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अब 2 लाख रुपये से ज्यादा नकद भुगतान नहीं

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Category: अप्रैल 2017

राजीव रंजन झा :

22 मार्च को विपक्षी दलों की ओर से विरोध के बीच लोक सभा में वित्त विधेयक 2017 पारित कर दिया गया।

नये वित्त वर्ष के लिए अपनी कर योजना बनाते समय आपको इसके प्रावधानों का ध्यान रखना होगा। इसके तहत 1 अप्रैल 2017 से आय कर से जुड़े नियमों में कई बदलाव किये गये हैं, जिनमें आधार कार्ड की अनिवार्यता सबसे महत्वपूर्ण है। करदाताओं के आधार कार्ड का पैन कार्ड से जुड़ा होना भी अब जरूरी होगा।
सरकार द्वारा डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने की नियत से इस विधेयक में बजट प्रस्तावों में एक अहम बदलाव करते हुए नकद भुगतान सीमा को 3 लाख रुपये से घटा कर 2 लाख रुपये कर दिया गया है। किसी भी सौदे में अब 2 लाख रुपये से अधिक राशि का नकद भुगतान करना प्रतिबंधित है, भले ही वह भुगतान 2 लाख रुपये से कम की अलग-अलग छोटी किश्तों में किया जा रहा हो। ऐसा करने पर नकद भुगतान की राशि के बराबर ही जुर्माना लगेगा। यह जुर्माना नकद भुगतान पाने वाले को चुकाना होगा।
आय कर रिटर्न के लिए सहज फॉर्म
बजट में यह प्रस्ताव रखा गया था कि सालाना 5 लाख रुपये तक की गैर-कारोबारी आय वाले व्यक्तिगत करदाताओं को एक पन्ने का रिटर्न फॉर्म भरना होगा और पहली बार इस श्रेणी में रिटर्न दाखिल करने वालों की जाँच-पड़ताल नहीं की जायेगी। इस नये फॉर्म का नाम आईटीआर 1 - सहज रखा गया है। अब संशोधित वित्त विधेयक के तहत 50 लाख रुपये तक की सालाना आय वाले लोग भी इस फॉर्म का उपयोग कर सकेंगे। मगर यह फॉर्म उन करदाताओं के लिए है जिनकी आय वेतन और अन्य स्रोतों जैसे ब्याज आदि से ही है और जिनके पास केवल एक ही मकान है।
जिन लोगों ने नोटबंदी के दौरान एक या कई किश्तों में 2 लाख रुपये या इससे अधिक की नकदी बैंकों में जमा करायी हो, उन्हें अपना रिटर्न दाखिल करते समय इसका जिक्र करना होगा। सहज फॉर्म में एक कॉलम यह बताने के लिए रखा गया है कि करदाता ने 9 नवंबर से 30 दिसंबर 2016 के बीच कितनी नकद राशि बैंक में जमा करायी।
नये आय कर प्रावधान
नये प्रावधानों के अनुसार 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी वालों को अब 10% के बजाय केवल 5% आय कर देना होगा। हालाँकि साथ ही धारा 87ए के तहत कर देनदारी पर मिलने वाली 5,000 रुपये की कटौती अब घट कर 2,500 रुपये रह गयी है। आय कर की दर घटने और 87ए की कटौती घटने का सम्मिलित असर यह होगा कि सालाना तीन लाख रुपये तक की कर योग्य आमदनी वाले लोगों को पहले की तरह ही शून्य कर देना होगा, जबकि सालाना पाँच लाख रुपये की कर योग्य आय वाले लोगों को 12,500 रुपये की बचत हो जायेगी।
इसके अलावा, एक करोड़ रुपये से अधिक आमदनी वालों को सरचार्ज और सेस सहित 14,806 रुपये की बचत होगी। नये नियमों के अनुसार 50 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये सालाना कमाने वालों को 10% सरचार्ज और 1 करोड़ रुपये से अधिक आमदनी वालों को 15% सरचार्ज देना होगा।
रिटर्न में आलस, तो भरें जुर्माना
वित्त वर्ष 2017-18 से टैक्स रिटर्न भरने में देरी करने वालों पर ज्यादा जुर्माना भी लगेगा। रिटर्न दाखिल करने की तय तिथि (31 जुलाई) के बाद, मगर 31 दिसंबर या इससे पहले रिटर्न दाखिल करने पर 5,000 रुपये का विलंब शुल्क जमा करना होगा। 31 दिसंबर के भी बाद रिटर्न भरने पर यह विलंब शुल्क 10,000 रुपये होगा। हालाँकि जिन करदाताओं की वार्षिक आय 5 लाख रुपये से अधिक नहीं होगी, उनके लिए यह शुल्क 1,000 रुपये ही रहेगा।
कैपिटल गेन के नियम बदले
भूसंपत्तियों के मामले में अब दो साल पुरानी संपत्ति पर भी 20% का दीर्घावधि पूँजीगत लाभ कर (लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स) देना होगा, जबकि पहले कम-से-कम तीन साल पुरानी संपत्ति को ही लंबी अवधि की श्रेणी में रखा जाता था। इस बदलाव के कारण अब पूँजीगत लाभ पर कम कर भुगतान करना होगा। दूसरी ओर अब लागत सूचकांकीकरण (कॉस्ट इंडेक्सेशन) के आधार वर्ष को 1 अप्रैल 1981 से बदल कर 1 अप्रैल 2001 कर दिया गया है।
राजीव गाँधी इक्विटी सेविंग्स स्कीम में निवेश करने पर 2017-18 से कर छूट नहीं मिलेगी। हालाँकि जिन लोगों ने 1 अप्रैल 2017 से पहले के ऐसे निवेश पर छूट का दावा किया होगा तो उन्हें अगले 2 साल तक इसका लाभ मिलेगा।
सरकार ने इस साल के वित्त विधेयक में राजनैतिक दलों के लिए जगह बनाते हुए प्रावधान रखा है कि अब लोग इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये राजनैतिक दलों को चंदा दे सकेंगे। साथ ही किसी व्यक्ति या कंपनी द्वारा किसी पार्टी को चंदा देने की ऊपरी सीमा समाप्त कर दी गयी है। बहरहाल, नये कर नियमों का सबसे अधिक नाखुश करने वाला बिंदु यह है कि आयकर अधिकारी बिना कोई कारण बताये छापा मार सकेंगे। यही नहीं, आय कर विभाग व्यक्ति की संपत्ति अस्थायी रूप से जब्त भी कर सकता है।
(निवेश मंथन, अप्रैल 2017)

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