Nivesh Manthan
Menu
  • Home
  • About Us
  • ई-पत्रिका
  • Blog
  • Home/
  • Niveshmanthan/
  • 2011/
  • दिसंबर 2011/
  • पेट्रोल-डीजल : राहत देना अब राज्यों के हाथ में
Follow @niveshmanthan

महिलाओं के जोखिम पर उचित ध्यान नहीं

Details
Category: अप्रैल 2017

पंकज राजदान, एमडी एवं सीईओ, बिड़ला सनलाइफ इंश्योरेंस :

महिलाएँ जीवन के हर क्षेत्र में पुरुषों के कंधे से कंधा मिला कर सक्रिय हैं। लेकिन महिलाओं के जीवन में जोखिमों के मद्देनजर उनका बीमा कराने पर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया गया है।

इसके पीछे कारण यह है कि बीमा को आय से जोड़ कर देखने की प्रवृत्ति है। लेकिन घरेलू महिला भी बिना भुगतान के जिन कार्यों का संपादन करती है, यदि उनके मौद्रिक मूल्य का आकलन करें तो घर के वित्त में इन महिलाओं का योगदान अतुलनीय मिलता है।
बिड़ला सनलाइफ इंश्योरेंस ने महिलाओं की जीवन बीमा खरीद और दावा प्रवृत्ति : 2017 शीर्षक से एक शोध रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के नतीजे चौंकाने और सतर्क करने वाले हैं। रिपोर्ट के मुताबिक आज भारत की शहरी इंटरनेट आबादी में मात्र 50% महिलाएँ ही बीमा के दायरे में हैं। इसके मुकाबले 72% पुरुषों ने जीवन बीमा पॉलिसियाँ खरीदी हुई हैं। भारत में कुल महिला आबादी की दृष्टि से बीमित महिलाओं की यह संख्या उम्मीद से काफी कम है। जिन महिलाओं के नाम पर बीमा पॉलिसियाँ खरीदी भी गयी हैं, उन्हें देखें तो पता चलता है कि अक्सर उनका बीमा बहुत सीमित है, यानी बीमा राशि समुचित नहीं है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि बिड़ला सनलाइफ इंश्योरेंस के संपूर्ण उपभोक्ता पोर्टफोलिओ में महिलाओं की हिस्सेदारी मात्र 23% है।
यदि आयु वर्ग के आधार पर बीमा धारक महिलाओं का अध्ययन करें तो नतीजे बीमा की परंपरागत धारणा के विपरीत मिलते हैं। आम तौर पर कहा जाता है कि किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन की शुरुआत से ही जीवन और आय से जुड़े जोखिमों की सुरक्षा के उपाय शुरू कर देने चाहिए। लेकिन सर्वेक्षण में पाया गया कि महिलाएँ 30 से 40 वर्ष के आयु वर्ग में पहुँचने पर ही सर्वाधिक बीमा पॉलिसियाँ खरीदती हैं। केवल 26% महिलाएँ ही स्वयं ही शुरू से,यानी 20 से 30 वर्ष के आयु वर्ग में, बीमा कराना आरंभ करती हैं। 20 वर्ष से कम आयु वर्ग में महज 2% महिलाओं के पास बीमा पॉलिसियाँ हैं। 24% महिलाओं ने 40 से 50 वर्ष के आयु वर्ग में पहुँच कर बीमा उत्पाद खरीदें हैं। 50 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में 15% महिलाओं के पास बीमा उत्पाद हैं। एक आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि महिलाओं में जीवन बीमा उत्पादों की खरीद की यह प्रवृत्ति जीवन बीमा उत्पादों की स्थापना की शुरुआत से इसी तरह चली आ रही है।
महिलाओं द्वारा खरीदे जाने वाले बीमा उत्पादों की प्रकृति पर नजर डालें तो महिलाओं की बीमा खरीद प्रवृत्ति आवश्यकता आधारित उत्पादों की ओर परिवर्तित हुई है। आज 52% महिलाओं के पास बचत संबंधित बीमा उत्पाद हैं, जिनमें चाइल्ड प्लान भी शामिल हैं। इसके बाद संपदा निर्माण पॉलिसियों की खरीद पर जोर है। पहले करीब 61% महिलाएँ केवल संपदा निर्माण संबंधी बीमा उत्पाद (यूलिप) खरीदती थीं, जबकि मात्र 29% महिलाओं ने बचत पॉलिसियाँ खरीदी थीं। महिलाएँ आज भी अपनी सेवानिवृत्ति, स्वास्थ्य़ और सुरक्षा संबंधी आवश्यकताओं को प्राथमिकता नहीं देतीं और उनके लिए योजना नहीं बनातीं। सर्वेक्षण