घटती माँग से फीके हुए तिमाही नतीजे
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- Category: दिसंबर 2012
कारोबारी साल 2012-13 की दूसरी तिमाही में कंपनियों के नतीजे बाजार के अनुमानों से कुछ फीके ही रहे।
चार्ट के कैंडल से मुनाफे की रोशनी
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- Category: दिसंबर 2012
सुनील मिंगलानी, तकनीकी विश्लेषक :
तकनीकी विश्लेषण भाव को पढऩे की कला है, वह भाव जो प्रतिदिन बाज़ार में कारोबार करने से हमें मिलता है।
कब थमेगी विकास दर में गिरावट?
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- Category: दिसंबर 2012
कारोबारी साल 2012-13 की दूसरी तिमाही में देश की आर्थिक विकास दर यानी जीडीपी बढऩे की रफ्तार 5.3% रहने पर जानकार ज्यादा मायूस नहीं हुए।
लाखों की डिग्री, पर नौकरी के लाले
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- Category: दिसंबर 2012
शिव ओम गुप्ता :
क्या आप अपने खून-पसीने की कमाई किसी ऐसी जगह पर निवेश करना पसंद करेंगे, जिस पर लाभ मिलने में संशय हो और नतीजे आत्मघाती होते हों?
अदालत से कुछ राहत : फरवरी तक पैसे लौटाये सहारा समूह
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- Category: दिसंबर 2012
सर्वोच्च न्यायालय ने निवेशकों की रकम लौटाने के लिए सहारा समूह को कुछ समय दे दिया है।
मुनाफावसूली है संभव, पर मध्यम-लंबी अवधि में तेजी
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- Category: दिसंबर 2012
राजीव रंजन झा:
महीने भर पहले जब मैंने निवेश मंथन के नवंबर अंक में राग बाजारी के शीर्षक में लिखा कि निफ्टी का अगला स्वाभाविक लक्ष्य है 5978, तो मुझे लिखने से पहले जरा सोचना पड़ा था।
काली मिर्च में उछाल की उम्मीद
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- Category: दिसंबर 2012
राजीव कपूर : कमोडिटी प्रमुख, ट्रस्टलाइन सिक्योरिटीज :
भारतीय भोजन में खूब इस्तेमाल होने वाली काली मिर्च या गोल मिर्च मसालों के दुनिया भर के कारोबार में सिरमौर है।
मध्यम अवधि में सोना जायेगा 35,000 पर
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- Category: दिसंबर 2012
सुगंधा सचदेव, धातु विश्लेषक, रेलिगेयर कमोडिटीज :
अगर बीते एक दशक में सोने के भावों को देखा जाये तो इसकी चाल को सुनहरी दौड़ का नाम दिया जा सकता है।
दिन में शेयरों के सौदे
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- Category: दिसंबर 2012
इंजीनियरिंग प्रथम वर्ष के एक छात्र को पिता ने गिटार खरीदने के पैसे नहीं दिये तो उसने अपनी बचत के पैसे से शेयरों में खरीद-बिक्री की और उसके मुनाफे से गिटार खरीद ली।
भारत में उतारी नयी रेंज रोवर कार
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- Category: दिसंबर 2012
टाटा मोटर्स की सब्सीडियरी कंपनी जगुआर लैंड रोवर ने भारत में एसयूवी कार का नया संस्करण पेश किया है।
पुराने सवालों में नयी धार
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- Category: नवंबर 2012
राजेश रपरिया, सलाहकार संपादक :
केजरीवाल ने रिलायंस इंडस्ट्रीज पर जो आरोप लगाये हैं, उन पर कॉर्पोरेट जगत की चुप्पी असाधारण है। राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया भी रस्म-अदायगी से ज्यादा कुछ नहीं रही।
ओबामा की जीत के मायने
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- Category: नवंबर 2012
अगर अमेरिकी राष्ट्रपति को चुनने के लिए अमेरिका के बदले बाकी दुनिया के लोगों को मतदान करना होता, तो शायद बराक ओबामा कहीं ज्यादा बड़े बहुमत से या एकदम इकतरफा ढंग से जीत जाते।
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