उपभोग पर असर
सभी व्यावसायिक क्षेत्रों में उपभोग में काफी नरमी आना आम है। विभिन्न उद्यम श्रृंखला साझीदारों से बातचीत से पता चलता है कि विमुद्रीकरण के लागू होने के बाद अर्थव्यवस्था में नकदी का प्रवाह अत्यंत धीमा हो गया है। नतीजतन, सभी व्यावसायिक क्षेत्रों के व्यवसाय में पहले पाँच दिनों में 30-80% के दायरे में गिरावट आयी है। उपभोक्ताओं की प्राथमिकता बैंक/एटीएम से नकदी निकालना/जमा करना हो जाने के कारण स्टोर, माल, रेस्टोरेंट और शोरूमों में ग्राहकों की आमद बहुत घटी है।
महँगे विवेकाधीन उपभोग पर ज्यादा असर, धीमे-धीमे सामान्य स्थिति लौटने की उम्मीद
ऑटो, आभूषण, आवास ऋण और उपभोक्ता वस्तु क्षेत्र के लोगों से बातचीत से संकेत मिला कि विवेकाधीन उपभोग पर बेतरतीब ढंग से असर पड़ा है। यह आश्चर्यजनक नहीं है क्योंकि उपभोक्ता विवेकाधीन/विलासिता वस्तुओं के मुकाबले आवश्यकताओं पर खर्च करने को प्राथमिकता दे रहे हैं। चार पहिया वाहनों के लिए पूछताछ में 40-60% तक की गिरावट आयी है। नकदी प्रवाह और तरलता स्थिति के ठीक होने तक नरमी बनी रहने की संभावना है। रियल एस्टेट में आवास खरीद सौदों में गिरावट आयी है। बिल्डर कार्यशील पूँजी के संकट में फँसे हैं, जबकि खरीदार कीमतों में गिरावट की उम्मीद में प्रतीक्षा करो और देखो की नीति अपना रहे हैं। वित्तीय क्षेत्र में बैंकों के मुख्य लाभान्वित होने की संभावना है क्योंकि विमुद्रीकरण होने के बाद से उन्हें जम कर नकदी जमा प्राप्त हुई है।
चुनिंदा सतर्क कदम उठा रही कंपनियाँ
विमुद्रीकरण के कदम की अभूतपूर्व प्रकृति और व्यापार पर इसके अल्पकालिक असर के मद्देनजर कंपनियों ने अपनी व्यापार श्रृंखला के साझेदारों पर कार्यशील पूँजी का दबाव घटाने के लिए चुनिंदा कदम उठाये हैं। कुछ कंपनियों ने वितरकों के लिए क्रेडिट समय-सीमा बढ़ायी है जबकि कुछ ऐसा करने पर विचार कर रही हैं। कुछ मामलों में वितरकों ने खुदरा विक्रेताओं को क्रेडिट अवधि बढ़ायी है। कॉरपोरेट को भी कुछ स्पष्टता आने से पहले कुछ हफ्तों तक इस स्थिति के बने रहने की उम्मीद है।
सकारात्मक दीर्घकालिक असर, असंगठित से संगठित क्षेत्र की ओर जाने में तेजी
अल्पकालिक असर के आगे देखने पर कॉरपोरेट आम तौर पर ब्रोकिंग फर्म की इस राय से सहमत हैं कि विमुद्रीकरण और जीएसटी का मिश्रण विभिन्न उपभोक्ता उन्मुख श्रेणियों में असंगठित से संगठित क्षेत्र की बदलाव तेज होगा। चूँकि असंगठित क्षेत्र को भी नियमों का पालन करना पड़ेगा, इससे संगठित व्यवसाय के मुकाबले असंगठित क्षेत्र को मिलने वाला कीमत लाभ अब क्षीण पड़ जायेगा। ब्रोकिंग फर्म की राय में संगठित ब्रांडेड क्षेत्र के लिए बाजार हिस्सेदारी में बदलाव मध्यम से दीर्घ अवधि में अवश्यंभावी है।
वित्त वर्ष 2016-17 के आय अनुमान जोखिम में
मौजूदा परिदृश्य में ब्रोकिंग फर्म को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2016-17 की तीसरी तिमाही की आय सर्वाधिक प्रभावित होगी, इससे वित्तवर्ष 2016-17 की दूसरी छमाही में आय का अनुमान अभी संकटग्रस्त है। वित्त वर्ष 2016-17 की दूसरी छमाही के लिए अपनी पूर्वावलोकन रणनीतिक टिप्पणी में ब्रोकिंग फर्म ने अ) डब्लूपीआई एवं सीपीआई में अंतर में कमी, ब) ब्याज दरों में नरमी और स) चक्रीय लाभों के लिए अनुकूल आधार