विवेक के नेगी, निदेशक, फिनेथिक वेल्थ सर्विसेस :
तकनीकी विश्लेषण को सरल ढंग से कहें तो यह मूल्य और मात्रा (वॉल्यूम) का अध्ययन है और चार्ट इस अध्ययन का मुख्य साधन है।
इसमें कीमतों के रुझान का अध्ययन होता है और माना जाता है कि बाजार भाव में सभी उपलब्ध जानकारियों का असर शामिल है। इसमें पुष्टि और विलगाव, मूल्य के अनुरूप मात्रा में बदलाव, समर्थन और बाधा स्तरों पर ध्यान दिया जाता है। कहा जा सकता है कि तकनीकी विश्लेषण मूल्य और मात्रा का ही विश्लेषण है।
शेयर, कमोडिटी, मुद्रा (करेंसी) या किसी अन्य सिक्योरिटी के विश्लेषण में इन संख्याओं से मूल्य और मात्रा को समझा जाता है :
खुला : किसी नये कारोबारी सत्र की शुरुआत में उसका भाव।
ऊँचा : एक तय कारोबारी अवधि के दौरान दर्ज किया गया सबसे ऊँचा भाव।
निचला : तय कारोबारी अवधि का निचला भाव।
बंद : कारोबारी सत्र पूरा होने के समय का समायोजित (ऐडजस्टेड) भाव।
मात्रा : कारोबारी सत्र के दौरान खरीदे-बेचे गये शेयरों की संख्या।
डॉव सिद्धांत में तकनीकी विश्लेषण में मात्रा के महत्व को भी सामने रखा गया है। जब किसी सिक्योरिटी का सौदा होता है तो उसका मूल्य बदलता है। मूल्य मुख्य रूप से माँग और आपूर्ति के समीकरण से तय होता है। अगर उस शेयर या सिक्योरिटी की माँग ज्यादा है तो मू्ल्य बढ़ेगा।
कैसे करें विश्लेषण
नीचे दी गयी सारणी में यह आसानी से समझा जा सकता है कि मूल्य और मात्रा दोनों में वृद्धि होने पर ही तेजी का रुझान बनता है और दोनों में कमी होने पर मंद रुझान बनता है। अगर कीमत बढ़ रही है और उसके साथ-साथ मात्रा भी नहीं बढ़ रही है तो वह शेयर ऊपरी स्तरों पर टिक नहीं पायेगा। ऐसी स्थिति में वह शेयर कीमत बढऩे पर काफी तेजी से वापस नीचे आ सकता है।
इसलिए एक कारोबारी को मात्रा की गतिविधि पर खास ध्यान देना चाहिए। डॉव सिद्धांत कहता है कि कीमत आपको रुझान बताती है और मात्रा उस रुझान की पुष्टि करती है।
यहाँ प्रश्न उठता है कि मात्रा को परिभाषित कैसे करें? सामान्यत: 10 दिनों की औसत मात्रा या मासिक औसत मात्रा को आधार माना जाता है। अगर किसी खास दिन तकनीकी रूप से शेयर में नयी चाल (ब्रेकआउट) बने और उस दिन औसत से दोगुनी या और ज्यादा कारोबारी मात्रा दिखे तो उस चाल पर भरोसा करके खरीदारी की जा सकती है और बड़े लाभ की उम्मीद रखी जा सकती है।
अगर हम यहाँ दिये गये रिलायंस कम्युनिकेशंस के चार्ट पर गौर करें तो स्पष्ट दिखता है कि पहली उछाल को अच्छी मात्रा का सहारा नहीं मिला। इसलिए यह शेयर ऊपर टिक नहीं पाया और उसने बहुत कम समय में सारी बढ़त गँवा दी। लेकिन गिरावट के दौरान भी मात्रा औसत ही रही।
लेकिन दूसरी उछाल के समय हम देख सकते हैं कि औसत मात्रा की तुलना में 3-4 गुनी मात्रा थी। यह स्पष्ट संकेत था कि वह शेयर पिछले ऊपरी स्तर को पार लेगा और अपनी बढ़त को आसानी से नहीं गँवायेगा। इस शेयर ने इसके बाद जबरदस्त उछाल दर्ज की। इसने बहुत कम समय में निवेशकों के पैसे दोगुने कर दिये।
मूल्य और मात्रा का सिद्धांत कारोबारी सौदों/निवेश के मनोविज्ञान पर आधारित है। इसलिए इसके विफल होने की संभावनाएँ बहुत कम रहती हैं। इसलिए मेरी सलाह यही है कि मूल्य का विश्लेषण करते समय मात्रा को भी उतना ही महत्व दिया जाना चाहिए।
(निवेश मंथन, अक्तूबर 2013)