इस साल बजट के बाद शेयर बाजार ने शानदार तेजी दिखायी।
बजट में बाजार को क्या पसंद आया है, यह बता रहे हैं मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के सीएमडी मोतीलाल ओसवाल। उनका मानना है कि नोटबंदी से पैदा हुए दर्द और पाँच राज्यों में होने वाले चुनाव के मद्देनजर कुछ लोकप्रिय उम्मीदों को पूरा करते हुए भी वित्त मंत्री ने राजकोषीय अनुशासन का पालन किया है। निवेशकों के लिए उनकी सलाह है कि वे निवेशित रहें, आगे अच्छे दिन हैं।
बजट प्रस्तावों में मेरे हिसाब से मुख्य बातें ये हैं कि ग्रामीण भारत में ज्यादा खर्च किया जाये, सामाजिक रूप से लाभकारी और बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को ज्यादा आवंटन मिले, विकास को बढ़ावा दिया जाये, करदाताओं को कुछ कर लाभ मिले और व्यापार सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) एवं शासन-संचालन (गवर्नेंस) में सुधार हो, हालाँकि राजकोषीय समझदारी के रास्ते में थोड़ा विलंब किया गया है। हाल की नोटबंदी से पैदा हुए दर्द और पाँच राज्यों में होने वाले चुनाव के मद्देनजर कुछ लोकप्रिय उम्मीदों को पूरा करते हुए भी वित्त मंत्री ने राजकोषीय अनुशासन का पालन किया है। लगता है कि इस साल अग्रिम कर (एडवांस टैक्स) संग्रह में अब तक की सबसे तेज वृद्धि ने उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया है।
जल्दी ही जीएसटी लागू होने वाला है, इसलिए वित्त मंत्री ने अप्रत्यक्ष करों को मुख्यत: बिना किसी बदलाव के छोड़ दिया है। उन्होंने प्रत्यक्ष करों में कुछ-कुछ बदलाव किये हैं। एक तो 2.5 लाख से पाँच लाख रुपये तक की व्यक्तिगत आय कर श्रेणी के लिए कर की दर 10% से घटा कर 5% कर दी है। वहीं 50 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये तक की आय पर 10% का अतिरिक्त अधिभार (सरचार्ज) लगाया गया है। दूसरी ओर एमएसएमई के लिए आय कर की दर 5% घटा कर 25% करने का फैसला हुआ है, जिसके चलते वित्त मंत्री संग्रह में थोड़ी कमी की संभावना देख रहे हैं। अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कई बार गरीबों एवं समाज के वंचित वर्गों को दिये जाने वाले लाभों और ग्रामीण खर्च बढ़ाने की चर्चा की। इसी के अनुरूप मनरेगा के लिए अब तक का सबसे ऊँचा आवंटन किया गया है। किसानों की आय पाँच साल में दोगुनी करने का उनका लक्ष्य प्रशंसनीय है। यही बात ग्रामीण गरीबी दूर करने, युवाओं में पेशेवर कौशल विकसित करने, छोटे उद्यमियों को प्रोत्साहन देने और शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश करने वाली योजनाओं के बारे में कही जा सकती है।
बुनियादी ढाँचे पर ध्यान बनाये रखा गया है और आम बजट में रेल बजट को एकीकृत किये जाने से यह और स्पष्ट दिखता है। मेरा मानना है कि इससे परिवहन के वैकल्पिक साधनों यानी सड़क, रेलवे, जलमार्ग और वायुमार्ग के बीच ज्यादा तालमेल होगा। वित्त मंत्री ने रेलवे सुरक्षा की स्थिति सुधारने के लिए प्रावधान तो किया ही है, उन्होंने वित्तीय जवाबदेही बढ़ाने का भी संकेत दिया है। उनके पूरी बजट प्रस्तुति में डिजिटल लेन-देन को प्रोत्साहन देने की बात सामने आती रही और ऑनलाइन टिकट बुकिंग में सर्विस चार्ज खत्म करने से भी यह बात स्पष्ट है।
रियल एस्टेट क्षेत्र पिछले 2-3 वर्षों की मंदी से सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ है। हाल की नोटबंदी ने इस क्षेत्र के लिए चुनौतियों को और बढ़ाया ही है। हाल में प्रधानमंत्री ने सस्ते घर खरीदने के लिए कर्ज लेने वालों को ब्याज में छूट की घोषणा की थी। इस बजट में सस्ते आवासीय क्षेत्र क बुनियादी ढाँचे का दर्जा दे दिया गया है। सस्ते घरों के लिए आकार के पैमाने को 30-60 वर्ग मीटर बिल्ट अब क्षेत्र से बढ़ा कर 30-60 मीटर कार्पेट क्षेत्र कर दिया गया है। डेवलपरों को अनबिके घरों की इन्वेंट्री पर कर में भी कुछ राहत दी गयी है। इन उपायों से रियल एस्टेट क्षेत्र को अपनी चुनौतियों से पार पाने में मदद मिलेगी।
इस साल के बजट में संभवत: सबसे ज्यादा कदम नकद-रहित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ाये गये हैं। इसमें पीओएस मशीनों पर कर छूट दी गयी है और डिजिटल लेन-देन के लिए तकनीकी बुनियादी ढाँचा बनाने को प्रोत्साहित किया गया है। इसमें तीन लाख रुपये से अधिक के किसी भी लेन-देन पर रोक लगायी गयी है और राजनीतिक चंदों में भी पारदर्शिता लाने का प्रयास हुआ है। राजनीतिक दलों को 2,000 रुपये से अधिक के नकद चंदे लेने से मनाही होगी और ज्यादा राशि के चंदे चेक या डिजिटल तरीके से लेने होंगे। इस बजट में आरबीआई की ओर से चुनावी बॉन्ड का भी प्रस्ताव है। आरबीआई चेक या डिजिटल भुगतान पर ये बॉन्ड जारी करेगा, जिससे राजनीतिक दलों को गुमनाम चंदे दिये जा सकें।
घरेलू और विदेशी दोनों तरह के प्रत्यक्ष निवेशकों के लिए वित्त मंत्री ने व्यापार को आसान बनाने का प्रयास किया है। उन्होंने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को ज्यादा उदार बनाने और एफआईपीबी को क्रमश: समाप्त करने की घोषणा की है। वित्तीय बाजारों को यह पसंद आया है कि कर राजस्व बढ़ाने के लिए उन्होंने इंस्पेक्टर राज की वापसी होने का संकेत मात्र भी नहीं दिया है, और इसके बदले नैतिक प्रेरणा का रास्ता चुना है। उन्होंने समझाते-बुझाते हुए तर्क दिया है कि भारत में कर चोरी बहुत ज्यादा प्रचलति है। ऐसी स्थिति में उन्होंने ईमानदार करदाताओं के लिए कुल कर देनदारी में कटौती की है और वे इसके चलते कर अनुपालन बढऩे की उम्मीद कर रहे हैं।
ऐतिहासिक रूप से देखें तो इक्विटी ही लंबी अवधि के नजरिये से सबसे अच्छा निवेश वर्ग रहा है। मुझे विश्वास है कि लंबी अवधि के निवेशकों के लिए इतिहास खुद को इसी तरह दोहराता रहेगा। इसलिए निवेशित रहें, निवेशकों के लिए आगे अच्छे दिन हैं।
(निवेश मंथन, फरवरी 2017)