जगन्नादम तुनुगुंतला, रिसर्च प्रमुख, एसएमसी ग्लोबल:
बाजार को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक निकट भविष्य में कैसे रहने वाले हैं और इनका भारतीय बाजारों पर कितना असर पड़ने की संभावना है?
जहाँ तक बाजार को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का सवाल है, महँगाई अपने उच्चतम स्तरों के आसपास बनी हुई है। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक के पास ब्याज दरों में बदलाव करने की अधिक गुंजाइश नहीं बचती।
घरेलू मोर्चे पर बाकी सारे कारक फिलहाल भारतीय बाजारों पर प्रभाव के लिहाज से अधिक मायने नहीं रखते। अभी देखने वाली बात यह होगी कि फेडरल रिजर्व की ओर से टैपरिंग कब की जाती है। फिलहाल जो अकेला कारक बाजार को दिशा देगा वह है फेडरल रिजर्व की ओर से संभावित टैपरिंग।
यदि फेडरल रिजर्व दिसंबर में ही टैपरिंग कर देता है तो क्या हमारे बाजारों पर इसका अधिक नकारात्मक असर पड़ेगा?
हाँ, निश्चित तौर पर।
क्या अब भी भारत विकास की राह पर है या इंडिया स्टोरी पर संकट के बादल हैं?
इंडिया स्टोरी के सामने निश्चित तौर पर चुनौतियाँ हैं। लेकिन केवल इसके समक्ष ही नहीं, बल्कि सभी उभरते बाजारों के सामने चुनौतियाँ हैं। वजह यह है कि इनमें से अधिकाँश बाजारों में काफी हद तक वैश्विक पूँजी लगी हुई है और अब इन बाजारों से वैश्विक पूँजी के वापस जाने के संकेत हैं। इंडिया स्टोरी के समक्ष कोई खास मसला नहीं है। असली समस्या नकदी की उपलब्धता से जुड़ी हुई है।
यह माना जा रहा है कि बाजार की मौजूदा तेजी के पीछे यह संभावना है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार केंद्र में आ सकती है। आपकी इस पर क्या राय है?
बाजार को चलाने के लिए हमेशा कोई-न-कोई खबर आती रहती है। मैं इन राजनीतिक अटकलों को अधिक तवज्जो नहीं देता। बाजार नकदी के आधार पर चल रहा है।
चुनावों से पहले तक आप बाजार को किस दिशा में बढ़ता देख रहे हैं?
चुनावों से पहले तक इसी तरह के अनुमान वगैरह चलते रहेंगे। मैं फिर से कहूँगा कि बाजार की दिशा को तय करने में नकदी की उपलब्धता की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रहने वाली है।
रुपये में एक बार फिर गिरावट का रुख है। ऐसे में शेयर बाजार पर आप इसका कितना असर पड़ता देख रहे हैं?
रुपये में अभी और गिरावट आ सकती है। ऐसे में इस बात की भी आशंका है कि रुपये की संभावित कमजोरी की वजह से भारतीय शेयर बाजार पर भी नकारात्मक असर पड़े।
बाजार में उतार-चढ़ाव अपने चरम पर है। निफ्टी दो दिनों में 190-200 अंक उछल जाता है, फिर अगले दो-तीन दिनों में यह सारी बढ़त गँवा देता है। इस माहौल में एक निवेशक को क्या करना चाहिए?
यह बाजार अभी निवेशक का बाजार नहीं है। इसमें काम करने का तरीका यही है कि निचले स्तरों पर खरीद कर ऊपरी स्तरों पर बेचा जाये। इसके अलावा चुनिंदा खरीदारी करनी पड़ेगी और निवेशक को स्मार्ट भी होना पड़ेगा। यह टेस्ट मैच वाला जमाना नहीं रह गया है, यह 20-20 वाला जमाना है।
(प्रस्तुति: आलोक द्विवेदी)
(निवेश मंथन, दिसंबर 2013)