मंगलवार यानी 14 मई 2013 को ग्वार सीड और ग्वार गम का वायदा कारोबार फिर से आरंभ हो गया।
ग्वार के कारोबारियों और किसानों की ओर से दोबारा ग्वार में वायदा कारोबार में शुरू करने की माँग पर आर्थिक सलाहकार परिषद की तरफ से सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट पर मुहर लगने के बाद इसमें वायदा कारोबार शुरू हुआ। फिर से शुरू हुए कारोबार के पहले दिन नेशनल कमोडिटीज ऐंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) और मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में ग्वार गम और ग्वार सीड में तीखी गिरावट दर्ज की गयी। जहाँ कारोबार के दौरान ग्वार सीड में 10% तक की गिरावट आयी, वहीं दिन के दौरान ग्वार गम में 8% की गिरावट देखी गयी। अगर बात एनसीडीईएक्स की करें तो ग्वार गम का जुलाई कांट्रैक्ट गिर कर 27280 रुपये प्रति क्विंटल और जून कांट्रैक्ट फिसल कर 28150 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। इससे पहले एनसीडीईएक्स पर ग्वार गम का जून कांट्रैक्ट 30700 रुपये प्रति क्विंटल पर खुला।
दूसरी ओर एनसीडीईएक्स पर ग्वार सीड के कारोबार में भी तेज गिरावट देखी गयी। एनसीडीईएक्स पर ग्वार सीड का जून कांट्रैक्ट गिर कर 9460 रुपये प्रति क्विंटल और जुलाई कांट्रैक्ट 9470 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। इस शुरुआत के पहले दिन एनसीडीईएक्स पर 5664 टन ग्वार सीड और 1014 टन ग्वार गम का कारोबार हुआ। दूसरी ओर कारोबार के पहले दिन एमसीएक्स पर जून कांट्रैक्ट 9505 रुपये और जुलाई कांट्रैक्ट 9445 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। एमसीएक्स में 2136 ग्वार सीड तथा 126 टन ग्वार गम का कारोबार हुआ।
दरअसल काफी समय कारोबार बंद रहने के बाद वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) ने विभिन्न कड़ी शर्तों के साथ ग्वार सीड और ग्वार गम में वायदा कारोबार शुरू करने की अनुमति दे दी है। अगर हम पीछे मुड़ कर देखें तो मार्च 2012 में एनसीडीईएक्स से ग्वार का कारोबार हटाये जाने के समय वायदा में ग्वार गम और ग्वार सीड में भारी मात्रा में कारोबार हो रहा था और इनकी कीमतों में अचानक काफी तेजी आ गयी थी। यहाँ तक कि 21 मार्च 2012 को एनसीडीईएक्स पर ग्वार गम का भाव बढ़ कर 100195 रुपये प्रति क्विंटल और ग्वार सीड का भाव 30533 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। ऐसे में कीमतों में आयी तेजी से बाजार नियामक को संदेह हुआ और इसने 27 मार्च 2012 से ग्वार के वायदा कारोबार पर रोक लगा दी थी। बाजार नियामक का मानना था कि सटोरियों की भूमिका की वजह से ग्वार के कारोबार में अनियमितता आयी थी।
एफएमसी ने एमसीएक्स और एनसीडीईएक्स को ग्वार सीड और ग्वार गम के जून, जुलाई, अक्टूबर व नवंबर कांट्रैक्ट आरंभ करने की अनुमति तो जरूर दी है, लेकिन पारदर्शिता लाने और जोखिम प्रबंधन के लिए एफएमसी की ओर से कारोबार की शर्तों में कई महत्वपूर्ण बदलाव किये गये हैं। वायदा बाजार आयोग के पारदर्शिता लाने के उपायों के तहत मांगे जाने पर एक्सचेंजों को वायदा कारोबार में लगायी गयी रकम का विस्तृत विवरण भी उपलब्ध कराना होगा। यही नहीं, वायदा एक्सचेंज पर ग्वार सीड और ग्वार गम में निवेशकों के पास स्टॉक पोजीशन की स्थिति और उनके पास हाजिर स्टॉक की जानकारी भी माँगी जा सकेगी। अब निवेशकों को ग्वार में लगायी जाने वाली रकम का स्रोत भी बताना होगा। ग्वार सीड और ग्वार गम में डिलीवरी अनिवार्य की गयी है। साथ ही पूरे कारोबार पर एफएमसी की कड़ी नजर रहेगी।
वहीं दूसरी ओर जोखिम प्रबंधन के लिए ग्वार सीड और ग्वार गम के कांट्रैक्ट में विशेष मार्जिन का प्रावधान वायदा बाजार आयोग की ओर से किया गया है। विशेष मार्जिन का यह प्रावधान इसलिए किया गया है कि कीमतों में ज्यादा उतार-चढ़ाव न हो। एफएमसी की ओर से तय किये गये फॉर्मूले के अनुसार किसी कांट्रैक्ट की अवधि में अगर कीमतें बढ़ती है तो मार्जिन भी अपने आप बढ़ जायेगा। भाव 20-30% बढऩे पर 10%, 30-40% बढऩे पर 20%, 40-50% बढऩे पर 30% और भाव 50% से ज्यादा बढऩे पर 50% विशेष मार्जिन लगेगा।
बाजार के जानकारों का कहना है कि ग्वार सीड और ग्वार गम में वायदा कारोबार आरंभ होने से किसानों को ग्वार के अंतरराष्ट्रीय भाव मिलेंगे और संबंधित कारोबारियों व उद्योगों को अपने जोखिम का प्रबंधन करने में मदद मिलेगी। चूँकि इस बार ग्वार का उत्पादन अधिक हुआ है, ऐसे में किसानों के पास अभी भी अच्छी मात्रा में ग्वार का स्टाक है। इसका किसानों को फायदा मिल सकता है।
(निवेश मंथन, जून 2013)