एक में दो का लाभ
ऐसे फंड की मुख्य विशेषता है अपने संपदा आवंटन के अंदर भी संपदा वर्गों को तेजी से बदलने की इसकी क्षमता।
इनमें यह बदलाव हाइब्रिड फंडों से भी ज्यादा तेज गति से होता है। इसमें छोटे (स्मॉल कैप) और मँझोले (मिड कैप) शेयरों को इस तरह चुना जाता है कि इक्विटी वाले हिस्से से कहीं ज्यादा ऊँचा लाभ मिल सके और उससे जुड़े जोखिम को संतुलित करने का काम ऋण (डेब्ट) निवेश वाला हिस्सा करता है। डायनामिक फंड उतावले स्वभाव वाले निवेशकों के हाथ से कमान अपने हाथों में ले लेता है और बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान निवेशकों की संपदा को सुरक्षित रखता है।
प्रतिफल देने की क्षमता वाले फंड
डायनामिक फंड अनकहे ढंग से ऐसी धारणा या संभावना बनाते हैं कि ये ज्यादा प्रतिफल दे सकने वाले फंड हैं। वे अपने काम को इस तरह परिभाषित करते हैं, कि इक्विटी वाले हिस्से के साथ वे किसी इक्विटी फंड की तरह लंबी अवधि में अच्छा प्रतिफल देंगे, लेकिन साथ ही बाजार का मूल्यांकन ऊँचा हो जाने पर इक्विटी निवेश को घटा लेना भी सुनिश्चित करेंगे। डायनामिक ऐसेट ऐलोकेशन को इस रणनीति के साथ तैयार किया जाता है कि शेयरों के महँगे हो जाने पर इक्विटी में निवेश को कम कर लिया जाये।
सोचें, निवेश करें और निश्चिंत हो जायें
सभी उंगलियाँ एक बराबर नहीं होतीं। इसी तरह, निवेश के सभी लक्ष्य भी एक जैसे नहीं होते। जो निवेशक लंबी अवधि में संपदा सृजन का लक्ष्य रख कर म्यूचुअल फंडों में निवेश करते हैं, वे डायनामिक फंडों को इनकी कम अस्थिरता के कारण इन्हें निवेश विकल्प के रूप में चुन सकते हैं। इनमें निवेश करने पर प्रवेश (एंट्री) या निकासी (एक्जिट) के बारे में चिंतित रहने की जरूरत नहीं पड़ती और निवेशक इनमें पैसा डाल कर मानो उसे भूल जा सकते हैं, क्योंकि ये फंड हर तरह की बाजार स्थिति के मुताबिक खुद को ढालते रहते हैं।
समय आपका है
चूँकि इन फंडों में बाजार की स्थितियों के अनुसार संपदा वर्गों का हिस्सा बदलता रहता है, इसलिए ये फंड अलग-अलग बाजार रुझानों के अनुसार खुद ही अपना आवंटन निर्धारित कर लेते हैं। यानी बाजार में गिरावट के दौरान आपको घबराहट नहीं होती और आप चैन से रह सकते हैं। बाजार की नाप-तौल करते रहने की इसकी खासियत इसमें निवेश करने की एक मुख्य वजह है।
कर का बोझ घटायें
चूँकि डायनामिक फंडों में इक्विटी के निवेश का औसत हिस्सा 65% पर रखा जाता है, इसलिए इनसे मिले प्रतिफल पर भी दूसरे इक्विटी फंडों की तरह ही कर के नियम लागू होते हैं। इसलिए यदि इन फंडों में निवेश एक साल से अधिक समय तक रखा जाये, इनसे मिलने वाला प्रतिफल भी कर-मुक्त हो जाता है। अगर एक साल या इससे कम समय तक ही निवेश रखा जाये, तो इनके प्रतिफल पर अल्पावधि पूँजीगत लाभ कर (शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स) लगता है। इनमें लाभांश के विकल्प की बात करें तो यह कर मुक्त होता है। हालाँकि यदि फंड के इक्विटी निवेश का औसत 65% से कम रह जाये तो अन्य डेब्ट फंडों की तरह ही कर संबंधी प्रावधान लागू होते हैं। निवेश करने से पहले कर देनदारियों को समझने के लिए अपने कर सलाहकार से मशविरा कर लेना चाहिए। (स्रोत : मोतीलाल ओसवाल एएमसी)
(निवेश मंथन, अप्रैल 2017)