अरुण पांडेय :
सुपर स्टार बनने से ज्यादा मुश्किल है लंबे वक्त तक स्टारडम बनाये रखना।
डी-मार्ट चलाने वाली कंपनी एवेन्यू सुपरमार्ट अब ऐसी ही स्थिति में पहुँच गया है। 13 साल में सबसे जबरदस्त लिस्टिंग के बाद निवेशकों के मन में अब सबसे बड़ा सवाल यही है लिस्टिंग में 100% से ज्यादा मुनाफा मिलने के बाद अब आगे क्या होगा? इस शेयर में आगे बने रहें या मुनाफावसूली करें? इस तरह के शेयर में यह फैसला बहुत मुश्किल होता है। कंपनी बुनियादी रूप से मजबूत है, इसलिए यह कहा जा सकता है कि शेयर मजबूत जमीन पर खड़ा है।
इस शेयर में क्या करें?
जानकारों के मुताबिक एवेन्यू सुपरमार्ट के शेयर में फिलहाल बड़ी गिरावट की कोई आशंका नहीं है। लेकिन इसमें इन स्तरों से बड़ी तेजी की गुंजाइश भी नहीं है। कंपनी के फंडामेंटल के मुताबिक शेयर अब 600 से 700 रुपये के स्तरों के आसपास ही रहेगा।
बुनियादी स्थिति
शानदार प्रदर्शन में फ्यूचर रिटेल और स्पेंसर को काफी पीछे छोड़ दिया है। 2016 में डी-मार्ट की बिक्री 21% बढ़ी थी, जबकि फ्यूचर रिटेल की वृद्धि सिर्फ 9% और स्पेंसर की सिर्फ 8% थी। डी-मार्ट का एबिटा 657 करोड़ रुपये का रहा, जो फ्यूचर ग्रुप, स्टार बाजार और हाइपरसिटी से कई गुना ज्यादा है।
सिर्फ 1000 करोड़ रुपये का कर्ज। आईपीओ से जुटायी गयी रकम का इस्तेमाल कर्ज चुकाने में होगा।
20,000 करोड़ रुपये की कंपनी अब 40,000 करोड़ रुपये की हुई।
2015-16 में एवेन्यू सुपरमार्ट यानी डी-मार्ट को 8,600 करोड़ रुपये की आय में 320 करोड़ रुपये का मुनाफा, जबकि फ्यूचर रिटेल को 6,845 करोड़ रुपये की आय में सिर्फ 14 करोड़ रुपये मुनाफा।
कम वेतन वाले कर्मचारी रखने पर जोर। डी-मार्ट के एमडी नेविल नोरोन्हा को छोड़ कर किसी भी कर्मचारी का वेतन 1 करोड़ रुपये सालाना से ज्यादा नहीं।
नोरोन्हा का वेतन करीब 18 करोड़ रुपये सालाना, जबकि सीएफओ रमाकांत बहेती का वेतन 1 करोड़ रुपये से कम।
दूसरी रिटेल कंपनियों से बेहतर प्रदर्शन
वित्तीय पैमानों पर डी-मार्ट देश की सभी बड़ी रिटेल कंपनियों से बहुत आगे है। इसी वजह से इसे शानदार मूल्यांकन मिला है। इसने फ्यूचर रिटेल ही नहीं, रिलायंस रिटेल को भी क्षमता के लिहाज से बहुत पीछे छोड़ दिया है।
डी-मार्ट का ऑपरेटिंग मार्जिन 7.9% है, जबकि फ्यूचर रिटेल का ऑपरेटिंग मार्जिन सिर्फ 3.2% है। दरअसल फ्यूचर रिटेल के किराये के खर्च उसका मार्जिन ले उड़ते हैं, जबकि डी-मार्ट खुद अपनी संपत्ति पर स्टोर खोलना पसंद करती है।
डी-मार्ट की प्रति वर्ग मीटर पर आय 24,000 रुपये है, जबकि फ्यूचर रिटेल में सिर्फ 13,000 रुपये। डी-मार्ट की किराया लागत कुल बिक्री का सिर्फ 0.2% है, जबकि फ्यूचर रिटेल की किराया लागत 8% है।
