा है। मुफ्त कॉलों की वजह से लोग ज्यादा लंबी बातें कर रहे हैं, जिससे इंटरकनेक्शन बिंदुओं (जहाँ दो अलग कंपनियों के नेटवर्क जुड़ते हैं) पर ट्रैफिक बढ़ा हुआ है।
यही नहीं, इन कंपनियों ने इस विवाद का इ्स्तेमाल मौजूदा नियमों के तहत निर्धारित 14 पैसे प्रति मिनट के टर्मिनेशन चार्ज को कम बताने के लिए भी किया है। जब एक कंपनी नेटवर्क से दूसरी कंपनी के नेटवर्क पर कॉल जाती है, तो दूसरी कंपनी को यह टर्मिनेशन चार्ज मिलता है।
टीआरएआई ने इस विवाद में रिलायंस की शिकायत को सही मानते हुए एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया पर 3,050 करोड़ रुपये का भारी जुर्माना लगाने की सिफारिश दूरसंचार विभाग (डीओटी) को भेज दी है। एयरटेल और वोडाफोन दोनों पर 1050 करोड़ रुपये और आइडिया पर 950 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने के लिए कहा गया है। जुर्माने की यह रकम दरअसल प्रति सर्किल लग सकने वाले अधिकतम 50 करोड़ रुपये के जुर्माने के हिसाब से है। अब इस पर अंतिम फैसला दूरसंचार विभाग को करना है। टीआरएआई के मुताबिक रिलायंस जियो के साथ इंटरकनेक्ट बिंदुओं पर कॉल विफलता की ऊँची दर को देखते हुए उसने पाया है कि इन तीनों कंपनियों ने लाइसेंस के नियमों और सेवा गुणवत्ता के मानकों का पालन नहीं किया।
ऐसा जान पड़ता है कि दोनों ही खेमे धारणा बनाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। पुराने खिलाड़ी यह धारणा बनाना चाहते हैं कि उन्होंने अपनी ओर से कोई कोताही नहीं बरती है और रिलायंस जियो अपने नेटवर्क की कमियों के चलते कॉल न लगने की तोहमत उनके ऊपर डालना चाहती है। वहीं रिलायंस जियो यह धारणा बनाना चाहती है कि पुराने खिलाड़ी उसके प्रवेश की राह में बाधा डालने की नीयत से जानबूझ कर कम इंटरकनेक्शन बिंदु उपलब्ध करा रहे हैं, ताकि जियो के ग्राहक कॉल विफलताओं से परेशान हों और यह बात फैलने से उसके संभावित ग्राहक भी हिचकें।
बहरहाल, ताजा स्थिति यह है कि एयरटेल ने जियो को 17,000 से अधिक इंटरकनेक्शन बिंदु (पीओआई) उपलब्ध करा देने की जानकारी दी है। इस पर जियो ने बयान जारी किया है कि वह एयरटेल की ओर से 7,007 अतिरिक्त पीओआई उपलब्ध कराने का स्वागत करती है, पर साथ में जोड़ा है कि संचार मंत्री और टीआरएआई चेयरमैन की एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया और रिलायंस जियो के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ बैठकों के बाद ही एयरटेल ने उसे अतिरिक्त पीओआई उपलब्ध कराये।
मगर जहाँ एयरटेल ने दावा किया है कि उसकी ओर से उपलब्ध कराये गये पीओआई 7.5 करोड़ ग्राहकों को सेवाएँ देने के लिए पर्याप्त हैं, जबकि अभी 2.5 करोड़ ग्राहक जियो के नेटवर्क से एयरटेल के नेटवर्क पर कॉल कर रहे हैं। यानी एयरटेल की मानें तो अब जियो और एयरटेल के बीच कॉल न लगने की दिक्कत नहीं आनी चाहिए। मगर रिलायंस जियो ने उम्मीद जतायी है कि एयरटेल भविष्य में गुणवत्ता मानकों के मुताबिक पीओआई उपलब्ध कराना जारी रखेगी, यानी संभव है कि जियो की ओर से नयी शिकायत फिर से आ जाये!
