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बुनियादी ढाँचे का सहारा मिलना जरूरी

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Category: मई 2017

अंशुमान मैगजीन, चेयरमैन, सीबीआरई, (भारत एवं द.पू. एशिया): 

2022 तक सबके लिए आवास की योजना के रूप में जानी जाने वाली प्रधानमंत्री आवास योजना का 2015 में आरंभ किया गया था।

इसे टिकाऊ विकास के साथ देश में तेजी से बढ़ते शहरीकरण की जरूरतों को पूरा करने वाले एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा गया। इस योजना की सफलता के लिए कई और पहलू हैं, जिन पर अमल होना जरूरी है। इन पहलुओं में निजी सहभागिता को बढ़ावा देना, भूमि अधिग्रहण को आसान बनाना और इस योजना को सहारा देने के लिए बुनियादी ढाँचे का विकास करना शामिल हैं। साल 2017-18 के केंद्रीय बजट में सरकार ने सस्ते आवासों की श्रेणी में कई प्रोत्साहनों की घोषणा करके सभी के लिए आवास की पहल को मजबूती देने के लिए एक जोरदार प्रयास किया है।
प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए धन आवंटन में वृद्धि, क्षेत्र मापदंडों में ढील और सस्ते आवासों को समय पर पूरा करने पर जोर के साथ-साथ 100% कटौती की कर रियायत से डेवलपरों के लिए इस श्रेणी में सहभागिता करना व्यावहारिक हो जायेगा। सस्ते आवासों को बुनियादी ढाँचा दर्जा दिये जाने से निजी डेवलपर इस श्रेणी में कदम रखने के लिए प्रोत्साहित होंगे, क्योंकि उन्हें लंबी अवधि के लिए कम लागत वाला कर्ज मिल सकेगा। इससे उनकी परियोजनाओं के लिए नकदी प्रवाह सुधरेगा। इस श्रेणी की अधिकांश परियोजनाएँ बड़े शहरों के सीमावर्ती क्षेत्रों में आती हैं, इसलिए एक मुख्य चिंता इन क्षेत्रों में भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढाँचे की कमी को लेकर रहती है।
सस्ते आवास की परियोजनाएँ सही मायने में सफल होने और इनकी माँग पैदा होने के लिए एक अच्छे बुनियादी ढाँचे का सहारा मिलना और मुख्य शहरी क्षेत्रों से संपर्क जुडऩा जरूरी होगा। इस श्रेणी को मिली रियायतों का असर आज आँकना जल्दबाजी होगी, पर लंबी अवधि में इन कदमों से देश में आवासीय बाजार को एक सकारात्मक प्रोत्साहन मिलेगा।
योजना के बारे में कम है जागरूकता
अनुज पुरी, चेयरमैन, जेएलएलआर :
इस साल के केंद्रीय बजट में प्रधानमंत्री आवास योजना की क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम के तहत ऋणों की अवधि को 15 साल से बढ़ा कर 20 साल कर दिया गया। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवंटन को 15,000 करोड़ से बढ़ा कर 23,000 करोड़ रुपये कर दिया गया।
प्रधानमंत्री आवास योजना कम बजट के आवासीय ग्राहकों को जो लाभ देती है, वह सस्ते आवासों की श्रेणी में संभावित माँग और खपत को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कारक है। हालाँकि इस श्रेणी के ग्राहकों को भी परियोजना समय पर पूरी होने, निर्माण की गुणवत्ता अच्छी होने और आवासीय परियोजना की कानूनी वैधता के बारे में पक्का आश्वासन चाहिए।
मेरा मानना है कि रियल एस्टेट रेगुलेशन ऐक्ट (रेरा) पूरे देश में लागू हो जाने के बाद ही निम्न एवं मध्यम मूल्य के सस्ते आवास की श्रेणी में ग्राहकों को ज्यादा भरोसा हो सकेगा। साथ ही, मैं देख रहा हूँ कि प्रधानमंत्री आवास योजना के लक्ष्यित समूह के बीच इस योजना के बारे में जागरूकता की बेहद कमी है। इस योजना की सफलता के लिए जरूरी है कि सरकार इस बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए ज्यादा प्रयास करे।
(निवेश मंथन, मई 2017)

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