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प्रधानमंत्री आवास योजना आशियाने का सपना

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Category: मई 2017

आप भी ले सकते हैं घर अपना

सबके लिए 2022 तक मकान उपलब्ध कराने के अभियान के तहत केंद्र सरकार ने 25 जून 2015 को प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) नाम से एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू किया है।

हालाँकि इस योजना को गति पकडऩे में कुछ समय लगा है। यहाँ तक कि राजधानी दिल्ली में ही दिल्ली सरकार की सहभागिता नहीं हो पाने से यह योजना अब तक लागू नहीं हो पायी थी और अब अप्रैल 2017 के अंत में केंद्रीय आवास मंत्रालय, डीडीए एवं डीयूएसआईबी के बीच समझौते को स्वीकृति मिल पायी है। मगर अब धीरे-धीरे यह योजना परवान चढऩे लगी है और निजी रियल एस्टेट कंपनियाँ भी अपना धंधा चमकाने का मौका देखते हुए इसमें बढ़-चढ़ कर भागीदारी करने के लिए तत्पर हो रही हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के प्रस्तावित निवेश से 18.75 लाख मकानों के निर्माण को स्वीकृति दी जा चुकी है। साथ ही 20 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री आवास योजना - ग्रामीण की भी शुरुआत की गयी है। क्या ये दोनों योजनाएँ सबके लिए आवास के सपने को पूरा करने के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था को भी एक नयी चाल देने में सफल रहेंगी? अरुण पांडेय की रिपोर्ट।
भू-संपदा
प्रधानमंत्री आवास योजना के चलते अब मध्यम ही नहीं, कम आय वालों के लिए भी सस्ते घरों का सपना हकीकत के काफी करीब नजर आने लगा है। हाल में इस योजना का दायरा बढ़ाया भी गया है, जिसके चलते अगर आपकी सालाना आय 18 लाख रुपये तक है, तो भी अब घर खरीदने के लिए आपको सरकार की सब्सिडी मिल सकती है। लेकिन ध्यान रखें कि इस योजना के लिए वक्त अब सिर्फ दिसंबर 2017 तक का ही बचा है, यानी उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है।
सरकार के हाल के फैसलों ने सस्ते आवासों की श्रेणी में एक नयी हलचल पैदा कर दी है। अब तक इन योजनाओं में भागीदारी के कतराने वाली निजी रियल एस्टेट कंपनियों में भी इनको लेकर नया जोश पैदा हुआ है, क्योंकि अब इन्हें ये परियोजनाएँ व्यावहारिक लगने लगी हैं। इसमें एक बड़ा योगदान इस साल के बजट में सस्ते आवासों की परियोजनाओं को बुनियादी ढाँचे का दर्जा दिये जाने का है।
साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) का दायरा बढ़ा कर अब सालाना 18 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को भी इसका लाभार्थी बनने की छूट दे दी गयी है। पहले इस योजना में केवल आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्लूएस - सालाना आय 3 लाख रुपये तक) और निम्न आय समूह (एलआईजी - सालाना आय 6 लाख रुपये तक) के लिए 6 लाख रुपये तक के आवास ऋण पर सब्सिडी देने का प्रावधान था। अब एमआईजी-1 (सालाना आय 6-12 लाख रुपये) और एमआईजी-2 (सालाना आय 12-18 लाख रुपये) की दो श्रेणियाँ मध्यम आय समूह के लिए भी बनायी गयी हैं। एमआईजी-1 के लोगों को 9 लाख रुपये तक के आवास ऋण पर 4% और एमआईजी-2 के लोगों को 12 लाख रुपये तक के आवास ऋण पर 3% ब्याज सब्सिडी मिलेगी।
इन दो नयी श्रेणियों को जोड़ कर सस्ते घरों की योजना में मध्यम आय वर्ग को भी शामिल करने से प्रधानमंत्री आवास योजना ने रफ्तार पकड़ ली है। अचानक ही इस योजना के दायरे में आने वाला संभावित बाजार बड़ा हो गया है। इससे रियल एस्टेट क्षेत्र को उम्मीद बंधी है कि उनके धंधे को लगी मंदी की बीमारी दूर हो सकती है।
