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बढ़ी हैं उम्मीदें : फिक्की-पीडब्लूसी सर्वे

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Category: मई 2017

चौथे फिक्की-पीडब्लूसी स्ट्रेटेजी ऐंड इंडिया मैन्युफैक्चरिंग बैरोमीटर (आईएमबी) सर्वेक्षण के अनुसार 63% सीएक्सओ अगले साल में भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाओं के लिए ‘कुछ हद तक आशावादी’ हैं।

वहीं 55% का कहना है कि उनके अपने संगठन की तरक्की इंडस्ट्री समूह से तेज गति से हो रही है और 49% का यह मानना है कि अगले 12 महीनों में उनका मार्जिन बढ़ सकता है।
इस सर्वेक्षण के 63% प्रतिभागी अगले साल में भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाओं के लिए कुछ हद तक आशावादी थे, जो पिछले वर्ष (58%) की तुलना में बड़े उछाल को दर्शाता है। करीब 25% प्रतिभागी भारतीय अर्थव्यवस्था की भविष्य की संभावनाओं को लेकर बहुत आशावादी थे। एक बड़े हिस्से का यह मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7% से 8% के बीच होगी। इसके विपरीत 62% प्रतिभागियों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के बारे में अनिश्चितता जाहिर की, जो पिछले साल से 8% ज्यादा है। इस सर्वेक्षण में आठ प्रमुख क्षेत्रों की कंपनियों को शामिल किया गया था - ऑटोमोटिव और ऑटो पुर्जे, केबल और ट्रांसफॉर्मर, कैपिटल गुड्स, सीमेंट, रसायन, डाउनस्ट्रीम मेटल, पैकेजिंग और प्लास्टिक एवं पॉलीमर।
मेक इन इंडिया अभियान के बारे में धारणा सकारात्मक बनी हुई है और 85% प्रतिभागी इसे भारत में मैन्युफैक्चरिंग के लिए प्रोत्साहन की तरह देखते हैं। सर्वे में शामिल करीब 66% प्रतिभागियों का यह मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में मध्यम आर्थिक तरक्की हो रही है, जबकि पिछले साल सिर्फ 58% प्रतिभागियों का ऐसा मानना था। वहीं 55% का कहना है कि उनके अपने संगठन की तरक्की उनके इंडस्ट्री समूह से तेज हो रही है, जबकि पिछले साल 46% प्रतिभागियों का ही ऐसा मानना था। करीब 49% का मानना है कि अगले 12 महीनों में उनके मार्जिन में बढ़त होगी, जबकि 35% का मानना है कि उनके कारोबार में पहले जैसा ही मार्जिन हासिल होगा।
पिछले वर्षों की तरह इस साल भी भारत विश्व अर्थव्यवस्था का चमकीला बिंदु बना हुआ है, कई साहसी लेकिन अवरोधक सुधारों के बावजूद। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार साल 2016 में विश्व अर्थव्यवस्था में महज 2.2% की बढ़ोतरी हुई है। यह साल 2009 की मंदी के बाद का अब तक की सबसे कम वृद्धि दर है। लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था और इसके कोर सेक्टर के बारे में नजरिया 2016-17 में आशावादी बना हुआ था। इस सर्वेक्षण के मुताबिक नोटबंदी से छोटी अवधि के लिए सुस्ती आयी है, लेकिन अर्थव्यवस्था की लंबी अवधि की संभावनाएँ उम्मीदपरक बनी हुई हैं।
मॉनसून पर मौसम विभाग के अनुमान से राहत
भारतीय मौसम विभाग और स्काईमेट ने 2017 के मॉनसून की शुरुआत से पहले अपने-अपने आरंभिक अनुमान पेश कर दिये हैं। पहले स्काईमेट का अनुमान सामने आया, जिसने औसत से कम बारिश का अनुमान जता कर सबको अंदेशे में डाल दिया। मगर इसके बाद मौसम विभाग ने अपने अनुमान पेश करते हुए इस साल मॉनसून सामान्य रहने की ही उम्मीद जतायी है। यह मौसम विभाग का आरंभिक अनुमान है और जून में विभाग अपना अगला अनुमान प्रस्तुत करेगा।
मौसम विभाग ने 2017 के मॉनसून के लिए अपने पहले अनुमान में कहा कि मॉनसून के चार महीने यानी जून से सितंबर तक देश में औसतन 96% बारिश हो सकती है। गौरतलब है कि बारिश यदि 96% से 106% के बीच हो तो उसे सामान्य माना जाता है। पिछले साल भी देश में जून से सितंबर के दौरान 97% बरसात दर्ज की गयी थी। वहीं यदि बारिश 106% से 110% हो तो उसे सामान्य से अधिक और 110% से ज्यादा हो तो अत्यधिक माना जाता है। इन्हीं चार महीनों में 90% से लेकर 95% बारिश होने पर इसे सामान्य से कम बारिश कहा जाता है और 90% से भी कम बरसात होने की स्थिति में सूखा घोषित कर दिया जाता है। 2014 के दौरान देश में मॉनसून के दौरान 88% और और 2015 के दौरान 86% बरसात दर्ज की गयी थी। लगातार दो साल सूखे के बाद पिछले साल 2016 में सामान्य बारिश होने से कृषि जगत को संकट से निजात मिली थी।
दूसरी ओर, मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी कंपनी स्काइमेट ने 2017 के लिए औसत से कुछ कम बारिश का अनुमान लगाया है। स्काईमेट ने कहा है कि जून से सितंबर 2017 में मॉनसून 887 मिमी की लंबी अवधि औसत (एलपीए) के सामान्य से नीचे 95% पर (+/- 5% की त्रुटि मार्जिन के साथ) रह सकता है।
हालाँकि देखा जाये तो मौसम विभाग और स्काईमेट के इस साल के मॉनसून के आरंभिक अनुमानों में मात्र 1% का ही अंतर है और दोनों ही अनुमान सामान्य बारिश के दायरे की बिल्कुल सीमा रेखा पर हैं। मॉनसून के संबंध में मौसम विभाग और स्काईमेट के पिछले कुछ वर्षों के पूर्वानुमानों पर गौर करें तो 2016 के लिए स्काईमेट ने 105% और मौसम विभाग ने 106% बारिश का अनुमान लगाया था, जबकि 2016 में वास्तव में 97% बारिश हुई। साल 2015 में स्काईमेट ने 102% और मौसम विभाग ने 93% बारिश की भविष्यवाणी की थी, जबकि उस साल 86% बारिश हुई। वहीं 2014 में स्काईमेट के 94% और मौसम विभाग के 95% अनुमान के मुकाबले 88% बारिश हुई थी।
(निवेश मंथन, मई 2017)

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