संदीप त्रिपाठी :
औद्योगिक क्षेत्र की 7% विकास दर के मुकाबले सालाना 23% की दर से विकसित हो रहा लघु एवं मध्यम इकाइयों (एसएमई) का क्षेत्र भारत के आर्थिक विकास में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।
दुनिया भर के देशों में इंटरनेट लघु कंपनियों को उनके बड़े सपने पूरे करने में मदद कर रहा है। इंटरनेट इन छोटी-छोटी कंपनियों के लिए स्थान और समय की सीमाओं को तोड़ रहा है। यह उन्हें नजदीक और दूर के ग्राहकों से भी आसानी से जोड़ रहा है और उनकी व्यावसायिक गतिविधियों को सहज बना रहा है। लेकिन भारत में एसएमई क्षेत्र में इंटरनेट का इस्तेमाल फिलहाल बहुत कम हो रहा है। अगर एसएमई क्षेत्र में इंटरनेट का इस्तेमाल पूरी क्षमता के साथ हो तो एसएमई के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका उल्लेखनीय प्रभाव दिखेगा।
अर्थव्यवस्था और लघु एवं मध्यम औद्योगिक इकाइयों (एसएमई) का सीधा रिश्ता है। जैसे-जैसे एसएमई का विकास होता है, वैसे-वैसे अर्थव्यवस्था भी बढ़ती है। एसएमई देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और रोजगार सृजन में बहुमूल्य योगदान देते हैं। भारत की जीडीपी में एसएमई का 8% का योगदान है और इस क्षेत्र में 10 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है। विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) क्षेत्र के कुल उत्पादन में एसएमई का हिस्सा 45% और निर्यात में 40% हिस्सा एसएमई का है। लेकिन एसएमई को विकसित होने के लिए आधुनिक बुनियादी ढाँचे और प्रौद्योगिकी के साथ समुचित व्यावसायिक और नियामक वातावरण की जरूरत है। पिछले 15 सालों में इंटरनेट सर्वाधिक संभावनाओं से भरे साधन के तौर पर उभरा है, जिसका इस्तेमाल कर एसएमई विकास का लाभ उठा सकते हैं।
एसएमई को इंटरनेट के इस्तेमाल में क्या अड़चनें हैं, इस्तेमाल से क्या और कितना लाभ हो सकता है, इस मसले पर नाथन एसोसिएट्स ने उद्योग संगठन फिक्की और गूगल इंडिया के सहयोग से देश के 11 राज्यों में विभिन्न औद्योगिक और भौगोलिक क्लस्टरों में स्थित 951 एसएमई पर एक अध्ययन किया है, जिससे चौंकाने वाली जानकारियाँ सामने आयी हैं। यह अध्ययन नीति-निर्माताओं को यह समझने में भी मदद करेगा कि इंटरनेट के इस्तेमाल का एसएमई के प्रदर्शन पर क्या असर पड़ सकता है। अध्ययन के मुताबिक देश की एसएमई में इंटरनेट को अपना कर उससे लाभ लेने के लिए पर्याप्त तकनीकी क्षमता, उद्यमशीलता की भावना और मानव संसाधन है। इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाली एसएमई इकाइयों ने अपनी बिक्री में 64%, लाभ में 65%, ग्राहक संख्या में 69%, भौगोलिक पहुँच में 63% और रोजगार सृजन में 44% की वृद्धि दर्ज की। यह तथ्य भी सामने आया कि जिन एसएमई ने इंटरनेट का ज्यादा इस्तेमाल किया, उन्हें इसका कम इस्तेमाल करने वालों के मुकाबले ज्यादा फायदा हुआ। महज 5 जीबी इंटरनेट डेटा इस्तेमाल करने वालों के मुकाबले 10 जीबी डेटा इस्तेमाल करने वाले एसएमई की आय 7% से 32%, लाभ 8% से 43%, रोजगार सृजन 22% और ग्राहक 18% फीसदी बढ़ गये। तो आखिर भारत में अन्य सभी छोटी इकाइयाँ भी इंटरनेट का और इसकी संपूर्ण क्षमताओं का इस्तेमाल क्यों नहीं करतीं? आईटी उपकरणों और इंटरनेट कनेक्शन की ऊँची कीमत, ई-कॉमर्स के लिए अनुकूल माहौल का न होना और इंटरनेट इस्तेमाल के प्रति जागरुकता एवं क्षमताओं का अभाव इसके पीछे तीन मुख्य कारण हैं।
इस अध्ययन में एसएमई के बीच इंटरनेट के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिये गये हैं। पहला सुझाव यह है कि आईटी बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर आईटी उपकरणों एवं इंटरनेट संपर्क की लागत घटायी जाये। दूसरे, बुनियादी ढाँचे में सुधार किया जाये ताकि इंटरनेट सेवाएँ तीव्र और विश्वसनीय बन सकें। एक महत्वपूर्ण सुझाव यह है कि ई-कॉमर्स के लिए अनुकूल माहौल बनाया जाये। इसके लिए सप्लाई चेन में सुधार, क्रेडिट कार्ड/डेबिट कार्ड का इस्तेमाल सहज और सुरक्षित बनाना और ऑनलाइन गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले नियमों में सुधार किया जाना चाहिए। ऐसी प्रगतिशील सरकारी नीतियाँ लागू की जानी चाहिए, जो एसएमई को इंटरनेट अपनाने और उसके बेहिचक इस्तेमाल को प्रोत्साहित करें। इससे एसएमई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना विस्तार करने में सक्षम होंगे। साथ ही युवाओं में कंप्यूटर शिक्षा, पेशेवर प्रशिक्षण और उनके कौशल में सुधार करना होगा। साथ ही कंप्यूटर शिक्षित और इंटरनेट को सहज अपनाने वाली श्रमशक्ति तैयार करनी होगी। सरकार को इंटरनेट के इस्तेमाल से कामयाबी हासिल करने वाली एसएमई की उपलब्धियों को प्रचारित भी करना चाहिए।
भारत में एसएमई क्षेत्र ग्रामीण विकास में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज डेवलपमेंट ऐक्ट, 2006 के मुताबिक एसएमई क्षेत्र में वे इकाइयाँ आती हैं, जिनका संयंत्रों और मशीनों में निवेश दो लाख से पाँच करोड़ रुपये तक का है। ऐसी स्थिति में इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ा कर ये इकाइयाँ जीडीपी और रोजगार सृजन में ज्यादा-से-ज्यादा योगदान दे सकती हैं। जरूरत सिर्फ इस बात की है कि नीति निर्माता इस क्षेत्र में इंटरनेट के इस्तेमाल में आने वाली अड़चनों को दूर करने का मन बना लें। फिर देखिए, इन छोटी-छोटी इकाइयों से ही देश की अर्थव्यवस्था को बड़े नतीजे मिलने लगेंगे।
(निवेश मंथन, अगस्त 2013)