सच तो यही है कि देर-सबेर इन कंपनियों को इंटरकनेक्शन विवाद का हल निकालना पड़ेगा और रिलायंस जियो भी अनंत काल तक कॉल पूरी न होने के लिए दूसरी कंपनियों पर आरोप लगा कर अपने ग्राहकों को संतुष्ट नहीं रख सकेगी। अंत में ग्राहक तो उसी के साथ जायेगा, जिसकी सेवाएँ अच्छी और सस्ती होंगी। फिलहाल, यह जरूर लगता है कि इस शुरुआती विवाद ने पुरानी कंपनियों के बहुत सारे ग्राहकों को किनारे पर खड़ा कर रखा है, जो इंतजार कर रहे हैं कि कॉल न लगने वाली शिकायत दूर होती है या नहीं। काफी लोग रिलायंस जियो का नेटवर्क स्थिर होने के साथ-साथ यह देखने का भी इंतजार कर रहे हैं कि अन्य कंपनियाँ किस-किस तरह की योजनाएँ पेश करती हैं और जियो का शुरुआती वेलकम ऑफर पूरा होने के बाद रिलायंस जियो और अन्य कंपनियों के बीच दरों का अंतर कितना रहता है।
परीक्षण अवधि के दौरान जिन ग्राहकों को जियो ने अपनी सेवाएँ उपलब्ध करायी थीं, वे इस पर डेटा की तेज रफ्तार से खुश थे। मगर अब ग्राहकों की अच्छी-खासी संख्या हो जाने के बाद इसके काफी ग्राहक गति कम हो जाने की शिकायतें भी करने लगे हैं। मोबाइल नेटवर्कों पर 4जी और 3जी डेटा की गति की तुलना करने के लिए टीआरएआई की ओर से शुरू किये गये पोर्टल पर जियो 4जी की गति अन्य प्रमुख नेटवर्कों की तुलना में लगभग आधी दिखने लगी है। जब निवेश मंथन ने इस पोर्टल पर तुलना की तो जियो 4जी की 6.02 एमबीपीएस की गति के मुकाबले एयरटेल की 11.47 एमबीपीएस और आइडिया की 7.65 एमबीपीएस गति दिखी। जब तक रिलायंस मुफ्त डेटा दे रही है, तब तक ग्राहक उसकी तुलनात्मक रूप से धीमी गति पर शिकायत नहीं करेंगे। कहते हैं ना कि मुफ्त की बछिया के दाँत नहीं गिने जाते। लेकिन जब जियो उनसे पैसे लेना चाहेगी तो ग्राहक दर के साथ-साथ गति पर भी ध्यान देंगे।
कब तक रहेगी मुफ्त कॉल
टीआरएआई ने जियो को सेवा के आरंभ में पेश स्वागत पेशकश (वेलकम ऑफर) को 90 दिनों तक सीमित रखते हुए 3 दिसंबर के बाद इसे बंद करने का आदेश दिया है। अक्टूबर के तीसरे हफ्ते में अचानक खबरें आयीं कि टीआरएआई ने जियो के वेलकम ऑफर को केवल 3 दिसंबर तक ही वैध बताया है, जबकि जियो ने 31 दिसंबर तक पूरी तरह मुफ्त कॉल और डेटा देने की घोषणा कर रखी है। इससे जियो के ग्राहकों में असमंजस फैल गया। हालाँकि फौरन ही कंपनी का स्पष्टीकरण भी आ गया। कंपनी और टीआरएआई की ओर से मिली जानकारियों से यह स्पष्ट हुआ कि कंपनी इस स्वागत पेशकश के तहत 3 दिसंबर तक ही ग्राहक बना सकेगी, लेकिन जो ग्राहक बन जायेंगे उन्हें 31 दिसंबर तक मुफ्त कॉल और डेटा के फायदे मिलते रहेंगे।
जो लोग 3 दिसंबर 2016 के बाद जियो के ग्राहक बनेंगे, उनके लिए कंपनी ने कहा है कि वह नयी पेशकशें और टैरिफ प्लान लाती रहेगी। कंपनी के एक अधिकारी ने निवेश मंथन से बातचीत में कहा कि आगे किस तरह की दरें लागू होंगी, यह इस बात से तय होगा कि इंटरकनेक्शन का मुद्दा किस हद तक सुलझ जाता है। इस अधिकारी का कहना था कि एयरटेल से जितने पीओआई माँगे गये थे, उनमें से आधे ही मिले हैं और दूसरी कंपनियों ने तो उतना भी नहीं किया है। मगर जियो ने बीएसएनएल से जितने पीओआई माँगे थे, उनका लगभग 90% मिल चुका है।