निजी कंपनियों में जगा उत्साह
निजी डेवलपरों और बिल्डरों ने सुस्त पड़े अपने कारोबार में जान डालने के लिए सरकार की इस मुहिम का हिस्सा बनने के लिए जोर लगा दिया है। डेवलपरों को लगता है कि सस्ते घरों की योजना उनके लिए कारोबार बढ़ाने में काफी मददगार हो सकती है। यही वजह है कि डेवलपरों और बिल्डरों के संगठन क्रेडाई में शामिल रियल एस्टेट कंपनियों ने देश भर में सस्ते घरों की 375 परियोजनाएँ शुरू करने की घोषणा कर दी है। पहले इनकी संख्या 352 घोषित की गयी थी, जिसे बाद में बढ़ा कर 375 कर दिया गया। इनमें 38,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होगा।
क्रेडाई ने वादा किया है कि वह 17 राज्यों के 53 शहरों में 2.37 लाख सस्ते घर बनायेगा। इन सभी परियोजनाओं में कुल मिला कर करीब 38,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा।
क्रेडाई के मुताबिक महाराष्ट्र में करीब एक लाख, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में 41,921, गुजरात में 28,465, कर्नाटक में 7,037 और उत्तर प्रदेश में 6,000 से ज्यादा घर बनाने की योजना है। लेकिन क्रेडाई के मुताबिक देश में इस वक्त दो करोड़ घरों की कमी है और इस कमी को दूर करने के लिए बड़े पैमाने पर मुहिम छेडऩे के साथ तेज फैसले लेने होंगे। क्रेडाई की सदस्य रियल एस्टेट कंपनियों की इस पहल से प्रधानमंत्री आवास योजना में निजी क्षेत्र की सहभागिता जोर पकड़ेगी। जानकारों का यह मानना रहा है कि इस योजना की सफलता के लिए निजी क्षेत्र की सहभागिता जरूरी है।
18.75 लाख शहरी आवास
अभी हाल में 26 अप्रैल 2017 को केंद्र सरकार ने 100,537 सस्ते मकानों के निर्माण की स्वीकृति दी है, जिसे मिला कर अब तक 18.75 लाख सस्ते घरों के निर्माण को मंजूरी दी जा चुकी है। ये घर 34 राज्यों एवं संघ-शासित क्षेत्रों के 2,151 शहरों-कस्बों में कुल 100,466 करोड़ रुपये की लागत से बनाये जाने हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत केंद्र सरकार हर खरीदार को एक लाख से 2.35 लाख रुपये की मदद देगी।
इनमें से 10.65 लाख मकानों के लिए केंद्र सरकार लाभार्थी को नया मकान बनाने या मौजूदा मकान में सुधार के लिए 1.50 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देगी। वहीं 5.87 लाख मकानों की स्वीकृति सस्ते आवास की श्रेणी में दी गयी है, जिसमें आवासीय परियोजना के लिए राज्य सरकारें जमीन या वित्तीय सहायता उपलब्ध करायेंगी और केंद्र सरकार हर लाभार्थी के लिए 1.50 लाख रुपये की मदद करेगी।
सरकार का दावा है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अब तक 82,000 से ज्यादा घर बनाये जा चुके हैं, जिनमें से करीब 62,000 में तो लोग रहने भी लगे हैं। लेकिन सरकार इस बात से चिंतित है कि घरों के बनने की रफ्तार बहुत धीमी है। दरअसल सरकार ने जून 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना के आरंभ से 21 महीनों के अंदर घरों का निर्माण पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा है, लेकिन मौजूदा रफ्तार से इस लक्ष्य को पाना मुश्किल होगा।
क्रेडाई की सस्ते घरों की 352 परियोजनाएँ
- 15 लाख रुपये से 30 लाख रुपये तक कीमत
- 17 राज्यों के 53 शहरों में परियोजनाएँ
- 38,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा
