दिनेश ठक्कर, सीएमडी, एंजेल ब्रोकिंग :
बाजार ब्याज दरों में कम-से-कम 0.25% अंक की कटौती की उम्मीद करके चल रहा था, इसलिए 18 जून को आरबीआई की बैठक में इनमें कोई बदलाव नहीं होना निराशाजनक है। लेकिन यह सच है कि विकास दर में काफी कमी आने के बावजूद महँगाई दर ऊपरी स्तरों पर अटकी है, जिससे मौद्रिक नीति बनाना काफी चुनौती भरा हो गया है।
अगर कमजोर माँग की वजह से कोर इन्फ्लेशन में कमी आती है, तो आने वाली तिमाहियों में ब्याज दरें घटने की संभावना रहेगी। हालाँकि दरों में इस कमी की रफ्तार पिछले अनुमानों से धीमी रहेगी।
आरबीआई ने 18 जून को अपनी नीतिगत समीक्षा में रेपो दर और रिवर्स रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया। इसने नकद सुरक्षित अनुपात (सीआरआर) को भी पिछले स्तर पर ही बनाये रखा। आरबीआई ने अपनी समीक्षा में कहा है कि अप्रैल में उसकी सालाना नीति घोषित होने के बाद से विश्व अर्थव्यवस्था और वित्तीय स्थितियाँ बिगड़ी हैं। उसका यह भी कहना है कि अप्रैल में इसने रेपो दर को 0.50% अंक घटा कर समय से थोड़ा पहले ही अपनी नीतिगत दरों में कमी कर दी थी। साथ में इसने कहा कि अप्रैल में उसका यह कदम इस सोच के आधार पर उठाया गया था कि महँगाई पर नियंत्रण पाने के लिए सरकारी घाटे में कमी के जरूरी उपाय किये जायेंगे।
(निवेश मंथन, अगस्त 2012)