सीमेंट
आवासीय क्षेत्र और बुनियादी ढाँचा क्षेत्र- दोनों से सुधार के सीमित संकेत ही दिख रहे हैं,
ऐसे में माँग का परिदृश्य बदलता नहीं दिख रहा। मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज के कवरेज वाली सीमेंट कंपनियों की बिक्री की मात्रा में हालाँकि जुलाई-सितंबर तिमाही में साल-दर-साल 2.6% की बढ़ोतरी हुई। लेकिन प्रतिकूल मौद्रिक चाल, माल भाड़े में वृद्धि, पैकेजिंग की बढ़ी लागत आदि की वजह से कंपनियों की प्राप्तियों में कमी आयी, जिसके कारण इनके मुनाफे में तीखी गिरावट दर्ज की गयी। एसीसी, श्री सीमेंट, बिरला कॉर्प, मद्रास सीमेंट और डालमिया भारत इस क्षेत्र से एमओएसएल की पसंद हैं।
बैंकिंग
सरकारी बैंकों में स्थायित्व के शुरुआती संकेत
एमओएसएल के अनुसार, उम्मीद से बेहतर शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम), विदेशी मुद्रा के मद में शानदार मुनाफे, कामकाजी व्यय पर नियंत्रण और परिसंपत्तियों की गुणवत्ता के स्थायित्व की वजह से उतार-चढ़ाव भरी जुलाई-सितंबर तिमाही में भी निजी बैंकों का बेहतरीन प्रदर्शन जारी रहा। सरकारी बैंकों का नेट स्लिपेज रेशियो अप्रैल-जून तिमाही के 3.3% के मुकाबले जुलाई-सितंबर तिमाही में 1.9% रहा। सरकारी बैंकों द्वारा कर्ज वितरण में भी इस दौरान तेजी आयी। एसबीआई, बीओबी, ओबीसी, आईसीआईसीआई बैंक, फेडरल बैंक और एचडीएफसी इस क्षेत्र से एमओएसएल की पसंद हैं।
रियल एस्टेट
लांच घटने से प्रीसेल में आयी कमी
एमओएसएल के अनुसार, मौजूदा साल की दूसरी तिमाही में प्रेस्टीज एस्टेट्स और शोभा डेवलपर्स को छोड़ कर अधिकांश कंपनियों ने प्रोजेक्ट लांच के मोर्चे पर निराश किया। नयी परियोजनाओं और माँग में मजबूती बरकरार रहने की वजह से इन दो कंपनियों ने बिक्री की बेहतरीन दर बनाये रखी, जिसकी वजह से इनकी आमदनी में बढ़ोतरी दर्ज की गयी। हालाँकि, क्षेत्र की बाकी कंपनियों की ही तरह मार्जिन में कमी की मार से ये कंपनियाँ भी अछूती न रह सकीं। एमओएसएल के अनुसार, मौजूदा स्थिति को देखते हुए ऐसा लगता है कि डीएलएफ, प्रेस्टीज एस्टेट्स, शोभा डेवलपर्स और इंडियाबुल्स रियल एस्टेट साल 2013-14 के अपने सालाना प्रीसेल अनुमानों को हासिल कर लेंगी, लेकिन यूनिटेक, ओबेराय रियल्टी और गोदरेज प्रॉपर्टीज के प्रीसेल में साल-दर-साल के आधार पर गिरावट दर्ज होने की संभावना है। अभी क्षेत्र की सभी कंपनियों का लक्ष्य नकदी के प्रवाह को सुचारु करने और लांचिंग व कार्य-निष्पादन को सही समय से करना है।
ऑटोमोबाइल
सुधरे एबिटा मार्जिन ने किया चकित
मौजूदा साल की दूसरी तिमाही में दोपहियों की बिक्री की वजह से ऑटोमोबाइल कंपनियों की बिक्री की मात्रा में साल-दर-साल 6.3% की बढ़ोतरी दर्ज की गयी। यात्री वाहनों की बिक्री की गिरावट की दर में लगातार दूसरी तिमाही में कमी दिखी। मँझोले व भारी वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री में इस दौरान साल-दर-साल 31% की गिरावट आयी। लेकिन अनुकूल मानसून की वजह से ट्रैक्टरों की बिक्री में 21% की तेजी दर्ज की गयी। आईसीआईसीआई डायरेक्ट के अनुसार इस तिमाही में क्षेत्र की आमदनी में साल-दर-साल लगभग 22% की बढ़ोतरी दर्ज की गयी। फर्म के अनुसार इस दौरान क्षेत्र की आमदनी में बढ़ोतरी प्रमुखत: टाटा मोटर्स (जेएलआर के अच्छे आँकड़ों की वजह से) और मारुति सुजुकी (आधार प्रभाव की वजह से) के कारण रही। विदेशी मुद्रा विनिमय के अनुकूल होने, बेहतरीन प्रॉडक्ट मिक्स और लागत में बचत के उपायों की वजह से एमओएसएल के कवरेज वाली ऑटोमोबाइल कंपनियों के एबिटा मार्जिन में साल-दर-साल 120 अंकों और तिमाही-दर-तिमाही 60 अंकों का सुधार हुआ। एमओएसएल को इस क्षेत्र से हीरो मोटोकॉर्प, एमऐंडएम और आयशर मोटर्स पसंद हैं।
फार्मा
अमेरिकी बाजारों के प्रदर्शन ने रखी लाज