- 2,03,857 सस्ते घर बनेंगे
प्रधानमंत्री आवास योजना, धीमी रफ्तार
- 17.73 लाख सस्ते घर बनेंगे
- कुल 95,660 करोड़ रुपये की लागत
- सरकार से हर घर के लिए 1-2.35 लाख रुपये की सब्सिडी
- अब तक 82,000 से ज्यादा घर बने
शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने सरकार की तरफ से रियल एस्टेट इंडस्ट्री को भरोसा दिया है कि नाबार्ड और हुडको प्रधानमंत्री आवास योजना में मिलने वाले फायदे इन परियोजनाओँ के सभी खरीदारों को उपलब्ध होना सुनिश्चित करायेंगे।
डेवलपरों की नजर मध्यम वर्ग पर
डेवलपरों को सबसे ज्यादा उम्मीद इस योजना की मध्यम वर्ग वाली श्रेणियों से है, क्योंकि अब इसमें मध्यम आय वर्ग के तहत सालाना 18 लाख रुपये तक कमाने वालों को भी सब्सिडी के दायरे में शामिल किया गया है। इसमें सालाना 12 लाख तक आय वालों को आवास ऋण (होम लोन) पर ब्याज में 4% सब्सिडी और 12-18 लाख रुपये आय वालों को भी 3% की सब्सिडी मिलेगी। ध्यान रहे कि 12 लाख रुपये तक आय वालों के लिए 9 लाख रुपये तक के ऋण पर और 18 लाख रुपये आय वालों के लिए 12 लाख रुपये तक के ऋण पर सब्सिडी मिलेगी।
प्रधानमंत्री आवास योजना : आप कैसे फायदा उठायें
अगर आपके माता-पिता का मकान है, तब भी आप इस योजना का फायदा उठा सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको तेजी दिखानी होगी, क्योंकि इसके लिए आपके पास अब 31 दिसंबर 2017 तक का ही वक्त बाकी है। मध्यम आय वर्ग वालों के लिए हाल में शुरू की गयी इस क्रेडाई लिंक्ड सब्सिडी स्कीम की मियाद एक साल की है और यह 1 जनवरी 2017 से शुरू हो चुकी है।
मध्यम आय वर्ग योजना
इस योजना की दो श्रेणियाँ हैं :
एमआईजी - 1 : यह उन लोगों के लिए है, जिनकी सालाना आय 6 लाख से 12 लाख रुपये के बीच है।
एमआईजी - 2 : जिनकी सालाना आय 12 लाख से 18 लाख रुपये के बीच है, उन्हें इस श्रेणी में रखा गया है।
किसको मिलेगा फायदा
जिनके पास खुद अपने या परिवार के सदस्य के नाम पर पहले से ही घर है, वे इस योजना का फायदा नहीं ले सकते। यहाँ परिवार में पति, पत्नी, अविवाहित बेटे और बेटी शामिल हैं। ऋण का आवेदन करते वक्त संबंधित व्यक्ति को अपना आधार नंबर देना होगा। लेकिन दिशानिर्देशों में यह भी कहा गया है कि कमाने वाले वयस्क व्यक्ति का खुद का देश में कहीं भी पक्का घर नहीं हो तो उसे इस योजना का फायदा मिलेगा।
सब्सिडी
1) मध्यम आय वर्ग में पहली श्रेणी में 9 लाख रुपये तक के ऋण पर 4% सब्सिडी
2) दूसरी श्रेणी यानी 12 लाख से 18 लाख रुपये सालाना आय वालों को 12 लाख रुपये तक के ऋण पर 3% सब्सिडी
3) निर्धारित रकम से ऊपर के ऋण पर कोई सब्सिडी नहीं मिलेगी।
योजना कैसे काम करेगी
मान लें मध्यम आय वर्ग की दूसरी श्रेणी में कोई व्यक्ति 60 लाख रुपये का मकान खरीदता है और वह 20% यानी 12 लाख रुपये डाउन पेमेंट कर देता है। बाकी बचे 48 लाख रुपये का वह आवास ऋण लेता है। प्रधानमंत्री आवास योजना में उसे 12 लाख रुपये तक के ऋण पर ब्याज में 3% सब्सिडी मिलेगी। बाकी 36 लाख रुपये के ऋण पर सब्सिडी नहीं मिलेगी।
सब्सिडी की गणना कैसे होगी
मिसाल के तौर पर, 12 लाख रुपये के ऋण पर 3त्न ब्याज सब्सिडी करीब 2.30 लाख रुपये बनती है। इसलिए 12 लाख रुपये के ऋण में से 2.30 लाख रुपये की रकम घटा दी जायेगी। बची हुई रकम यानी 9.7 लाख रुपये पर बैंक की दरों के हिसाब से ईएमआई चुकानी होगी। सरकार की सब्सिडी एक साथ मिलने से ईएमआई कम हो जायेगी।
प्रधानमंत्री आवास योजना में किसे ऋण मिलेगा?
