इन्फोसिस के कारोबारी नतीजे 2013-14 की दूसरी तिमाही में बाजार के अनुमानों से बेहतर रहे हैं।
कंपनी ने 2013-14 की डॉलर आय के दायरे को ऊपर की ओर तो नहीं खिसकाया, लेकिन इसे 6-10% से बदल कर 9-10% कर दिया है। इससे जाहिर है कि कंपनी अब अपने सालाना प्रदर्शन को पहले से ज्यादा स्पष्ट ढंग से देख पा रही है। इस स्पष्टता को कंपनी में एन आर नारायणमूर्ति की वापसी का पहला दिखने वाला असर माना जा सकता है।
इन नतीजों के बाद कई ब्रोकिंग फर्मों ने इसके लक्ष्य भावों में बढ़ोतरी भी की है। लेकिन नतीजों के बाद शेयर में आयी उछाल के चलते इसे मौजूदा भावों पर खरीदने के बदले किसी गिरावट में लेना बेहतर होगा। इसे 3000 रुपये के पास खरीदना ज्यादा सुरक्षित होगा। अगर किसी उतार-चढ़ाव में 2600 के पास का भाव मिले तो वह और आकर्षक होगा, लेकिन उस भाव के इंतजार में बैठना मुनासिब नहीं लगता। आगे 3500 का स्वाभाविक लक्ष्य दिखता है, जबकि 3500 पार होने के बाद आने वाले वर्षों में 4000 और 4500 के लक्ष्य बन सकते हैं। शायद जून-जुलाई 2015 तक ऐसा हो सके। टीसीएस के बदले अभी इन्फोसिस पर दाँव लगाना बेहतर है, क्योंकि टीसीएस का मूल्यांकन ज्यादा ऊँचा हो गया है।
रिलायंस : अगले साल डेढ़ साल में बदलेगी तस्वीर
दूसरी तिमाही में रिलायंस इंडस्ट्रीज के नतीजे बाजार की उम्मीदों से कुछ बेहतर ही रहे हैं। इसका तिमाही मुनाफा 5490 करोड़ रुपये रहा, जबकि आम तौर पर 5400 करोड़ रुपये के आसपास के अनुमान थे।
इन तिमाही नतीजों में स्पष्ट दिखा कि कंपनी तेलशोधन या रिफाइनिंग के साथ-साथ पेट्रो-रसायनों के कारोबार में अच्छा कर रही है। तेल-गैस खनन कारोबार ढीला रहा है, लेकिन बाजार ने नाउम्मीद होकर अभी उस ओर ज्यादा ध्यान भी देना छोड़ दिया है। हालाँकि आने वाले एक-डेढ़ वर्षों में खनन कारोबार की स्थिति बदल सकती है। बीपी के साथ उसकी साझेदारी के नतीजे अब जल्दी ही मिलने शुरू हो सकते हैं। इसके अलावा, अप्रैल 2014 से गैस की कीमतें बढऩे का भी असर होगा। इसके अलावा, कंपनी टेलीकॉम क्षेत्र में वॉयस समेत हर तरह की सेवाओं के साथ उतरने वाली है।
तिमाही नतीजों के बाद यह शेयर 900 रुपये के करीब चला गया, पर ऊपर टिका नहीं। एक अरसे से यह 760-960 के बड़े दायरे में चल रहा है। बाजार में कमजोरी आने पर यह 760 के पास जाये तो वहाँ नयी खरीदारी करना अच्छा होगा। यह जब 960 से ऊपर निकलेगा तो 1080 की ओर बढ़ सकेगा, जबकि उसके आगे 1150 का लक्ष्य बनता है।
आईसीआईसीआई बैंक : महँगा नहीं