दवा मूल्य नियंत्रण नीति 2013 की वजह से घरेलू बाजार में फार्मा कंपनियों की वृद्धि दर में धीमापन आया। ऐसे में अमेरिकी बाजार में अच्छी बिक्री और मुद्रा के अनुकूल व्यवहार के कारण भारतीय कंपनियाँ अच्छा प्रदर्शन करने में कामयाब रहीं। एमओएसएल के अनुसार, उभरते बाजारों में अच्छी वृद्धि के कारण डा. रेड्डीज लैब, कैडिला हेल्थकेयर, सन फार्मा और ल्युपिन अधिक बेहतर प्रदर्शन करने में कामयाब रहे। डा. रेड्डीज लैब, सन फार्मा, ल्युपिन, डिवीज लैब्स और इप्का लैब्स इस क्षेत्र से एमओएसएल की पसंद हैं।
धातु
बिक्री बढ़ी, लेकिन प्राप्तियाँ नहीं
एमओएसएल के अनुसार डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी की वजह से निर्यात में वृद्धि के कारण घरेलू इस्पात उत्पादकों के लिए लाभ की स्थिति बनती दिखी और सभी उत्पादकों की बिक्री में तिमाही-दर-तिमाही सुधार दिखा। लेकिन तिमाही-दर-तिमाही प्राप्तियाँ सपाट रहीं, क्योंकि कंपनियों ने कीमतों में बढ़ोतरी तिमाही के आखिरी चरण में की थी। एंजेल ब्रोकिंग के अनुसार सेल और हिंडाल्को को छोड़ कर अधिकांश कंपनियों की आमदनी उम्मीद से बेहतर रही, लेकिन कामकाजी मुनाफे के मोर्चे पर इनका प्रदर्शन मिला-जुला रहा।
तेल-गैस
जीआरएम के मद में लाभ
इनवेंटरी गेन की वजह से जुलाई-सितंबर तिमाही में तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) के सकल रिफाइनिंग मार्जिन (जीआरएम) में बढ़ोतरी देखी गयी। मई 2013 से सीमा-शुल्क की दर 7.5% कर दिये जाने के पूर्ण प्रभाव और रुपये की कमजोरी के कारण बढ़ी घरेलू कीमतों की वजह से जुलाई-सितंबर तिमाही में पॉलीमर और पॉलीएस्टर के मार्जिन में वृद्धि दर्ज हुई। आईसीआईसीआई डायरेक्ट के अनुसार अधिक प्राप्तियों और सकारात्मक मौद्रिक प्रभाव की वजह से तेल-गैस क्षेत्र ने इस तिमाही में सेंसेक्स कंपनियों की आमदनी की बढ़ोतरी में अहम भूमिका निभायी। डीजल के संभावित विनियंत्रण और गैस की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से एमओएसएल को अपस्ट्रीम क्षेत्र से ओएनजीसी और ऑयल इंडिया तथा ओएमसी क्षेत्र से बीपीसीएल पसंद हैं। केजी डी-6 से उपलब्धता की घटती मात्रा की वजह से गेल इंडिया की ट्रांसमिशन मात्रा और एलपीजी कारोबार के मुनाफे पर असर पड़ा है। गैस उपलब्धता की दिक्कत के कारण गेल इंडिया पर एमओएसएल न्यूट्रल है।
आईटी
अनुमान से बेहतर प्रदर्शन
आईसीआईसीआई डायरेक्ट के अनुसार अमेरिकी बाजार में ठेकों के मोर्चे पर सुधार और रुपये की कमजोरी के कारण क्षेत्र की कंपनियों की आमदनी में इस तिमाही में बढ़ोतरी दर्ज हुई। एमओएसएल के अनुसार आमदनी में वृद्धि के मोर्चे पर इन्फोसिस और कॉग्निजेंट ने अनुमान से बेहतर प्रदर्शन किया। एचसीएल टेक ने ठेके हासिल करने की बेहतरीन दर को कायम रखा है। इन्फोसिस में सुधार के विविध संकेतों और विप्रो में ग्रोथ की बहाली की वजह से इन दोनों का प्रदर्शन टियर-एक की बाकी कंपनियों के मुकाबले बेहतर रहने का अनुमान है। टियर-2 कंपनियों में इसे टेक महिंद्रा और परसिस्टेंट सिस्टम्स पसंद हैं।
टेलीकॉम
स्पष्ट दिख रहे सुधार के संकेत
साल की पहली तिमाही में टेलीकॉम कंपनियों के प्रति मिनट आय (आरपीएम) में सुधार देखा गया था। यह क्रम धीमी गति से इस तिमाही में भी जारी रहा। इस दौरान आइडिया के आरपीएम में 2% की वृद्धि दर्ज की गयी, जबकि भारती एयरटेल का आरपीएम सपाट रहा। मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज का मानना है कि क्षेत्र से संबंधित नियामक माहौल के अनुकूल होने, कंपनियों के विलय-अधिग्रहण और स्पेक्ट्रम बिक्री के मोर्चे पर अधिक स्पष्टता आने की स्थिति में क्षेत्र में कंसोलिडेशन को और बढ़ावा मिलेगा। एमओएसएल को इस क्षेत्र से आइडिया सेलुलर और भारती एयरटेल पसंद हैं।
(निवेश मंथन, दिसंबर 2013)