अभी भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) लगभग 150 लाख करोड़ रुपये का है, जिसको सफेद अर्थव्यवस्था कह सकते हैं। काली कमाई (ब्लैक इन्कम) उसका 62% है, यानी लगभग 93 लाख करोड़ रुपये की काली अर्थव्यवस्था है। अब लोगों की जो आय होती है, उसमें से वे बचत करते हैं और फिर उसका निवेश करते हैं, जिससे संपदा (वेल्थ) बनती है। यह संपदा आप तरह-तरह से बना कर रखते हैं, जैसे सोना, चाँदी, जवाहरात, भूसंपदा, शेयर आदि के रूप में। नकदी इस संपदा का बहुत छोटा हिस्सा है। कुल काली संपदा (ब्लैक वेल्थ) करीब 300 लाख करोड़ रुपये की होगी। काली नकदी कुल काली संपदा का करीब 1% ही होगी। अगर मान लें कि देश के 3% लोगों के पास ज्यादा काली कमाई है, तो ऐसे लगभग चार करोड़ लोगों के पास कुल 3-4 लाख करोड़ रुपये ही काली नकदी निकलेगी, यानी प्रति व्यक्ति केवल एक लाख रुपये या 75,000 रुपये के आस-पास ही काली नकदी बैठेगी। इस तरह बहुत ज्यादा काली नकदी नहीं है।
इस समय देश में कुल मुद्रा आपूर्ति लगभग 17 लाख करोड़ रुपये हैं, जिसमें से करीब 14.5 लाख करोड़ रुपये 500 और 1,000 के नोटों में हैं, जो कि सारा काला धन नहीं है। इसमें से 8-9 लाख करोड़ रुपये का बड़ा हिस्सा तो व्यापार जगत को चाहिए नियमित कामकाज करने के लिए। जैसे आप पेट्रोल पंप जायें तो उनके पास गड्डियाँ होती हैं, या किसी व्यापारी के पास सारे दिन की बिक्री से मिली नकदी होती है। इसी तरह रेलवे स्टेशनों और हवाईअड्डों पर भी करोड़ों में नकदी आती है। इसलिए अर्थव्यवस्था में 300 लाख करोड़ रुपये की जो काली संपदा है, उसका केवल 1% ही या करीब तीन-चार लाख करोड़ रुपये ही नकद के रूप में मौजूद होगा। काली कमाई कोई तकिये के नीचे दबा कर तो बैठता नहीं। इसलिए सरकार का यह फैसला अगर बहुत सफल रहा, और आपने तीन-चार लाख करोड़ रुपये निकलवा लिये, तो भी इससे केवल 1% काली संपदा ही तो जायेगी। पर दूसरी तरफ हर साल 93 लाख करोड़ रुपये की काली संपदा बन रही है। आपने यह नकदी जब्त भी कर ली तो भी काला धन पैदा करने वाली गतिविधियाँ तो वैसे ही चलती रहेंगी। जो कैपिटेशन फी लेता है, वह वैसे ही लेता रहेगा, जो ड्रग्स बेचता है वह बेचता रहेगा, जो बहीखातों में हेराफेरी से काला धन बनाता है, वह अपना काम करता रहेगा। काली कमाई पैदा होने का जरिया नहीं रुकेगा। बस नकदी थोड़ी-बहुत अटक जायेगी, पर वह कितनी है। वहीं देखा जाये तो इससे अर्थव्यवस्था चरमरा रही है और जिन्होंने कभी 1,000 और 500 रुपये का नोट भी नहीं देखा, उनका रोजगार जा रहा है। इसके गलत परिणाम बहुत हैं और यह फायदा नहीं होने जा रहा कि आपने काली अर्थव्यवस्था पर अंकुश लगा दिया।
काली संपदा का लेनदेन नकद में होना भी जरूरी नहीं है। रिश्वत देने के बहुत तरीके हैं। जैसे एयरसेल मैक्सिस सौदे में 350 रुपये का शेयर 25 रुपये में दे दिया। रॉबर्ट वाड्रा के मामले में सस्ती जमीन आवंटित कर दी गयी और उसको महँगे में खरीद लिया गया। अभी किसी के पास 20 करोड़ रुपये हैं तो उसने कर्मचारियों को चार महीने का अग्रिम वेतन दे दिया।
फिर ऐसा तो है नहीं कि नकदी बंद की जा रही है। आप 1,000 की जगह 2,000 का नोट दे रहे हैं तो इससे काला धन रखना और भी आसान होगा। इससे काले धन पर लगाम भी नहीं लगेगी और सफेद अर्थव्यवस्था में एक भूचाल आ गया है। हर जगह उत्पादन और व्यापार रुक रहा है।
