Nivesh Manthan
Menu
  • Home
  • About Us
  • ई-पत्रिका
  • Blog
  • Home/
  • 2013/
  • मार्च 2013/
  • म्यूचुअल फंड के जरिये उठायें आरजीईएसएस का लाभ
Follow @niveshmanthan

बीमा और कर बचत : आगे की सोचें

Details
Category: मार्च 2012

अब्राहम अलापट्ट, ब्रांड प्रमुख, फ्यूचर जनराली इंडिया लाइफ इन्श्योरेंस :

वित्तीय वर्ष का अंत करीब आते ही काफी निवेशक आय कर में बचत के लिहाज से निवेश के विकल्पों पर नजर डालते हैं और उनमें से बहुत लोग जीवन बीमा का विकल्प चुनते हैं। जीवन बीमा योजना खरीदना एक अच्छा और समझदारी भरा वित्तीय फैसला है और लंबी अवधि का ऐसा उत्पाद चुनने में कोई बुराई नहीं है, जिससे आपको आय कर में भी कुछ छूट मिल जाती हो। लेकिन समस्या तब आती है, जब कोई व्यक्ति लंबी अवधि के फायदों और परिणामों को देखे बिना केवल इस साल कर बचत के नजरिये से एक बीमा पॉलिसी खरीद लेता है।

ज्यादातर निवेशक केवल कर बचत की अपनी तात्कालिक जरूरत पर ध्यान देते हैं। इसलिए वे ऐसी बीमा योजना खरीद लेते हैं, जो फिलहाल उनकी आय कर देनदारी घटा देती है। लेकिन वे इस बात पर ध्यान नहीं देते कि क्या आने वाले सालों में भी उस योजना के ऊँचे प्रीमियम जमा करते रहने की स्थिति में होंगे। कर बचाने वाले ज्यादातर उत्पादों को लंबी अवधि की बचत को प्रोत्साहित करने के नजरिये से तैयार किया जाता है। साथ ही उनमें लॉक इन अवधि भी होती है, जिस दौरान आप उससे पैसा निकाल नहीं सकते। जिन बीमा योजनाओं पर कर में रियायत मिलती है, वे भी लंबी अवधि के ऐसे उत्पाद हैं जिनके फायदे समय के साथ ही मिलते हैं।
आसान शब्दों में यह कहा जा सकता है कि आय कर बचाना छोटी अवधि का लक्ष्य है और इस लक्ष्य को पूरा करते समय लंबी अवधि में उस उत्पाद के परिणामों पर भी नजर रखनी चाहिए। निवेशकों को यह बात भी पूरी तरह समझ लेनी चाहिए कि अभी वे जिस योजना को खरीद रहे हैं, भविष्य में उसका प्रीमियम नहीं दे पाने पर क्या होगा? क्या उस पॉलिसी को फुली पेड अप बनाया जा सकेगा? क्या उस समय तक जितना प्रीमियम दिया गया हो, उसके आधार पर मिलने वाली बीमा सुरक्षा (कवर) को बदला जा सकता है? जो प्रीमियम जमा करना छूट जाये, उसे क्या बाद में भरा जा सकता है? क्या प्रीमियम जमा नहीं होने पर पॉलिसी रद्द (लैप्स) हो जायेगी? अगर पॉलिसी रद्द हो गयी तो क्या बाद में इसे फिर से चालू कराया जा सकता है?
आप अपने एजेंट से इन सवालों के जवाब साफ ढंग से माँगें। उससे पूछें कि अगर बाद के वर्षों में कभी आप प्रीमियम जमा नहीं कर पायें तो उसका नतीजा क्या होगा? आप कितने प्रीमियम की पॉलिसी चुनेंगे, इसका फैसला केवल इस बात से न करें कि इस साल आपको कर बचत के लिए कितना निवेश करने की जरूरत है। मगर लोग आम तौर पर यह गलती करते हैं और ऐसी यूलिप यानी यूनिट लिंक्ड इन्श्योरेंस ऐसी पॉलिसी ले लेते हैं, जिसमें आगे चल कर शर्तों में बदलाव की सुविधा नहीं हो।
बीमा पॉलिसी खरीदने का फैसला आम तौर पर बचत की आदत डालने के लिए या कुछ पैसा अनिवार्य रूप से अलग करके रख देने के लिए होता है। यह महत्वपूर्ण है कि लंबी अवधि में नियमित रूप से आप कितना पैसा अलग करके रखते रह सकेंगे, इस बारे में अति उत्साह में कोई फैसला नहीं किया जाये। इस बारे में एक मोटा नियम यह है कि अपने करियर में प्रगति और वेतन वृद्धि से आपकी आय में जितनी बढ़ोतरी हो, उसके आधार पर ही आप अपनी अनिवार्य बचत करें। 
लोग अक्सर यह गलती भी करते हैं कि वे बीमा को केवल निवेश के विकल्प की तरह देखते हैं, शुद्ध रूप से बीमा सुरक्षा के रूप में नहीं। इसके चलते वे हमेशा ऐसी बीमा योजनाएँ चुनते हैं, जिनमें उन्हें अपने प्रीमियम के भुगतान पर भविष्य में लाभ का वादा किया जा रहा हो। वे ऐसी पारंपरिक या शुद्ध रूप से मियादी योजनाओं (टर्म प्लान) पर ध्यान नहीं देते, जो उन्हें केवल बीमा सुरक्षा दे रही हो। वे यह भी देखते कि उन्हें मिलने वाला फायदा अलग-अलग अवधि के लिहाज से किस तरह बदलेगा। मसलन, एक यूलिप योजना आपको तभी अच्छा फायदा दे सकेगी, जब आप उसे पर्याप्त रूप से लंबी अवधि तक बनाये रखें। इसलिए ऐसी योजनाओं में लंबे समय तक निवेश जारी रखना चाहिए। छोटी अवधि में आने वाले उतार-चढ़ाव के आधार पर यह फैसला नहीं करना चाहिए कि उनमें बने रहें या नहीं।
(निवेश मंथन, मार्च 2012)