डी-मार्ट को 8,600 करोड़ रुपये की सालाना आय पर 320 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ। जबकि किशोर बियानी की फ्यूचर रिटेल को सालाना 6845 करोड़ की आय में सिर्फ 14.5 करोड़ का मुनाफा मिला। रिलायंस रिटेल को 18,399 करोड़ रुपये की आय में सिर्फ 306 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ। आरपीजी की स्पेंसर की २०१५-16 में आय तो 1,881 करोड़ रुपये रही, लेकिन उसे 168 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।
लागत कम रखने पर जोर
महँगे मॉल में किराये पर स्टोर लेने के बजाय अपनी संपत्ति पर स्टोर खोलना
भारी भरकम छूट की योजना के बजाय सस्ता माल बेचने का फॉर्मूला
राधाकृष्ण दमाणी के कारोबारी दिमाग पर बाजार का भरोसा
डी-मार्ट के सामने चुनौतियां
फ्यूचर रिटेल, आदित्य बिड़ला रिटेल, ट्रेंट जैसे रिटेल चेन जब सालों से संघर्ष कर रही हैं, ऐसे में डी-मार्ट के संस्थापक और प्रमोटर राधाकृष्ण दमाणी के हाथ ऐसा कौन सा फॉर्मूला आ गया कि कंपनी तमाम रुकावटों को छलांग लगा कर पार कर गयी? क्या दमाणी का मॉडल आगे आने वाली चुनौतियों का सामना कर पायेगा। खास तौर पर यह देखते हुए कि दुनिया की सबसे बड़ी रिटेल कंपनी वॉलमार्ट ने भारत में छोटे-बड़े सभी शहरों में अपने स्टोर खोलने का ऐलान कर दिया है।
1. सबसे सस्ता, लेकिन कब तक
राधाकृष्ण दमाणी ने अपना डी-मार्ट ब्रांड बिना शोर-शराबा किये बनाया। उनका ध्यान सस्ते सामान लेकिन बेहतर गुणवत्ता पर रहा। इससे डी-मार्ट ने वफादार ग्राहक तैयार कर लिये। डी-मार्ट ने अभी तक बड़ा विस्तार नहीं किया है, इसलिए इस फॉर्मूले पर अमल करना आसान था। लेकिन आगे का रास्ता उसके लिए कठिन होगा।
2. वॉलमार्ट समेत दूसरी रिटेल कंपनियों से मुकाबला
अभी डी-मार्ट की मौजूदगी देश के पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों में ही है। पूरे देश में डी-मार्ट के 41 शहरों में सिर्फ 119 स्टोर हैं। इतने कम स्टोर होने और सीमित इलाकों की वजह से इनका प्रबंधन करना कहीं आसान रहा है। वहीं दूसरे प्रतिद्वंद्वियों, जैसे रिलायंस रिटेल के देश भर के 80 शहरों में करीब 500 रिटेल स्टोर हैं। फ्यूचर रिटेल ने तो लगभग हर बड़े शहर में बिग बाजार नाम से अपने मेगास्टोर खोल दिये हैं। वॉलमार्ट ने भी ऐलान किया है कि वह उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मध्यम शहरों में भी स्टोर खोलेगा। ऐसे में डी-मार्ट के लिए लागत कम रखना बहुत मुश्किल होगा।
3. तकनीक में बदलाव
डी-मार्ट के प्रमोटर राधाकृष्ण दमाणी का मंत्र है धीमी लेकिन लगातार वृद्धि। लेकिन जिस तेजी से तकनीक बदल रही है, वह बड़ी चुनौती बन कर सामने आने वाली है। जैसे स्मार्टफोन का इस्तेमाल अब छोटे शहरों में भी बहुत तेजी से बढ़ रहा है। सरकार भी डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दे रही है। ऐसे में ऑनलाइन रिटेल कंपनियाँ मौजूदा रिटेल कंपनियों के विकास में बड़ी रुकावट बन सकती हैं। खास तौर पर ऑनलाइन रिटेलरों को बुनियादी ढाँचे में ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता, जिससे उनकी लागत कम होती है और वो ज्यादा छूट देने की स्थिति में होती हैं।
