नरेंद्र तनेजा, ऊर्जा विश्लेषक :
अरविंद केजरीवाल ने एक डॉलर की लागत वाली चीज आठ डॉलर में बेचने की जो बात कही है, उससे मैं सहमत नहीं हूँ।
रिलायंस के जिस पत्र के लिए कहा जा रहा है कि उसमें एक डॉलर से कम की उत्पादन लागत बतायी गयी, वह पत्र 10-11 साल पहले लिखा गया था। उस समय डॉलर और रुपये की कीमत क्या थी? उपकरणों और विदेशी सलाहकारों का खर्च क्या था? केजी डी6 में उत्पादन लागत की बात करते समय याद रखना चाहिए कि यहाँ गहरे समुद्र में गैस उत्पादन किया जा रहा है। दुनिया में बस छह कंपनियाँ ही इस तकनीक में दक्ष हैं और उन्हीं से यह तकनीक लेनी पड़ती है। आज लिफ्टिंग कॉस्ट और कामकाजी लागत को मिला कर गहरे समुद्र में गैस उत्पादन की अंतरराष्ट्रीय लागत औसतन तीन डॉलर से लगभग साढ़े चार डॉलर तक आती है। भारत में यह लागत तीन साढ़े तीन डॉलर की होगी।
सरकार ने रिलायंस के साथ जो प्रोडक्शन शेयरिंग कॉन्ट्रैक्ट (पीएससी) किया, उसमें खरीदारों को बाजार भाव पर गैस मिलने की बात कही गयी है। ऐसे ही पीएससी रिलायंस, ओएनजीसी, जीएसपीसी, कैर्न इंडिया जैसी तमाम कंपनियों के साथ किये गये हैं। शुरू में 2.3 डॉलर पर गैस आपूर्ति का समझौता एनटीपीसी के साथ था, जो उसके टेंडर के तहत था। एनटीपीसी के साथ झगड़ा सर्वोच्च न्यायालय तक गया। न्यायालय के फैसले के बाद ईजीओएम ने कीमत बढ़ा कर 4.2 डॉलर कर दी। यही समझौता ओएनजीसी के साथ भी हुआ है।
सरकार ने रिलायंस को नीलामी के माध्यम से पूरा ब्लॉक दिया था। उस समय भी पैसे लिये। रिलायंस ने खोज के लिए पूरी तरह से पैसा लगाने का जोखिम भी लिया। गहरे समुद्र में एक कुआँ खोदने में लागत तीन करोड़ से दस करोड़ डॉलर के बीच कुछ भी हो सकती है। उल्लेखनीय है कि यूके की कैर्न एनर्जी ने पिछले दिनों ग्रीनलैंड में गहरे समुद्र में जो कुएँ खोदे, उनकी लागत 10 करोड़ डॉलर आयी थी और कंपनी ने 1.2 अरब डॉलर इन खुदाइयों पर खर्च किया और उसके कहीं भी एक कतरा तेल नहीं मिला। इसने कंपनी की कमर तोड़ दी।
दरअसल रंगराजन समिति ने कीमत के फॉर्मूले में जापान में एलएनजी की कीमत को भी रखा है, जिसकी जरूरत नहीं थी। जापान की कीमत हटाने से कीमत अपने-आप प्रति यूनिट डेढ़ डॉलर कम हो जाती है। बेंचमार्क फार्मूले में अमेरिका के हेनरी हब मूल्य और अंतरराष्ट्रीय औसत कीमत को रखें। रंगराजन समिति के फॉर्मूले में सुधार करने पर 6.7 डॉलर की कीमत निकल कर आती है, जो सभी के लिए सही कीमत होगी।
(निवेश मंथन, मार्च 2014)