डॉ. यू. एस. अवस्थी, एमडी, इफको :
जिस तरह गैस का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए नया निवेश आकर्षित करने के मकसद से गैस की कीमतें बढ़ाने का फैसला किया गया है, उसी तरह का नजरिया खाद उद्योग के लिए भी अपनाया जाना चाहिए।
खाद की कीमतों को भी सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाना चाहिए और इसे बाजार आधारित अर्थव्यवस्था का हिस्सा समझना चाहिए।
इसके अलावा, सरकार को चाहिए कि वह किसानों को सब्सिडी या सहायता देने की कोई अन्य प्रणाली विकसित करे। यह तरीका किसानों को सीधे नकद हस्तांतरण का हो सकता है। इस समय खाद उद्योग को भुगतान में देरी की विकट समस्या का सामना करना पड़ रहा है। गैस की कीमत बढऩे से खाद उद्योग की समस्याएँ और भी बढ़ जायेंगी, जिससे इस उद्योग पर काफी बुरा असर होगा।
(निवेश मंथन, जुलाई 2013)