Nivesh Manthan
Menu
  • Home
  • About Us
  • Download Magzine
  • Blog
  • Contact Us
  • Home/
  • 2014
Follow @niveshmanthan

ई-कॉमर्स से खुले निर्यात का बाजार

Details
Category: जून 2017

भारत के घरेलू बाजार में ई-कॉमर्स या इंटरनेट के जरिये खरीद-बिक्री ने काफी पैठ जमा ली है।

मगर ऐसा दिखता है कि भारत निर्यात के बाजार में ई-कॉमर्स के अवसरों का पूरा लाभ नहीं उठा रहा है। भारतीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के साथ-साथ मौजूदा और संभावित स्टार्टअप निर्यात इकाइयों के लिए यह बड़ा मौका उपलब्ध है कि वे मार्केट-प्लेस के दिग्गज खिलाडिय़ों जैसे ईबे, अमेजॉन और अलीबाबा आदि के जरिये तेजी से बढ़ते बी2सी ई-कॉमर्स के एक हिस्से पर अपना अधिकार कर सकें।
उद्योग संगठन फिक्की और भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी) की एक ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत से खुदरा ई-कॉमर्स निर्यात की कुल संभावना 26 अरब डॉलर की है, जिसमें से तीन अरब डॉलर का निर्यात अगले तीन वर्षों में ही हासिल किया जा सकता है। यह निर्यात 16 उत्पाद-श्रेणियों में संभव है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत से ऑनलाइन निर्यात की विशाल संभावनाएँ हैं, पर अभी प्रेरक नीतिगत माहौल न होने की वजह से इन संभावनाओं का पूरा दोहन नहीं किया जा रहा है। अध्ययन में यह बात सामने रखी गयी है कि निर्यात के क्षेत्र में रुझान ऑफलाइन से ऑनलाइन की ओर जा रहा है। इस मूलभूत बदलाव से न केवल भारतीय नीति नियंताओं के लिए, बल्कि एमएसएमई के लिए भी आगे चुनौती खड़ी होगी।
इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की बढ़ती संख्या के चलते ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय व्यापार काफी फल-फूल रहा है। यह ऐसी चीज है जिसका भारतीय एमएसएमई इकाइयों को सीधा फायदा मिल सकता है।
पर सवाल है कि खुद भारतीय एमएसएमई इस अवसर का लाभ उठाने के लिए कितने तैयार हैं और भारत से ई-कॉमर्स के जरिये खुदरा अंतरराष्ट्रीय व्यापार (सीबीटी) की क्या सीमाएँ हैं।
ई-कॉमर्स का असर वैश्विक कारोबार तंत्र में तेजी से बदलाव ला रहा है। ई-कॉमर्स पिछले पाँच साल में काफी लोकप्रिय हुआ है। ई-कॉमर्स फाउंडेशन की ग्लोबल बिजनेस टू कंज्यूमर्स (बी2सी) ई-कॉमर्स रिपोर्ट 2016 के अनुसार साल 2015 में बी2सी ई-कॉमर्स बिक्री में सबसे ज्यादा हिस्सा चीन का था। इसके बाद अमेरिका और ब्रिटेन का स्थान था। विकसित देशों में ऑनलाइन खुदरा कारोबार एक आम बात हो चुकी है और वहाँ के कुल खुदरा लेन-देन में इसका 10% से 13% हिस्सा होता है।
भारत में बी2सी ई-कॉमर्स बिक्री 25.5 अरब डॉलर की है, जिससे दुनिया में इसका नौवाँ स्थान है और इसके बाद दसवें स्थान पर रूस है। लेकिन आश्चर्यजनक बात यह है कि भारत के कुल खुदरा कारोबार में भारतीय ऑनलाइन रिटेल का स्थान 1त्न से भी कम है। इसकी झलक इस बात से भी मिलती है कि भारतीय एमएसएमई के बीच ई-कॉमर्स (बी2सी) के जरिये सीमा पार व्यापार (सीबीटी) बहुत कम होता है और यह अभी अपरिपक्व अवस्था में ही है।