- नया घर लेने के लिए
- पुराना घर खरीदने के लिए
- घर के निर्माण के लिए
आपको फायदा ही फायदा
लंबी अवधि में आपको ईएमआई में करीब 2,000 रुपये की बचत होगी। 20 साल में आपको ब्याज में लगभग 2.5 लाख रुपये की बचत होगी।
प्रधानमंत्री आवास योजना में घर का आकार
- मध्यम आय वर्ग-1 के लिए कार्पेट एरिया करीब 970 वर्ग फुट
- मध्यम आय वर्ग-2 के लिए कार्पेट एरिया 1184 वर्ग फुट
ऋण कहाँ से मिलेगा
- सरकारी और निजी बैंक
- हाउसिंग फाइनेंस कंपनियाँ
- ग्रामीण विकास बैंक
- शहरी और ग्रामीण सहकारी बैंक
बड़े शहरों, खास तौर पर दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू या हैदराबाद में घरों की कीमत 40 लाख से ऊपर होने की वजह से पहली नजर में मध्यम आय वर्ग के लिए यह योजना उतनी आकर्षक नहीं लगती। लेकिन ब्याज में एकमुश्त सब्सिडी मिलने की वजह से ईएमआई में अच्छी कमी आती है और लंबी अवधि में ब्याज में लाखों रुपये की बचत होती है। सस्ते घरों पर सरकार का जोर देखते हुए निजी डेवलपर भी जोर-शोर से इन योजनाओं में कूदने को तैयार बैंठे हैं। लंबे वक्त से सुस्त पड़े प्रॉपर्टी बाजार के लिए यह योजना एक अच्छा टॉनिक बन सकती है।
मोदी सरकार के लिए इस योजना की सफलता राजनीतिक रूप से भी काफी महत्व रखती है। सबके लिए 2022 तक मकान इस सरकार का एक प्रमुख राजनीतिक नारा है। केंद्रीय आवास मंत्री वेंकैया नायडू ने हाल में आँकड़े पेश कर बताया कि उनकी सरकार अब तक प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत 27,883 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता स्वीकृत कर चुकी है, जबकि पिछली सरकार ने अपने 10 वर्षों के दौरान 20,920 करोड़ रुपये की ही सहायता दी थी।
नायडू ने हाल में यह भी कहा है कि केंद्र सरकार जो कर सकती थी, वह कर चुकी है और अब सभी शहरी गरीबों को 2022 तक आवास मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) को आगे बढ़ाने का काम राज्य सरकारों का है। राजनीतिक नफा-नुकसान का गणित चाहे जो भी हो, पर यह तो निश्चित रूप से सच है कि इस योजना को अमली जामा पहनाने में राज्य सरकारों की एक बड़ी भूमिका है। अगर मोदी सरकार अपनी इस योजना को सफल होते देखना चाहती है तो उसे राज्य सरकारों का सक्रिय सहयोग लेना होगा।
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब सबको मकान देने की योजना का ऐलान किया तो अर्थव्यवस्था के जानकारों को लगा कि यह एक और सरकारी योजना है, जो व्यावहारिक नहीं है। लेकिन जैसे-जैसे यह योजना आकार ले रही है, उनका नजरिया भी बदलने लगा है।
हालाँकि अब भी सवाल कई हैं, जैसे कि जमीन कैसे मिलेगी, क्या निजी बिल्डर वाकई सस्ते मकान देंगे, पैसा कहाँ से आयेगा वगैरह-वगैरह। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी का शक्तिशाली पीएमओ इसके रास्ते सुझा रहा है और निगरानी भी कर रहा है।
