सेंट्रल पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेज एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (सीपीएसई ईटीएफ) का दूसरा भाग मंगलवार 31 जनवरी 2017 को प्रीमियम के साथ सूचीबद्ध (लिस्ट) हुआ।
इस ईटीएफ के एफएफओ यानी फर्दर फंड ऑफर में 25.21 रुपये का मूल्य रखा गया था। यह 6.11% बढ़त के साथ 26.75 रुपये पर सूचीबद्ध हुआ। यह 31 जनवरी को अंत में कुछ और ऊपर 6.55% बढ़त के साथ 26.86 रुपये पर बंद हुआ। सीपीएसई ईटीएफ का पहला भाग 2014 में 4300 करोड़ रुपये के एनएफओ के साथ आया था, जिसका प्रबंधन गोल्डमैन सैक्स एएमसी ने किया था। इस एएमसी को बाद में रिलायंस म्यूचुअल फंड ने खरीदा था।
सीपीएसई ईटीएफ भाग 2 का यह एफएफओ रिलायंस म्यूचुअल फंड ने 17-20 जनवरी 2017 के दौरान प्रस्तुत किया है। यह एफएफओ 4,500 करोड़ रुपये का था, मगर अधिक आवेदन (ओवरसब्सक्रिप्शन) होने की स्थिति में इसे 6,000 करोड़ रुपये तक बढ़ाने का प्रावधान था। इसमें 2.30 गुना यानी कुल 13,802 करोड़ रुपये के आवेदन आये।
इस एफएफओ में सभी वर्गों में 5% की छूट दी गयी थी। खुदरा निवेशकों ने अच्छी भागीदारी की और ऐंकर निवेशक के अलावा शेष इश्यू का लगभग 60% हिस्सा खुदरा निवेशकों के खाते में ही गया। विभिन्न श्रेणियों के कुल 2.65 लाख से अधिक निवेशकों ने आवेदन किया। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने इसमें 3,500 करोड़ रुपये से अधिक के आवेदन किये।
आम तौर पर जानकारों ने इस एफएफओ में निवेश करने की सलाह दी थी। वैल्यू रिसर्च के सीईओ धीरेंद्र कुमार का कहना है कि यह ईटीएफ चुने हुए 10 पीएसयू शेयरों को लेकर बनाया गया है और वे शेयर इस समय काफी सस्ते भी हैं। साथ ही ईटीएफ के रास्ते से निवेश करने पर विविधीकरण भी हो जा रहा है। लिहाजा उनका मानना था कि इस ईटीएफ में निवेश किया जा सकता है। धीरेंद्र की राय में इस एफएफओ को लाने का समय थोड़ा आकर्षक था, क्योंकि इससे संबंधित शेयर अपने निचले स्तरों पर हैं। गौरतलब है कि ये 10 चुनिंदा पीएसयू हैं ओएनजीसी, कोल इंडिया, इंडियन ऑयल, गेल इंडिया, पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन, आरईसी, कंटेनर कॉर्पोरेशन, बीईएल, ऑयल इंडिया और इंजीनियर्स इंडिया।
बजाज कैपिटल के सीईओ अनिल चोपड़ा ने भी सीपीएसई ईटीएफ के एफएफओ को निवेशकों के लिए एक बेहतर मौका बताया था। यह ईटीएफ एक तरह से सरकार के लिए विनिवेश का ही जरिया है, क्योंकि इसमें पीएसयू कंपनियों में सरकार का हिस्सेदारी फंड को बेची गयीं और उसकी यूनिटें फंड के निवेशकों को मिली हैं। अनिल चोपड़ा के मुताबिक यह सरकार के लिए आसान तरीका है और इसकी लागत सस्ती पड़ती है। गौरतलब है कि इस साल के बजट में यह संकेत दिया गया है कि सरकार विनिवेश के लिए आगे और भी सीपीएसई ईटीएफ लायेगी।
एनएसई में बीएसई के शेयरों की शानदार लिस्टिंग
