निर्णय के खिलाफ बीमा कंपनियों की ओर से उच्च न्यायालय में अपील करते वक्तमुआवजा राशि जमा नहीं करने पर मुंबई उच्च न्यायालय ने खिंचाई की है।
कामगार मुआवजा अधिनियम, 1923 के तहत अपील दाखिल करते वक्त बीमा कंपनी के लिए मुआवजे की राशि न्यायालय में जमा करना जरूरी है। दुर्घटना पीडि़तों के लिए मुआवजे के एक मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ए. एच. जोशी ने कहा कि अक्सर बीमा कंपनियाँ मुआवजे की रकम जमा किये बिना अपील कर देती हैं। कामगार मुआवजा अधिनियम की धारा 30 के अनुसार अपील के साथ जमा राशि का प्रमाण-पत्र लगाना जरूरी होता है। यह नियम पिछले 90 वर्षों से लागू है। फिर भी बीमा कंपनियाँ इस कानून पालन नहीं कर रही हैं। गौरतलब है कि एक दुर्घटना में ट्रक क्लीनर विकलांग हो गया था। इस मामले में निचली अदालत ने बीमा कंपनी को तीन लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था। बीमा कंपनी ने इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर की, लेकिन इसने अपील से पहले न्यायालय में मुआवजे की रकम जमा नहीं की।
बीमा एजेंट बनने की परीक्षा पास करना हुआ सरल
बीमा नियामक आईआरडीए ने बीमा कंपनियों में एजेंटों की नियुक्ति प्रक्रिया को सरल कर दिया है। आईआरडीए ने एजेंटों की नियुक्ति के लिए होने वाली परीक्षा में 35% अंक पाने वाले परीक्षार्थी को भी उत्तीर्ण कर दिया जायेगा। यह नियम तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। इससे पहले इस परीक्षा 50% अंक पाने वाले को ही उत्तीर्ण घोषित किया जाता था। आईआरडीए ने बीमा कंपनियों को भेजे पत्र में कहा है कि यह कदम बीमा एजेंटों की नियुक्ति में हो रही व्यावहारिक कठिनाइयों को लेकर उठाया गया है। बीमा एजेंटों की भर्ती के लिए परीक्षा में शामिल होने वाले प्रत्याशियों की संख्या में कई कारणों से लगातार कमी आ रही है। इसमें 50% अंक हासिल करने की शर्त को प्रमुख कारण पाया गया है। इसी बात को ध्यान में रख कर इस शर्त में ढील दी गयी है।
थॉमस मैथ्यू टी बने एलआईसी के अंतरिम चेयरमैन
देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के अंतरिम चेयरमैन के पद पर केंद्र सरकार ने थॉमस मैथ्यू टी की नियुक्ति की है। थॉमस मैथ्यू टी का कार्यकाल केवल एक माह शेष होने की वजह से यह नियुक्ति 30 जून 2013 तक के लिए ही हुई है। एलआईसी के निवर्तमान चेयरमैन डी के मेहरोत्रा के सेवानिवृत होने के बाद यह पद रिक्त हुआ था। थॉमस मैथ्यू टी साल 2006 से एलआईसी के प्रबंध निदेशक (एमडी) थे।
साथ ही केंद्र सरकार ने एस के राय को एलआईसी का नया प्रबंध निदेशक बनाया है। एस के राय इससे पहले एलआईसी में ही कार्यकारी निदेशक थे। संभावना जतायी जा रही है कि जून के अंत में मैथ्यू का कार्यकाल खत्म होने के बाद चेयरमैन पद राय को सौंपा जा सकता है। एलआईसी के एक अन्य एमडी सुशोभन सरकार भी इस पद के एक प्रमुख संभावित दावेदार बताये जा रहे हैं।
डाक विभाग की मुहिम गाँव के हर परिवार का होगा बीमाभारतीय डाक विभाग ने ग्रामीण डाक जीवन बीमा को लेकर देश भर में मुहिम चलायी है। इसके तहत प्रत्येक जिले के 15 गाँवों का चुनाव करके उसके हर परिवार को इस बीमा से लाभांवित करने की योजना है। इस योजना में चुने हुए गाँवों के प्रत्येक परिवार के एक सदस्य का बीमा किया जायेगा। इसमें दस हजार से पाँच लाख रुपये तक का बीमा होगा।
डाक विभाग गाँवों का सर्वेक्षण करा कर पूरे आँकड़े जुटा रहा है कि प्रत्येक गाँव में कितने परिवार हैं, इनमें कितने का बीमा हुआ है और कितनों का नहीं। प्रत्येक वर्ष का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
डाक विभाग का कहना है कि गाँवों में इसे चलाने का मूल उद्देश्य है कि शहर में काफी लोगों का बीमा होता है, लेकिन गाँव के लोग इससे अछूते रह जाते हैं। इस योजना के तहत गाँवों को गोद लेकर बीमा किया जा रहा है। इससे ग्रामीणों में जागरूकता आयेगी और वे आर्थिक रूप से समृद्ध भी होंगे।
विदेश में बीमा कारोबार पर सशर्त मुहर
बीमा नियामक आईआरडीए ने बीमा कंपनियों को कुछ शर्तों के साथ विदेश में कारोबार करने की अनुमति दे दी है। इसके लिए सुदृढ़ आर्थिक स्थिति और कम-से-कम तीन वर्ष परिचालन का अनुभव जरूरी होगा।
आईआरडीए ने विदेश में जीवन, गैर-जीवन और पुनर्बीमा कारोबार शुरू करने के संबंध में भारतीय कंपनियों के लिए दिशानिर्देश जारी किये हैं। इसके अनुसार, 500 करोड़ रुपये का नेटवर्थ रखने वाली जीवन बीमा कंपनी विदेश में कारोबार के लिए आवेदन कर सकती है। वहीं विदेश में कारोबार शुरू करने का इरादा रखने वाली साधारण बीमा कंपनी का न्यूनतम नेटवर्थ 250 करोड़ रुपये होना चाहिए। पुनर्बीमा में कंपनी का नेटवर्थ 750 करोड़ रुपये होना चाहिए।
(निवेश मंथन, जून 2013)