गरीबी खत्म करने का शायद यह सबसे बड़ा तरीका साबित हो। अभी तक गरीबी से जुड़ी योजनाएँ बहुत कारगर नहीं रही हैं। लोगों का बेघर होना सबसे बड़ी दिक्कत रही है। 2013 में आवासीय समस्या पर आयी एक रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में करीब 4.5 करोड़ मकानों की कमी है। देश में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 90% लोगों के पास सिर छिपाने के लिए अपना घर नहीं है।
गाँवों में मकान की योजना शुरू करने के रास्ते की सबसे बड़ी चुनौती है भारी भरकम वित्तीय संसाधन। इसके लिए सरकार ने एकमुश्त बड़ी रकम का इंतजाम किया है।
हर घर के लिए सरकार कम-से-कम 1.5-1.6 लाख रुपये की मदद सुनिश्चित करायेगी। इसके अलावा, अगर जरूरत पड़ी तो उन्हें 70,000 रुपये तक का बैंक ऋण भी मुहैया कराया जायेगा।
इतने बड़े पैमाने पर घरों के लिए काबिल मिस्त्रियों और मजदूरों की जरूरत होगी। इसलिए सरकार ने 2019 तक गाँवों में 5 लाख मिस्त्रियों को प्रशिक्षित करने की भी योजना बनायी है।
इसके साथ ही पूरे देश में अलग-अलग राज्यों के हिसाब से 200 तरह के आवासीय डिजाइन भी तैयार किए जा रहे हैं। हर राज्य के मौसम, पर्यावरण और जरूरतों के ध्यान में रखते हुए आर्किटेक्ट घरों के नक्शे तैयार करेंगे।
घरों की लागत कम रखने के लिए कच्चा माल स्थानीय इलाकों से ही जुटाया जायेगा। खास बात यह होगी कि पहली बार गाँवों के घरों में भी बिजली की उचित व्यवस्था, किचन में रसोई गैस रखने की जगह, प्लेटफॉर्म, टॉयलेट और बाथरूम भी डिजाइन में शामिल होंगे।
इसी साल केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के दायरे से बाहर के ग्रामीण परिवारों के लिए भी एक नयी योजना शुरू की है। इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को नये घर बनाने या अपने मौजूदा पक्का मकान के विस्तार के लिए 2 लाख रुपये तक के ऋण पर 3% की ब्याज सब्सिडी मिलेगी।
सरकार इस बात का तरीका निकालने में जुटी है कि जिन लोगों के पास जमीन के कागजात नहीं हैं, उन्हें भी दिक्कत ना हो। आम तौर पर संपत्ति के दस्तावेज नहीं होने की वजह से बहुत-से गरीबों को सरकार की योजनाओं का फायदा नहीं मिल पाता। लेकिन एक बार यह हो गया तो छोटे-से घर में रहने वाला पूरा परिवार भी सरकार की बहुत-सी योजनाओं का फायदा उठा कर गरीबी के जंजाल से मुक्त हो सकता है।
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की 70% आबादी के पास अपने घरों और प्लॉट के मालिकाना हक के सबूत नहीं होते। यह मानवीय और आर्थिक दोनों तरह की समस्या है।
अगर लोगों को पक्के दस्तावेज वाला घर मिल जायेगा तो वे बिना डरे अपने काम पर ध्यान दे सकेंगे। संपत्ति कानूनी होने के बाद उन्हें जरूरत पडऩे पर बैंक में संपत्ति गिरवी रख कर कर्ज भी मिल सकता है।
ग्रामीण इलाकों में पक्के घर मिलने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि लोगों का पलायन काफी हद तक रोका जा सकेगा। जानकारों के मुताबिक शिक्षा और स्वास्थ्य से भी ज्यादा जरूरी है सबके लिए आवास। अगर प्रधानमंत्री मोदी की यह योजना सफल रही तो इसके चलते देश की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार और बढ़ेगी।
प्रधानमंत्री आवास योजना और पुरानी योजनाओं में फर्क