के मुताबिक आज महिलाओं द्वारा खरीदे जाने वाले बीमा उत्पादों में बचत योजनाओं की हिस्सेदारी 52% है और संपदा निर्माण पॉलिसियों की हिस्सेदारी 38% है। मात्र 5% महिलाओं ने सेवानिवृत्ति पॉलिसियाँ खरीदी हैं, 3% महिलाओं के पास स्वास्थ्य बीमा है, जबकि 2% महिलाओं के पास जीवन सुरक्षा पॉलिसियाँ हैं। सभी आयु वर्ग की महिलाएँ प्राथमिक रूप से बचत संबंधी पॉलिसियाँ खरीदती हैं। यह प्रवृत्ति आयु बढऩे के साथ घटती जाती है। युवा महिलाएँ बचत संबंधी जीवन बीमा उत्पाद ज्यादा खरीदती हैं। आयु बढऩे के साथ खरीद प्रवृत्ति संपदा संबंधी बीमा उत्पादों की ओर मुडऩे लगती है। 50 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएँ बचत के मुकाबले संपदा संबंधी उत्पाद ज्यादा खरीदती हैं। महिलाओं द्वारा सेवानिवृत्ति पॉलिसियाँ अधिकांशत: 50 वर्ष से ज्यादा की उम्र होने पर खरीदी जाती हैं।
आय वर्ग के आधार पर देखें तो मध्य आय वर्ग की महिलाएँ जीवन बीमा उत्पाद खरीदने पर सर्वाधिक जोर देती हैं। मध्य आय वर्ग की महिलाएँ अपना अधिकांश निवेश बचत संबंधी बीमा उत्पादों में करती हैं, जबकि अन्य संपदा संबंधी उत्पादों और इसके बाद बचत संबंधी उत्पादों की खरीद करती हैं। निम्न आय वर्ग की महिलाओं में संपदा संबंधी पॉलिसियाँ सर्वाधिक लोकप्रिय हैं। सेवानिवृत्ति संबंधी उत्पादों की खरीद का सीधा संबंध उनकी बढ़ती आय से है। उच्च आय वर्ग की महिलाएँ अपनी सेवानिवृत्ति की बेहतर योजनाएँ बनाती हैं।
बिड़ला सनलाइफ इंश्योरेंस के दावा भुगतान आँकड़े बताते हैं कि लाभार्थी के रूप में महिलाओं के लाभान्वित होने की संख्या बढ़ी है। महिला नामितों के लाभान्वित होने का प्रतिशत पूर्ववर्ती वर्ष की तुलना में 2016-17 (जनवरी तक) में 4% बढ़ा है। 2016-17 में महिलाओं को हुए दावा भुगतान में हृदय संबंधी रोगों का आधार मुख्य रहा है, इसके बाद कैंसर का कारण है। दावों का अगला कारण अप्राकृतिक या दुर्घटना में मौत है।
आज महिलाएँ भी परिवार की कमाई और भावी लक्ष्यों में समुचित योगदान कर रही हैं। यदि महिला परंपरागत रूप में आय हासिल नहीं कर रही है, तो भी वह निश्चित रूप से घरेलू मामलों में पुरुष के मुकाबले ज्यादा योगदान करती है। हालाँकि हमने महिलाओं के जीवन से जुड़े जोखिमों पर समुचित ध्यान नहीं दिया है, जो कई बार पुरुषों के मुकाबले ज्यादा होते हैं। इससे स्पष्ट है कि महिलाओं को अपने परिवार के लोगों के जीवन में अपने महत्व को समझ कर ऐसे उपायों को चुनना चाहिए जो जीवन के जोखिम के प्रति सुरक्षा देते हों। ये उपाय आकस्मिक निधि हो सकते हैं और साथ ही ये भविष्य में महिला और उसके परिवार के वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करेंगे।
(निवेश मंथन, अप्रैल 2017)

7 Empire

अर्थव्यवस्था

  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) : भविष्य के अनुमान
  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) बीती तिमाहियों में
  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) बीते वर्षों में

बाजार के जानकारों से पूछें अपने सवाल

सोशल मीडिया पर

Additionaly, you are welcome to connect with us on the following Social Media sites.

  • Like us on Facebook
  • Follow us on Twitter
  • YouTube Channel
  • Connect on Linkedin

Download Magzine

    Overview
  • 2023
  • 2016
    • July 2016
    • February 2016
  • 2014
    • January

बातचीत

© 2025 Nivesh Manthan

  • About Us
  • Blog
  • Contact Us
Go Top