  • सातवाँ वेतन आयोग कहीं खुशी, कहीं रोष
  • एचडीएफसी लाइफ बनेगी सबसे बड़ी निजी बीमा कंपनी
  • सेंसेक्स साल भर में होगा 33,000 पर
  • सर्वेक्षण की कार्यविधि
  • भारतीय अर्थव्यवस्था ही पहला पैमाना
  • उभरते बाजारों में भारत पहली पसंद
  • विश्व नयी आर्थिक व्यवस्था की ओर
  • मौजूदा स्तरों से ज्यादा गिरावट नहीं
  • जीएसटी पारित कराना सरकार के लिए चुनौती
  • निफ्टी 6000 तक जाने की आशंका
  • बाजार मजबूत, सेंसेक्स 33,000 की ओर
  • ब्याज दरें घटने पर तेज होगा विकास
  • आंतरिक कारक ही ला सकेंगे तेजी
  • गिरावट में करें 2-3 साल के लिए निवेश
  • ब्रेक्सिट से एफपीआई निवेश पर असर संभव
  • अस्थिरताओं के बीच सकारात्मक रुझान
  • भारतीय बाजार काफी मजबूत स्थिति में
  • बीत गया भारतीय बाजार का सबसे बुरा दौर
  • निकट भविष्य में रहेगी अस्थिरता
  • साल भर में सेंसेक्स 30,000 पर
  • निफ्टी का 12 महीने में शिखर 9,400 पर
  • ब्रेक्सिट का असर दो सालों तक पड़ेगा
  • 2016-17 में सुधार आने के स्पष्ट संकेत
  • चुनिंदा क्षेत्रों में तेजी आने की उम्मीद
  • सुधारों पर अमल से आयेगी तेजी
  • तेजी के अगले दौर की तैयारी में बाजार
  • ब्रेक्सिट से भारत बनेगा ज्यादा आकर्षक
  • सावधानी से चुनें क्षेत्र और शेयर
  • छोटी अवधि में बाजार धारणा नकारात्मक
  • निफ्टी 8400 के ऊपर जाने पर तेजी
  • ब्रेक्सिट का तत्काल कोई प्रभाव नहीं
  • निफ्टी अभी 8500-7800 के दायरे में
  • पूँजी मुड़ेगी सोना या यूएस ट्रेजरी की ओर
  • निफ्टी छू सकता है ऐतिहासिक शिखर
  • विकास दर की अच्छी संभावनाओं का लाभ
  • बेहद लंबी अवधि की तेजी का चक्र
  • मुद्रा बाजार की हलचल से चिंता
  • ब्रेक्सिट से भारत को होगा फायदा
  • निफ्टी साल भर में 9,200 के ऊपर
  • घरेलू बाजार आधारित दिग्गजों में करें निवेश
  • गिरावट पर खरीदारी की रणनीति
  • साल भर में 15% बढ़त की उम्मीद
  • भारतीय बाजार का मूल्यांकन ऊँचा
  • सेंसेक्स साल भर में 32,000 की ओर
  • भारतीय बाजार बड़ी तेजी की ओर
  • बाजार सकारात्मक, जारी रहेगा विदेशी निवेश
  • ब्रेक्सिट का परोक्ष असर होगा भारत पर
  • 3-4 साल के नजरिये से जमा करें शेयरों को
  • रुपये में कमजोरी का अल्पकालिक असर
  • साल भर में नया शिखर
7 Empire

अर्थव्यवस्था

  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) : भविष्य के अनुमान
  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) बीती तिमाहियों में
  • भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) बीते वर्षों में

बाजार के जानकारों से पूछें अपने सवाल

सोशल मीडिया पर

Additionaly, you are welcome to connect with us on the following Social Media sites.

  • Like us on Facebook
  • Follow us on Twitter
  • YouTube Channel
  • Connect on Linkedin

Download Magzine

    Overview
  • 2023
  • 2016
    • July 2016
    • February 2016
  • 2014
    • January

बातचीत

© 2025 Nivesh Manthan

  • About Us
  • Blog
  • Contact Us
Go Top