शुक्रवार 3 फरवरी 2017 को एशिया के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज बीएसई का शेयर शानदार 34.62% प्रीमियम के साथ प्रतिद्वंद्वी एक्सचेंज एनएसई में सूचीबद्ध (लिस्ट) हुआ। बीएसई के आईपीओ का इश्यू भाव 806 रुपये था, जिसकी तुलना में इसका पहला सौदा 1,085 रुपये पर हुआ। अपने पहले दिन के कारोबार में बीएसई का शेयर 3 फरवरी को ऊपर 1200 रुपये तक चढ़ा, जबकि नीचे 1065 रुपये तक गया और अंत में 1069.20 रुपये पर बंद हुआ। इस शेयर का अंकित मूल्य 2 रुपये है। बीएसई भारत का पहला ऐसा स्टॉक एक्सचेंज है, जो सूचीबद्ध हुआ है।
यह आईपीओ 23 जनवरी 2017 को खुल कर 25 जनवरी 2017 को बंद हुआ। अधिकांश विश्लेषकों ने इसमें आवेदन करने की सलाह दी थी। इस के लिए निवेशकों में जबरदस्त उत्साह दिखा और इश्यू के आकार की तुलना में 51 गुना आवेदन हासिल हुए। वही उत्साह सूचीबद्ध होने के समय इस शेयर के भावों में भी दिखा। इससे पहले 09 मार्च 2012 को भारत में पहला कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स सूचीबद्ध हुआ था। देश का प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज एनएसई भी अपनी सूचीबद्धता की तैयारी कर रहा है और इसने बाजार नियामक सेबी के पास अपना मसौदा दस्तावेज दाखिल कर दिया है। माना जा रहा है कि अगले कुछ महीनों में एनएसई का भी आईपीओ बाजार में आ जायेगा।
सोशल ट्रेड की 3,700 करोड़ की ठगी
उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने एक ऐसी कंपनी का भंडाफोड़ किया है, जिसने सोशल ट्रेड डॉट बिज और कुछ अन्य नामों से वेबसाइटें चला कर 7 लाख लोगों से 3,700 करोड़ रुपये ठगे। कयास है कि ठगी की रकम 5,000 करोड़ रुपये तक भी हो सकती है। एसटीएफ ने कंपनी के दफ्तर पर छापा मारकर इसके मालिक अनुभव मित्तल और उसके दो साथियों, श्रीधर प्रसाद और महेश दयाल को हिरासत में ले लिया। एसटीएफ के मुताबिक इस घोटाले का शिकार राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, पंजाब समेत कई राज्यों के लोग हुए हैं। बीटेक डिग्रीधारक अनुभव मित्तल ने नोएडा में एब्लेज इन्फो सॉल्यूशंस नाम से कंपनी बना कर कई नामों से वेबसाइटें चलायीं।
कंपनी ने शुरू में कहा कि पैसा लगाने वालों को एक साल के अंदर दोगुनी रकम वापस की जायेगी। इस आधार पर लोगों को लालच दे कर वेबसाइट पर लाखों लोगों के रजिस्ट्रेशन करवा कर एक बार में पाँच हजार रुपये से लेकर 1.15 लाख रुपये तक का निवेश करवाया गया। दरअसल कंपनी ने अपनी धाक जमाने और लोगों को विश्वास दिलाने के लिए शुरू में लोगों को फायदा भी पहुँचाया, जिससे इसका नेटवर्क मजबूत हुआ और लोग लालच में इसकी तरफ आकर्षित हुए। कंपनी से किसी के जुडऩे के बाद उसे फायदा उठाते देख उसके संपर्क के दूसरे लोग भी इस नेटवर्क से जुड़ते चले गये। लोग इस कंपनी में निवेश करते और उन्हें घर बैठे कुछ लिंक पर क्लिक करना होता था। हर क्लिक के बदले उन्हें 5 रुपये मिलते थे। स्कीम के तहत हर सदस्य को अपने नीचे दो और लोगों को जोडऩा था, जिसके लिए हर सदस्य को अतिरिक्त पैसे मिलते। श्रृंखलाबद्ध ढंग से लोगों को जाल में फँसाने के इस तरीके को पोंजी योजना कहा जाता है। मगर आखिरकार एक समय इसका बुलबुला फूटता ही है और वही इस कंपनी के साथ भी हुआ है।
(निवेश मंथन, फरवरी 2017)