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यह अप्पू करता क्या है?

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Category: मई 2017

राजीव रंजन झा :

अप्पू के बारे में जानते हैं आप?

दिल्ली के लोगों को शायद अप्पू घर की याद होगी, जो प्रगति मैदान में हुआ करता था। वहाँ तरह-तरह के झूले थे और वह मनोरंजन का एक प्रमुख केंद्र था। खेल प्रेमियों को याद होगा कि 1982 में दिल्ली में हुए एशियाई खेलों का शुभंकर एक हाथी था, जिसका नाम अप्पू था। पर शेयर बाजार का अप्पू कौन है, क्या करता है?
कौन है, यह तो पता है। इसका पूरा नाम है अप्पू मार्केटिंग ऐंड मैन्युफैक्चरिंग। कोलकाता की कंपनी है। लेकिन यह कंपनी करती क्या है? शायद खुद इस कंपनी को भी नहीं मालूम। अक्टूबर-दिसंबर 2016 की तिमाही में इसकी आमदनी थी निल बटा सन्नाटा। जी हाँ, शून्य। अन्य आमदनी के नाम पर इसकी कमाई थी 0.9 लाख रुपये, जिस पर इसने 0.2 लाख रुपये का मुनाफा भी दिखाया था! लेकिन इसका शेयर भाव 300 रुपये के ऊपर चल रहा है। अगर कमाई न के बराबर है और शेयर भाव झमाझम है, तो जाहिर है कि मूल्य-आय (पीई) अनुपात भयानक होगा। कोई ताज्जुब नहीं कि इसका पीई अनुपात अभी 30,000 के ऊपर का है!
एक कंपनी है स्वान एनर्जी। स्वान का मतलब होता है हंस, जो पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। मगर स्वान एनर्जी के कामकाज में क्या पवित्र है, यह मैं नहीं समझ पा रहा। वैसे तो इस कंपनी का इतिहास 100 साल से ज्यादा पुराना है। इसका गठन साल 1909 में ही हुआ था। दिसंबर 2008 में इसका नाम स्वान मिल्स से बदल कर स्वान एनर्जी किया गया। इससे पहले साल 2006 में सेबी ने छुटभैये शेयरों (पेन्नी स्टॉक) में बनावटी तेजी लाने के एक मामले में गैलेक्सी ब्रोकर्स पर कार्रवाई की थी और गैलेक्सी ब्रोकर्स ने जिन छुटभैये शेयरों में खेल किया था, उनमें स्वान मिल्स भी शामिल था।
खैर, कभी टेक्सटाइल तो कभी कंस्ट्रक्शन का धंधा करने वाली स्वान एनर्जी का खेल अभी चल रहा है तेल पर। इसने एलएनजी टर्मिनल की एक परियोजना में हाथ डाल रखा है। खबरों के मुताबिक कुछ बड़ी तेल कंपनियों ने इसकी एलएनजी परियोजना में ग्राहक बनने पर हामी भर दी है। पर ये खबरें कहाँ तक परवान चढ़ेंगी, कहना मुश्किल है। अभी तो अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में कंपनी की आमदनी थी 6.98 करोड़ रुपये, जिस पर मुनाफा हुआ था 1.70 लाख रुपये का। इतने ‘शानदार’ बुनियादी आँकड़ों वाली इस कंपनी की अभी कुल बाजार पूँजी है 3,376 करोड़ रुपये। पीई मूल्यांकन है 5,000 से ऊपर का। किस ‘गैलेक्सी’ से आया है यह मूल्यांकन?
खोजेंगे तो जाने कितनी ही कहानियाँ इसी तरह की मिलेंगी आज के बाजार में। जब इस तरह की कहानियों को बाजार में भाव मिलने लगे, तो निवेशक के लिए कुछ ज्यादा सावधान हो जाने का वक्त होता है। आजकल आप देख ही रहे होंगे कि इन्फोसिस जैसी कंपनी बाजार की नजरों से उतरी हुई है। इसने जनवरी-मार्च 2017 की तिमाही में ‘केवल’ 3,600 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है, इसलिए बाजार इसे 15 पीई से ज्यादा का भाव नहीं दे रहा। पर 8के माइल्स सॉफ्टवेयर सर्विसेज के बारे में जानते हैं आप? इसे बाजार अभी 840 पीई का भाव दे रहा है। अभी इसकी कीमत कुछ घट कर 600 रुपये के नीचे आ गयी है, पर पिछले साल जनवरी में यह शेयर 956 रुपये तक गया था। इस कंपनी की महानता यह है कि अक्टूबर-दिसंबर 2016 की तिमाही में इसने 1.05 करोड़ रुपये की जोरदार आमदनी पर 8.4 लाख रुपये का अकल्पनीय शुद्ध लाभ हासिल किया था!
खैर, शेयर बाजार में ऐसी कहानियाँ हमेशा रहती हैं। अति-उत्साह के दौर में ये कहानियाँ
कुछ ज्यादा उभरती हैं और यह एक संकेत होता है कि ज्यादा जोखिम वाले निवेशों से बाहर निकला जाये। पर इसका यह मतलब नहीं होता कि बाजार ने थम जाने का ऐलान कर दिया है। किसी बड़ी तेजी के लंबे दौर में भी कई चरण आते हैं और हर चरण के अपने-अपने नायक-खलनायक होते हैं।
इसलिए आप बाजार की चाल को लेकर अभी परेशान न हों। बाजार की दिशा तो अभी तक ठीक है। लेकिन किसी शेयर को चुनते समय सावधान रहें कि उसकी ठोस जमीन है या केवल कहानियाँ हैं। आपको कहानियाँ पसंद हों तो प्रेमचंद को पढ़ लीजिये या गुलशन नंदा को। चाहें तो स्टार प्लस देख लीजिए या कलर्स या जी टीवी। शेयर बाजार कहानियाँ सुनने की सही जगह नहीं है।
(निवेश मंथन, मई 2017)

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