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) ने इंदिरा आवास योजना की जगह ली है। वर्ष 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इंदिरा आवास योजना शुरू की थी। लेकिन यह योजना अब प्रधानमंत्री आवास योजना में मिला दी गयी है। इंदिरा आवास योजना में 2015-16 के अंत तक 38 लाख घर बनाये जाने थे, लेकिन अभी तक सिर्फ 10 लाख घर ही पूरी तरह बन पाये हैं।
इंदिरा आवास योजना में केंद्र और राज्य सरकारें 60:40 के अनुपात में खर्च वहन करती थीं, जबकि पूर्वोत्तर राज्यों में यह अनुपात 90:10 का था और केंद्र शासित प्रदेशों में पूरा खर्च केंद्र उठाता था। नयी प्रधानमंत्री आवास योजना में भी अनुपात यही होगा, लेकिन फर्क यह होगा कि पूरा पैसा लाभार्थी के आधार से जुड़े बैंक खाते में डाला जायेगा।
राजीव गांधी आवास योजना अब प्रधानमंत्री आवास योजना
जानकारों के मुताबिक सरकार की योजना है तो अच्छी, पर इसके अमल में कई दिक्कतें आ सकती हैं। जैसे पहले सरकार आवास योजना का फायदा लेने वाले परिवार से छोटी रकम लेकर ज्यादातर फंड खुद मुहैया कराती थी। लेकिन अब जिसका घर बनेगा, उसे पूरा ऋण बैंक से लेना होगा और सरकार ब्याज में सब्सिडी देगी।
राजीव गांधी आवास योजना में केंद्र और राज्य सरकार, स्थानीय निकाय की हिस्सेदारी होती थी और हितग्राही की हिस्सेदारी 30,000 से 50,000 रुपये के बीच होती थी।
नयी प्रधानमंत्री आवास योजना में दो योजनाएँ हैं। एक योजना नया घर बनाने के लिए है, जबकि दूसरी योजना में मौजूदा घर की मरम्मत कराने के लिए भी मदद मिलती है। इसमें भी राज्य सरकार और स्थानीय निकाय को लागत का खर्च उठाना होगा।
नया घर बनाने के लिए सरकार की फंडडंग के बजाए हितग्राही को 6 लाख रुपये का ऋण 6.5% ब्याज सब्सिडी पर उपलब्ध कराया जायेगा। इसमें जानकारों को फिक्र है कि ऋण लौटाना हितग्राही के लिए बहुत मुश्किल काम होगा।
जानकारों के मुताबिक शहरों में आवास योजना का मकसद बेघरों को छत दिलाना है। फुटपाथ और पुलों के नीचे सोने वाले लोग भी इस योजना के हकदार हो सकते हैं। लेकिन अगर उन्होंने कर्ज ले भी लिया तो उसे अदा कैसे करेंगे?
दूसरी फिक्र है कि क्या बैंक ऐसे लोगों को ऋण देंगे, जिनकी कमाई का कोई नियमित साधन नहीं है?
जैसे, केरल में बैंकों की समिति ने बता दिया है कि अगले दो साल में सिर्फ 30,000 ऋण ही दिये जा सकेंगे। हालाँकि सरकार की दलील है कि बहुत-से लोग किराये के मकानों में भी रहते हैं और वे आसानी से कर्ज की किस्तें दे सकते हैं, इसलिए इस योजना का सफल होना तय है।
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी)
अमल में गुजरात सबसे आगे
- 20 मार्च, 2017 तक 30 राज्यों में 82,048 घर बने
- गुजरात में सबसे ज्यादा 25,873 घर
- राजस्थान में 10,805 घर
- कर्नाटक में 10,407 घर
- तमिलनाडु ने 6,940 घर बनाये
- महाराष्ट्र में सिर्फ 5,506 घर बने
- 3 साल में जेएनएनयूआरएम के तहत 3.55 लाख सस्ते घर बने
(निवेश मंथन, मई 2017)

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