एमएसएमई उत्पादों के द्वारा निर्यात की कुल संभावना करीब 302 अरब डॉलर की है और इसमें 93 उत्पाद श्रेणियों के उत्पाद 159 देशों को निर्यात किये जाते हैं। भारत में कई ऐसे समूह (क्लस्टर) हैं, जहाँ से एमएसएमई उत्पादों को उत्तरी अमेरिका (यूएसए), यूरोप (ब्रिटेन, जर्मनी, इटली और फ्रांस), ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों (थाईलैंड, सिंगापुर, फिलीपींस और मलेशिया) को निर्यात किये जा सकते हैं। लेकिन पेट्रोलियम, मशीनरी, लोहा-इस्पात आदि उत्पादों को बी2सी ई-कॉमर्स निर्यात में शामिल नहीं किया जा सकता। इसलिए बी2सी ई-कॉमर्स के माध्यम से केवल 52 अरब डॉलर मूल्य के खुदरा निर्यात ही किये जा सकते हैं, जिनमें रत्न एवं आभूषण, तैयार चमड़े के सामान, हथकरघा उत्पाद, हस्तशिल्प, ऑटो एसेसरीज आदि जैसे 20 उत्पाद शामिल होते हैं।
फिक्की-आईआईएफटी रिपोर्ट के मुताबिक ऐसी चार आंतरिक विसंगतियाँ हैं, जो सूचना एवं संचार तकनीक (आईसीटी) के बुनियादी ढाँचे और समूचे एमएसएमई क्षेत्र के भागीदारों जैसे परिधान, चमड़ा, हस्तशिल्प, रत्न एवं आभूषण आदि में ई-पेमेंट और लॉजिस्टिक्स से जुड़ी हैं। अन्य समस्याओं में शामिल हैं - निर्यात ऑर्डर को पूरा कर पाने के लिए पर्याप्त आपूर्ति क्षमता का न होना, अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानक की आपूर्ति न होना, कमजोर लॉजिस्टिक्स, उत्पादों का अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए उपयुक्त न होना और कमजोर बुनियादी ढाँचा।
इसके अलावा कुशल कर्मियों की उपलब्धता की कमी, निजता और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ और वित्त की अनुपलब्धता ऐेसे कुछ अवरोध हैं, जो भारतीय एमएसएमई को ई-कॉमर्स की राह पर आगे बढऩे से रोक रहे हैं। इन विसंगतियों की वजह से एमएसएमई वैश्विक ई-कॉमर्स की तमाम संभावनाओं के बावजूद विदेशी खरीदारों तक नहीं पहुँच पाते।
हालाँकि अब ईबे, अमेजन और अलीबाबा जैसे ई-कॉमर्स के वैश्विक मंच भारतीय एमएसएमई इकाइयों से संपर्क कर रहे हैं कि वे अपने उत्पादों को वैश्विक बाजारों में पहुँचायें। लेकिन कुछ नीतिगत विसंगतियों की वजह से ई-कॉमर्स के जरिये एमएसएमई निर्यात को तेजी नहीं मिल पा रही है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि नीतिगत बुनियादी बदलावों से ई-कॉमर्स (बी2सी) के जरिये विदेश व्यापार मौजूदा 50 करोड़ डॉलर से बढ़ कर साल 2020 तक दो अरब डॉलर पर पहुँच जायेगा। यह भारत से निर्यात किये जा सकने वाले कुल खुदरा कारोबार का करीब 10% होगा।
(निवेश मंथन, जून 2017)

We are Social

Additionaly, you are welcome to connect with us on the following Social Media sites.

  • Like us on Facebook
  • Follow us on Twitter

Download Magzine

    Overview
  • 2016
    • July 2016
    • February 2016
  • 2014
    • January

बातचीत

© 2023 Nivesh Manthan

  • About Us
  • Blog
  • Contact Us
Go Top