प्रभाव के आधार पर पीछे बैठी कंपनियों की वापसी के सिद्धांत को दर्शाया था। विमुद्रीकरण के बाद ब्रोकिंग फर्म मोतीलाल ओसवाल के विश्लेषण दायरे में आने वाली कंपनियों और साथ ही साथ संवेदी सूचकांक के लिए वित्तवर्ष 2016-17 के अपने आय अनुमानों में निस्संदेह गिरावट का खतरा देखती है। हालाँकि तरलता के पुन: ठीक होने की अवधि के दौरान अनिश्चितता को देखते हुए इस चरण में आय पर असर की गणना करना मुश्किल है। ब्रोकिंग फर्म का मानना है कि ऑटो, एफएमसीजी, खुदरा, कंज्यूमर ड्यूरेबल, मिडकैप, सीमेंट, दूरसंचार और एनबीएफसी क्षेत्र में वित्त वर्ष 2016-17 में आय में गिरावट देखी जा सकती है।
(निवेश मंथन, दिसंबर 2016)
बिक्री घटी, पर दीर्घकाल में सकारात्मक असर
- Details
- Category: दिसंबर 2016
- सातवाँ वेतन आयोग कहीं खुशी, कहीं रोष
- एचडीएफसी लाइफ बनेगी सबसे बड़ी निजी बीमा कंपनी
- सेंसेक्स साल भर में होगा 33,000 पर
- सर्वेक्षण की कार्यविधि
- भारतीय अर्थव्यवस्था ही पहला पैमाना
- उभरते बाजारों में भारत पहली पसंद
- विश्व नयी आर्थिक व्यवस्था की ओर
- मौजूदा स्तरों से ज्यादा गिरावट नहीं
- जीएसटी पारित कराना सरकार के लिए चुनौती
- निफ्टी 6000 तक जाने की आशंका
- बाजार मजबूत, सेंसेक्स 33,000 की ओर
- ब्याज दरें घटने पर तेज होगा विकास
- आंतरिक कारक ही ला सकेंगे तेजी
- गिरावट में करें 2-3 साल के लिए निवेश
- ब्रेक्सिट से एफपीआई निवेश पर असर संभव
- अस्थिरताओं के बीच सकारात्मक रुझान
- भारतीय बाजार काफी मजबूत स्थिति में
- बीत गया भारतीय बाजार का सबसे बुरा दौर
- निकट भविष्य में रहेगी अस्थिरता
- साल भर में सेंसेक्स 30,000 पर
- निफ्टी का 12 महीने में शिखर 9,400 पर
- ब्रेक्सिट का असर दो सालों तक पड़ेगा
- 2016-17 में सुधार आने के स्पष्ट संकेत
- चुनिंदा क्षेत्रों में तेजी आने की उम्मीद
- सुधारों पर अमल से आयेगी तेजी
- तेजी के अगले दौर की तैयारी में बाजार
- ब्रेक्सिट से भारत बनेगा ज्यादा आकर्षक
- सावधानी से चुनें क्षेत्र और शेयर
- छोटी अवधि में बाजार धारणा नकारात्मक
- निफ्टी 8400 के ऊपर जाने पर तेजी
- ब्रेक्सिट का तत्काल कोई प्रभाव नहीं
- निफ्टी अभी 8500-7800 के दायरे में
- पूँजी मुड़ेगी सोना या यूएस ट्रेजरी की ओर
- निफ्टी छू सकता है ऐतिहासिक शिखर
- विकास दर की अच्छी संभावनाओं का लाभ
- बेहद लंबी अवधि की तेजी का चक्र
- मुद्रा बाजार की हलचल से चिंता
- ब्रेक्सिट से भारत को होगा फायदा
- निफ्टी साल भर में 9,200 के ऊपर
- घरेलू बाजार आधारित दिग्गजों में करें निवेश
- गिरावट पर खरीदारी की रणनीति
- साल भर में 15% बढ़त की उम्मीद
- भारतीय बाजार का मूल्यांकन ऊँचा
- सेंसेक्स साल भर में 32,000 की ओर
- भारतीय बाजार बड़ी तेजी की ओर
- बाजार सकारात्मक, जारी रहेगा विदेशी निवेश
- ब्रेक्सिट का परोक्ष असर होगा भारत पर
- 3-4 साल के नजरिये से जमा करें शेयरों को
- रुपये में कमजोरी का अल्पकालिक असर
- साल भर में नया शिखर
अर्थव्यवस्था
बाजार के जानकारों से पूछें अपने सवाल
सोशल मीडिया पर
Additionaly, you are welcome to connect with us on the following Social Media sites.
Latest Comments
How beautiful are IceTheme websites?
Fully Responsive Design to loo... in Joomla Article
about 11 years ago