अनिल चोपड़ा, ग्रुप सीईओ, बजाज कैपिटल :
जब आप सावधि बीमा (टर्म प्लान) ले रहे हों, तो इन योजनाओं की तुलना करने के लिए प्रीमियम के साथ-साथ कई और बातों पर भी नजर डालनी चाहिए।
जैसे, आप यह देखें कि किस योजना में कितनी राशि तक का सावधि बीमा बिना चिकित्सा जाँच (मेडिकल चेकअप) के मिल जाता है। पहली चीज यह कि कंपनी बिना चिकित्सा जाँच के सावधि बीमा दे रही है या नहीं, और देते हैं तो उसकी क्या शर्तें हैं? क्या उसके लिए कोई उम्र सीमा रखी गयी है? इसके अलावा, बीमा कंपनी का दावा निपटारा अनुपात (क्लेम सेट्लमेंट रेश्यो) भी जरूर देखें। यह एक महत्वपूर्ण पैमाना है। इससे यह पता चलता है कि बीमा कराने के बाद जब कोई दावा (क्लेम) आता है, तो वे कितने प्रतिशत मामलों में भुगतान कर देते हैं।
अगर किसी का दावा भुगतान अनुपात 90% के आसपास है, तो बाद में उस कंपनी से दावे का भुगतान लेने में परेशानी हो सकती है। संभव है कि कंपनी कोई-न-कोई कारण दे कर, जैसे कि आपने अपनी बीमारी छिपा ली थी, भुगतान देने से मना कर सकती है। आपकी आय के मुताबिक कंपनी कितनी राशि तक का बीमा मुहैया करायेगी, यह भी पूछना चाहिए। अगर किसी की आय कम है और वह एक करोड़ रुपये का सावधि बीमा कराना चाहे तो संभव है कि कंपनी मना कर दे। कितनी राशि तक का बीमा मिल सकता है, यह उम्र, मोटापा, धूम्रपान, पहले से मौजूद बीमारियों, जैसे मधुमेह वगैरह पर निर्भर करता है। सावधि बीमा चुनते समय यह भी जानकारी लेनी चाहिए कि क्या टीआरओपी का विकल्प है? टीआरओपी का मतलब टर्म विद रिटर्न ऑफ प्रीमियम, यानी ऐसा सावधि बीमा जिसमें योजना अवधि पूरी होने पर प्रीमियम की राशि वापस लौटा दी जाती है। सामान्य रूप से सावधि बीमा योजना की अवधि पूरी होने तक अगर बीमाधारक जीवित रहे तो कुछ भी पैसा वापस नहीं मिलता है। पर चूँकि लोग इसे नुकसान वाला सौदा मानते हैं, इसलिए कुछ कंपनियों ने सावधि बीमा का यह प्रारूप निकाला है। इसमें योजना अवधि पूरी होने तक अगर बीमाधारक की मृत्यु नहीं होती है, तो प्रीमियम के तौर पर जितना पैसा जमा किया गया हो वह मूल राशि वापस मिल जाता है, हालाँकि उस पर कोई प्रतिफल नहीं मिलता है। मगर टीआरओपी का प्रीमियम शुद्ध सावधि बीमा से ज्यादा होता है।
(निवेश मंथन, मार्च 2017)