विजय मंत्री, को-प्रमोटर, बकफास्ट फाइनेंशियल एडवाइजरी :
डेब्ट फंडों को सामान्यत: एक सुरक्षित निवेश समझा जाता है।
लेकिन फरवरी के तीसरे हफ्ते में टॉरस म्यूचुअल फंड के कई डेब्ट फंडों के निवेशक यह जान कर स्तब्ध रह गये कि उनकी योजनाओं के एनएवी में एक ही दिन में 12% तक की गिरावट आ गयी। दरअसल 22 फरवरी 2017 को टॉरस डायनामिक इन्कम फंड और टॉरस अल्ट्रा शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड के एनएवी में 11.8%, टॉरस शॉर्ट टर्म इन्कम फंड के एनएवी में 11.1% और टॉरस लिक्विड फंड के एनएवी में 7.2% की तीखी गिरावट एक झटके में आ गयी।
एक लिक्विड फंड के लिए एनएवी में ऐसी गिरावट अकल्पनीय है। दरअसल इन फंडों के एनएवी में उतार-चढ़ाव सबसे कम होता है और गिरावट की संभावना तो बहुत कम रहती है। मगर टॉरस के डेब्ट फंडों में ऐसी गिरावट इसलिए आ गयी कि इसने बल्लारपुर इंडस्ट्रीज (बिल्ट) के ऋण-पत्रों में भारी निवेश कर रखा था और इंडिया रेटिंग्स ने बिल्ट की रेटिंग को अचानक काफी घटा दिया।
इंडिया रेटिंग्स ने बिल्ट की दीर्घावधि रेटिंग को बीबीबी- से घटा कर डी कर दिया, जो सबसे निचली रेटिंग है और भुगतान में चूक (डिफॉल्ट) हो जाने या जल्दी ही होने की आशंका को दर्शाती है। साथ ही इसने बिल्ट के सावधि ऋण, एनसीडी और कमर्शियल पेपर आदि की रेटिंग को घटा कर सी पर ला दिया, जो भुगतान में चूक के ऊँचे जोखिम का सूचक है। टॉरस शॉर्ट टर्म इन्कम फंड, टॉरस अल्ट्रा शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड और टॉरस डायनामिक फंड तीनों के निवेश पोर्टफोलिओ में लगभग 12% हिस्सेदारी बिल्ट के विभिन्न ऋण प्रपत्रों की थी, जबकि टॉरस लिक्विड फंड में इनकी हिस्सेदारी 4.3% थी। हालाँकि जानकारों की सलाह है कि इन फंडों के निवेशकों को घबराहट में इनसे बाहर निकलने की जरूरत नहीं है, क्योंकि जो नुकसान होना था वह पहले ही हो चुका है। वहीं भविष्य में अगर टॉरस के ये फंड बिल्ट से पैसे वापस निकाल पाते हैं, तो उसका फायदा निवेशकों को मिलेगा।
इससे पहले ऐसी ही घटना अगस्त 2015 में जेपी मॉर्गन इंडिया शॉर्ट टर्म इन्कम फंड और जेपी मॉर्गन इंडिया ट्रेजरी फंड के निवेशकों के साथ हो चुकी है। इन फंडों ने एम्टेक ऑटो की रेटिंग घटने के बाद इनके कॉर्पोरेट ऋण पत्रों में किये गये अपने निवेश को बट्टे खाते में डालने का फैसला किया था, जिससे इनकी एनएवी एकदम से नीचे आ गयी थी। हालाँकि बाद में फंड को एम्टेक ऑटो से अपने पैसे की बड़ी मात्रा वसूल करने में सफलता मिल गयी थी, मगर इस झटके के बाद फंड संकट में फँस गया था और अंतत: 2016 में इडेलवाइज एसेट मैनेजमेंट ने खरीद लिया था।
डायरेक्ट प्लान और स्टार रेटिंग का घनचक्कर
हाल में एक फंड हाउस की डेब्ट योजनाओं की एनएवी एक ही दिन में 7% से 12% तक गिर गयी। इस गिरावट का मतलब यह है कि जिस निवेशक ने इस फंड हाउस के डेब्ट फंड में निवेश कर रखा था, उसका पोर्टफोलिओ एक ही दिन में, या कह लें कि रातों-रात ही 1 लाख रुपये से घट कर 88,000 रुपये से 93,000 रुपये तक का रह गया। यहाँ तक कि लिक्विड फंडों के एनएवी भी इस गिरावट से बचे नहीं रह सके।
इस फंड के जिन निवेशों पर इस गिरावट का असर पड़ा, उनके कुल एयूएम (प्रबंधन अधीन संपदा) में से लगभग 76% हिस्सा "डायरेक्ट" या प्रत्यक्ष तरीके से आया था। मतलब यह कि निवेशकों से बिना किसी वितरक की मदद के खुद ही इन योजनाओं में सीधे पैसा लगाया था। इनमें 92% संपदा बड़ी कंपनियों और बैंकों की थी। ये सभी अपने निवेश को सँभालने के लिए कुशल कर्मचारियों को रखते हैं, और उनमें से बहुतों के लिए निवेश का प्रबंधन करना उनकी गतिविधियों का केवल एक हिस्सा है। सबसे ज्यादा विडंबना की बात यह थी कि इन फंडों को कुछ फंड रेटिंग कंपनियों से ऊँची रेटिंग मिली हुई थी। इस घटना के मुख्य सबक क्या हैं?
1. निवेश और व्यक्तिगत वित्त प्रबंधन एक विशेषज्ञता वाला विषय है। कोई फाइनेंस की पृष्ठभूमि से है और आँकड़ों को समझने में अच्छा है, इसका यह मतलब नहीं होता कि वह अपने निवेशों को सँभालने में भी सक्षम है। खास कर तब तक नहीं, जब तक वह इसे एक पूर्णकालिक काम की तरह न करे।
2. हालाँकि अधिकांश फंड हाउस और वितरक आपको कुछ गिनी-चुनी योजनाओं से आगे नहीं बतायेंगे, हमारा मानना है कि यह सबसे बेहतर निवेश रणनीति नहीं है। एक निवेशक को अपना निवेश कम-से-कम 7-8 फंड हाउसों या 10 के करीब फंड हाउसों में बाँट कर रखना चाहिए। बहुत-से वितरक यह रणनीति नहीं बताते हैं, ताकि इस तरह की रणनीति को सँभालने के लॉजिस्टिक्स से बचा जा सके।
3. फंड का चुनाव करने के लिए रेटिंग एजेंसियों पर आँखें मूँद कर भरोसा न करें। इन रेटिंग एजेंसियों का पिछला रिकॉर्ड बड़ा उल्टा-पुल्टा रहा है। वे यह नहीं बतातीं कि उन्होंने अतीत में क्या रेटिंग दी थी या उन्होंने जिन फंडों की रेटिंग की उनका प्रदर्शन कैसा रहा है। इसलिए फंडों की रेटिंग को केवल शुरुआत करने के एक साधन के रूप में देखें।
4. बड़े निवेशकों या कॉर्पोरेट निवेशकों का अंधानुकरण नहीं करें। अगर आप इन बातों का ध्यान रखेंगे तो आपका निवेश कहीं ज्यादा सुरक्षित रहेगा!
(निवेश मंथन, मार्च 2017)
Vijay Mantri