ऑनलाइन रिटेलर बड़ी चुनौती
इन आँकड़ों पर गौर करें
पेमेंट फर्म वल्र्डपे की रिपोर्ट के मुताबिक 2034 तक भारत ई-कॉमर्स में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बाजार होगा।
उद्योग संगठन फिक्की और पीडब्लूसी की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 तक 65 करोड़ लोग ऑनलाइन होंगे। इसमें 25 करोड़ करीब 3300 अरब रुपये की ऑनलाइन खरीदारी करेंगे।
पैकेज्ड कंज्यूमर गुड्स में करीब 330 अरब रुपये का ऑनलाइन कारोबार होने की उम्मीद है।
भारत में ई-कॉमर्स उद्योग सालाना 180% की रफ्तार से बढ़ रहा है। खास तौर पर नोटबंदी के बाद डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने से इसकी विकास दर लगातार बढ़ रही है।
सबसे बड़ा सवाल यही है कि परंपरागत शैली से काम करने के लिए मशहूर राधाकृष्ण दमाणी क्या ऑनलाइन कारोबार में भी जाना पसंद करेंगे? क्या ऑनलाइन श्रेणी में जाने से डी-मार्ट मौजूदा कारोबारी मॉडल की सफलता कायम रख पायेगी?
अमेरिकी मॉडल को देखा जाये तो रिटेल कंपनियों के लिए वृद्धि की मौजूदा रफ्तार बनाये रखना करीब असंभव होगा। अमेरिका में कई रिटेल चेन अपने स्टोर बंद कर रही हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगले कुछ महीनों में अमेरिका में 3,500 से ज्यादा रिटेल स्टोर बंद हो जायेंगे।
डी-मार्ट चलाने वाली कंपनी एवेन्यू सुपरमार्ट के शेयरधारकों को अब इस पर बहुत बारीकी से नजर रखनी होगी। शानदार लिस्टिंग के दम पर राधाकृष्ण दमाणी ने अमीरी में अनिल अंबानी, अनिल अग्रवाल और राहुल बजाज को भी पीछे छोड़ दिया है। लेकिन असली चुनौती तो अब शुरू होगी, जब वे डी-मार्ट का देश के दूसरे इलाकों में भी विस्तार करेंगे। इस काम में उनको मिलने वाली सफलता ही आगे यह तय करेगी कि दमाणी भारतीय अमीरों की सूची में और ऊपर जाते हैं या नीचे फिसलते हैं।
राधाकिशन दमाणी या नये रजनीकांत!
निवेश सलाहकार पी. वी. सुब्रमण्यम की कुछ चुटीली टिप्पणियाँ, जिनका अंदाजे-बयाँ ऐसा है मानो राधाकिशन दमाणी शेयर बाजार के नये रजनीकांत बन गये हों!
एक रिटेल चेन की बाजार पूँजी 40,000 करोड़ रुपये। अब तो रिलायंस भी सस्ता लग रहा है!
शायद दमाणी अपने कुछ शेयर बेच कर वालमार्ट, कॉस्टको और क्रोगर को खरीद सकेंगे?
अब "अमेजिंग लेसंस फ्रॉम दमाणी" जैसी किताबें बाजार में जल्दी ही आयेंगी, बहुत जल्दी!
बहुत जल्द डीमार्ट की बाजार पूँजी अमेरिका की जीडीपी के बराबर हो जायेगी!
डीमार्ट इश्यू का नतीजा? अगले सारे आईपीओ "अगला डीमार्ट" लगने लगेंगे। हा हा!
अगर डीमार्ट अगले 30 वर्षों तक 35% की दर से बढ़ा तो उसकी बाजार पूँजी (मार्केट कैप) कितनी होगी? सोच लो!
पी. वी. सुब्रमण्यम, बाजार विश्लेषक
(निवेश मंथन, अप्रैल 2017)