लोग अपना काला धन परिवर्तित कर रहे हैं। जैसे आपको कर्मचारियों को वेतन देना है। आपने पहले ही 3-4 महीनों का वेतन दे दिया। आपका कर्मचारी बैंक में जमा करायेगा, तो वह काला धन सफेद हो जायेगा। इसी तरीके से किसी का ऋण पुरानी तारीख में खरीद लिया। ऐसे तरीकों से लोग तीन लाख करोड़ रुपये तक परिवर्तित कर लेंगे और केवल 50,000 करोड़ रुपया रह जायेगा। उसमें भी हो सकता है कि कुछ फटे नोट हों और या ऐसे नोट जो लोग कहीं रख कर भूल गये हों।
सरकार को चाहिए कि 500 और 1,000 के नोट चलने की सीमा को बढ़ा दे या ऐसा कुछ करे जिससे नोटों की कमी को पूरा कर लिया जाये। अभी जैसा चल रहा है उसमें (पुराने नोटों में जमा किया जाने वाला) अधिकतर पैसा वापस आ जायेगा। अगर उतने नोट जारी नहीं किये गये तो कामकाजी पूँजी की दिक्कत व्यापारियों के सामने रहेगी, क्योंकि उन्हें तो 8-9 लाख करोड़ रुपये चाहिए ही व्यापार चलाने की पूँजी के लिए। अगर ऐसा नहीं किया गया तो अर्थव्यवस्था ठप पडऩे लगेगी। अगर सरकार 30 दिसंबर तक 3-4 लाख करोड़ रुपये की नकदी ही बाजार में डाली तो व्यापार नहीं होगा। वहीं नोट खपाने वाले लोग सोने वगैरह में लेन-देन कर लेंगे।
अगर सरकार चाहती है कि काले धन के लिए अर्थव्यवस्था को डुबा दिया जाये तो डुबा दें। पर इससे काला धन रुकेगा नहीं, उल्टे अर्थव्यवस्था खराब होगी और हालात बिगड़ेंगे। सरकार को ऐसा कुछ करना चाहिए कि काला धन बनाने वालों पर असर पड़े, न कि पूरी अर्थव्यवस्था पर। हम मंदी की तरफ जा रहे हैं। थोक विक्रेता कह रहा है कि उसकी बिक्री 30% रह गयी है। उससे माँग घट जायेगी, बेरोजगारी बढ़ जायेगी।
(निवेश मंथन, दिसंबर 2016)
काला धन नहीं रुकेगा, अर्थव्यवस्था ठप पड़ेगी
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- Category: दिसंबर 2016
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- ब्याज दरें घटने पर तेज होगा विकास
- आंतरिक कारक ही ला सकेंगे तेजी
- गिरावट में करें 2-3 साल के लिए निवेश
- ब्रेक्सिट से एफपीआई निवेश पर असर संभव
- अस्थिरताओं के बीच सकारात्मक रुझान
- भारतीय बाजार काफी मजबूत स्थिति में
- बीत गया भारतीय बाजार का सबसे बुरा दौर
- निकट भविष्य में रहेगी अस्थिरता
- साल भर में सेंसेक्स 30,000 पर
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- चुनिंदा क्षेत्रों में तेजी आने की उम्मीद
- सुधारों पर अमल से आयेगी तेजी
- तेजी के अगले दौर की तैयारी में बाजार
- ब्रेक्सिट से भारत बनेगा ज्यादा आकर्षक
- सावधानी से चुनें क्षेत्र और शेयर
- छोटी अवधि में बाजार धारणा नकारात्मक
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- ब्रेक्सिट का तत्काल कोई प्रभाव नहीं
- निफ्टी अभी 8500-7800 के दायरे में
- पूँजी मुड़ेगी सोना या यूएस ट्रेजरी की ओर
- निफ्टी छू सकता है ऐतिहासिक शिखर
- विकास दर की अच्छी संभावनाओं का लाभ
- बेहद लंबी अवधि की तेजी का चक्र
- मुद्रा बाजार की हलचल से चिंता
- ब्रेक्सिट से भारत को होगा फायदा
- निफ्टी साल भर में 9,200 के ऊपर
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- गिरावट पर खरीदारी की रणनीति
- साल भर में 15% बढ़त की उम्मीद
- भारतीय बाजार का मूल्यांकन ऊँचा
- सेंसेक्स साल भर में 32,000 की ओर
- भारतीय बाजार बड़ी तेजी की ओर
- बाजार सकारात्मक, जारी रहेगा विदेशी निवेश
- ब्रेक्सिट का परोक्ष असर होगा भारत पर
- 3-4 साल के नजरिये से जमा करें शेयरों को
- रुपये में कमजोरी का अल्पकालिक असर
- साल भर में नया शिखर
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about 11 years ago