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त्योहारी माँग से बढ़ सकती है सोने की चमक

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Category: अक्तूबर 2013

डी. आलोक :

अंतरराष्ट्रीय बाजार में पीली धातु की कीमतें तीन महीने के निचले स्तरों के आसपास हैं और विशेषज्ञ छोटी अवधि में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमजोरी का रुख जारी रहने की संभावना जता रहे हैं। इ

तना जरूर है कि यह गिरावट अप्रैल 2013 जितनी तीखी होने की संभावना फिलहाल नहीं दिख रही है।
जानकारों का मानना है कि सुरक्षित निवेश या सेफ हैवेन के रूप में सोने की जो पहचान निवेशकों के मन में सालों से थी, वह अब धुंधली पडऩे लगी है। एंजेल ब्रोकिंग के एसोसिएट डायरेक्टर (कमोडिटी और करेंसी) नवीन माथुर कहते हैं, ‘अमेरिका में मौजूदा संकट के बावजूद अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में गिरावट का रुख तो फिलहाल यही बताता है कि सेफ हैवेन के तौर पर इसका आकर्षण घटा है।’ यही नहीं, हाल में अगर कभी डॉलर कमजोर हुआ है तो भी सोने को इसका कोई फायदा नहीं हुआ है। जानकारों का यह भी मानना है कि अमेरिका में सरकारी कर्ज-सीमा (डेट सीलिंग) से संबंधित चिंताओं में कमी आने से इसकी कीमतों में और गिरावट आ सकती है।
गोल्ड ईटीएफ जैसे बड़े निवेशक अपनी ईटीएफ होल्डिंग में भी कमी के लिए बिकवाली कर रहे हैं। दुनिया के सबसे बड़े गोल्ड ईटीएफ गोल्ड शेयर का भंडार अब घट कर महज 890 टन रह गया है, जो फरवरी 2009 के बाद का सबसे निचला स्तर है।
तकनीकी विश्लेषण के लिहाज से भी सोने में मंदी का रुझान दिख रहा है। इस समय यह 1300 डॉलर प्रति औंस के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे चल रहा है। तकनीकी विश्लेषक फिलहाल इसके लिए 1300 डॉलर प्रति औंस के आसपास ही एक कड़ा प्रतिरोध (रेजिस्टेंस) देख रहे हैं। नीचे की ओर इसे 1245 डॉलर और 1210 डॉलर प्रति औंस के आसपास सहारा मिल रहा है। हालाँकि अगर सोना अगस्त के अपने निचले स्तरों को तोड़ दे तो इसमें और कमजोरी आ सकती है।
जेआरजी सिक्योरिटीज के सीनियर एनालिस्ट वाम्सी कृष्णा के अनुसार अगले तीन महीनों में सोने की कीमत ठहरने (कंसोलिडेशन) की कोशिश करेगी और इसमें धीरे-धीरे हल्की तेजी का रुझान बन सकता है। लेकिन उनका कहना है कि इस दौरान उन्हें सोने में किसी खास तेजी की उम्मीद नहीं है और इस पूरी अवधि में यह 1450 डॉलर के नीचे ही रहने की संभावना है।
अगले एक महीने के लिए कृष्णा का मानना है कि इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें नकारात्मक रुझान के साथ एक दायरे में रह सकती हैं। हालाँकि, पिछले कुछ महीनों के उतार-चढ़ाव को देखते हुए कृष्णा ने एक महीने के लिए काफी बड़ा दायरा दिया है। उनके अनुसार, ऊपर यह 1400-1420 डॉलर तक जा सकता है और नीचे 1150 डॉलर तक फिसल सकता है, हालाँकि इसके 1180 डॉलर के स्तर को छूने की संभावना अधिक दिख रही है।
भारत में पिछले दिनों सोने के आयात शुल्क में की गयी बढ़ोतरी की वजह से यहाँ सोना अंतरराष्ट्रीय कीमतों के मुकाबले 12-15% प्रीमियम पर चल रहा है। यहाँ 8-10 महीने पहले तक सोना अंतरराष्ट्रीय बाजार के तकरीबन बराबर या 1-2% प्रीमियम पर उपलब्ध होता था। जून 2013 से अब तक जहाँ अंतरराष्ट्रीय बाजार में महज 5% बढ़त आयी है, वहीं भारत में कीमतों में 20% तक उछाल देखने को मिली है। रुपये में पिछले महीनों के दौरान आयी गिरावट का भी इस तेजी में योगदान रहा है।
इसीलिए आने वाले समय में भारतीय बाजार में सोने की चाल काफी कुछ इस बात पर निर्भर करेगी कि रुपये का डॉलर के मुकाबले कैसा प्रदर्शन रहता है। अगर रुपये में मजबूती का रुख बना रहा तो ऐसी स्थिति में भारतीय बाजार में सोने की कीमत में गिरावट आ सकती है।
इस समय दिसंबर गोल्ड फ्यूचर का भाव 28,400 के आसपास चल रहा है। माथुर कहते हैं कि अगले एक महीने की बात करें तो यह ऊपर की ओर 29,100 रुपये तक जा सकता है, जबकि नीचे की ओर इसके 28,000 रुपये तक फिसलने की आशंका है।
मौजूदा अनिश्चितताओं के बीच यह समझना आसान नहीं है कि सोना किस दिशा में बढ़ रहा है। माथुर कहते हैं, %हालाँकि अभी रुपये की चाल पर काफी कुछ निर्भर करेगा, लेकिन लंबी अवधि में सोने की दिशा ऊपर ही लग रही है। मौजूदा त्योहारी मौसम और शादियों के मौसम की वजह से देश में सोने की माँग उभरती नजर आ सकती है, जिसकी वजह से इसकी कीमतों में तेजी का रुख देखा जा सकता है।
निचले स्तरों पर भारत में भौतिक रूप से सोने की माँग अभी है, लेकिन सोने के प्रति लोगों का आकर्षण पाँच साल पहले के मुकाबले कुछ कम जरूर हुआ है।
- नवीन माथुर, एसोसिएट डायरेक्टर, एंजेल ब्रोकिंग
अगले तीन महीनों में सोने की कीमत ठहरने (कंसोलिडेशन) की कोशिश करेगी और इसमें धीरे-धीरे हल्की तेजी का रुझान बन सकता है।
- वाम्सी कृष्णा, सीनियर एनालिस्ट, जेआरजी सिक्योरिटीज
(निवेश मंथन, अक्तूबर 2013)

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