25 खरब रुपये का ‘दाँव’
मुकेश अंबानी रिलायंस जियो में हुए निवेश को दाँव कहा जाना पसंद नहीं करते। वे तुरंत प्रतिवाद करते हैं कि यह दाँव नहीं, बल्कि अच्छी तरह सोचा-समझा, अच्छी तरह अमल किया हुआ, अच्छी तरह बनाया हुआ परितंत्र है। इस पर होने वाले निवेश की राशि लगातार फैलती रही है। इस सेवा के औपचारिक आरंभ के मौके पर ही मुकेश अंबानी ने निवेश की राशि 15 खरब रुपये बतायी थी, मगर सबसे हाल के साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि उनका समूह रिलायंस जियो पर 25 खरब रुपये का निवेश कर चुका है। उनका मानना है कि अगले कुछ वर्षों में रिलायंस के उपभोक्ता केंद्रित व्यवसाय (डिजिटल सेवाएँ, मीडिया एवं मनोरंजन और खुदरा या रिटेल) इसके ऊर्जा कारोबार जितने ही बड़े हो जायेंगे।
पर रिलायंस का शेयर ठंडा
कहते हैं कि युद्ध में कोई नहीं जीतता है। लेकिन जब कॉर्पोरेट युद्ध छिड़ता है तो ग्राहक जरूर जीतते हैं। ऐसा होते हुए हमने तब भी देखा था जब रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अपनी सहायक कंपनी रिलायंस इन्फोकॉम के जरिये सीडीएमए मोबाइल सेवाएँ शुरू करके टेलीकॉम बाजार में पहली बार कदम रखा था। जब यूपीए सरकार ने टेलीकॉम लाइसेंसों और स्पेक्ट्रम की बंदरबाँट करके टेलीकॉम घोटाला किया था, तब भी नये खिलाडिय़ों के बाजार में आने से बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा के कारण कॉल दरें काफी घट गयी थीं। अब, रिलायंस इंडस्ट्रीज के टेलीकॉम बाजार में दूसरी बार प्रवेश ने फिर से ऐसी स्थितियाँ पैदा कर दी हैं, जिनमें फिलहाल सबसे फायदे में तो मोबाइल सेवाओं के ग्राहक ही दिख रहे हैं।
रिलायंस जियो ने अपनी सेवाओं की औपचारिक शुरुआत के महीने भर में ही 1.6 करोड़ ग्राहक जुटा कर एक विश्व रिकॉर्ड बनाने का दावा जरूर किया, मगर इस कामयाब शुरुआत ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर पर सकारात्मक असर नहीं डाला है। रिलायंस जियो की व्यावसायिक शुरुआत के समय एक सितंबर को रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर भाव 1029 रुपये पर बंद हुआ था। वहाँ से बढ़ते हुए 26 सितंबर को यह 1129 रुपये तक चढ़ा था, मगर उसके बाद इसकी बढ़त थम गयी और नवंबर के पहले हफ्ते में यह 1,000 रुपये के पास आ गया है।
यानी देशव्यापी स्तर पर रिलायंस जियो की शानदार शुरुआत का उत्साह रिलायंस के शेयर भाव में नहीं झलक पाया है और यह अब भी एक दायरे में ही अटका है। पिछले महीने भर से इसका दायरा लगभग 1000 से 1130 रुपये तक का है। पिछले तीन महीनों के दौरान यह नीचे बार-बार 1000 के पास सहारा लेता रहा है, मगर 1100 ऊपर टिक पाना इसके लिए मुश्किल होता रहा है। मई 2014 में इसने 1142 रुपये का जो शिखर बनाया था, उसे यह रिलायंस जियो की सफल शुरुआत के बाद भी पार नहीं कर सका। यानी मोबाइल ग्राहकों में जियो को लेकर भले ही जो भी उत्साह हो, मगर शेयर बाजार अभी मुनाफेदारी के मोर्चे पर जियो का कमाल देखने का इंतजार कर रहा है।
(निवेश मंथन, नवंबर 2016)