देश के सबसे बड़े निजी बैंक के लिए 2013-14 की दूसरी तिमाही के नतीजों को लेकर ब्रोकिंग फर्मों के अनुमान फीके लग रहे हैं। लेकिन मूल्यांकन के पैमाने पर अब यह एचडीएफसी बैंक से काफी पीछे आ गया है। एमओएसएल के 2013-14 के अनुमानित आँकड़ों पर जहाँ एचडीएफसी बैंक का पीबी अनुपात 3.4 है, वहीं आईसीआईसीआई बैंक केवल 1.8 पीबी पर है। एचडीएफसी बैंक का पीई अनुपात 16.9 और आईसीआईसीआई बैंक का 12.3 है। इस मूल्यांकन पर यह महँगा नहीं लगता है, लेकिन और निचले भावों का इंतजार किया जा सकता है।
अभी इसका भाव 950-1000 के दायरे में है। जब यह सितंबर 2013 की तलहटी 879 के पास जाये तो वहाँ इसमें खरीदारी करना बेहतर होगा। अगर अगस्त 2013 की तलहटी 857 के पास का भाव मिल जाये तो वह और भी बेहतर होगा, लेकिन उस भाव का इंतजार करते रहने पर मौके गँवाने की स्थिति बन सकती है। आने वाले दिनों में जब यह 1000 के ऊपर टिक सकेगा तो 1200 रुपये का अगला बड़ा लक्ष्य होगा।
एचडीएफसी बैंक : लगातार उत्कृष्ट
भारत के बैंकिंग क्षेत्र में अगर निरंतर अच्छे प्रदर्शन के लिए केवल कोई एक नाम बताने को कहा जाये, तो वह निश्चित रूप से एचडीएफसी बैंक होगा। इसने 2013-14 की दूसरी तिमाही में कमजोर वातावरण में भी अपने तिमाही मुनाफे में 27.1% की वृद्धि दर्ज की है। इसका शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) ठीक पिछली तिमाही से 0.30% अंक घटने के बाद भी 4.3% पर है, जो अन्य बैंकों से काफी ऊँचा है। इसका शुद्ध एनपीए केवल 0.30% है, जो बहुत से बैंकों के लिए स्वप्न समान है।
इन तथ्यों के मद्देनजर यह आपके पोर्टफोलिओ का एक स्थायी शेयर होना चाहिए। अभी इसका भाव 650 के आसपास चल रहा है। अगर यह 550-600 के दायरे में फिर से लौटे तो वह खरीदारी का अच्छा स्तर होगा। इसने अगस्त की तलहटी 528 पर बनायी थी, लेकिन वह भाव वापस मिलेगा या नहीं, कहना मुश्किल है। हालाँकि अगर बाजार में किसी घबराहट में यह 525 के नीचे भी चला गया तो 465 पर अगला सहारा होगा, जो खरीदारी का काफी आकर्षक स्तर होगा।
एसबीआई : चिंताओं से घट गये भाव
जनवरी 2013 में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का शेयर 2552 रुपये के ऊपरी स्तर तक चढ़ा था, जबकि अगस्त २०१३ के अंत में यह 1453 रुपये तक फिसल गया। इस गिरावट के पीछे सबसे मुख्य कारण है एनपीए यानी डूबे कर्जों की चिंता। लेकिन इस गिरावट के कारण 1600-1650 के मौजूदा भावों पर यह शेयर 2013-14 के अनुमानित आँकड़ों पर केवल 8 के पीई अनुपात और 0.9 के पीबी अनुपात पर उपलब्ध है।
एमओएसएल के मुताबिक 2013-14 की दूसरी तिमाही में इसका मुनाफा साल-दर-साल 35% घटेगा। कुछ अन्य फर्मों के अनुमान तो और भी कमजोर हैं। कमजोर नतीजों के चलते यह शेयर अगर कुछ और पिटा तो वह इसे निचले भावों पर खरीदने का अच्छा मौका होगा। अगली कमजोरी में यह 1400-1350 तक गिर सकता है। उन भावों पर इसे खरीदने का जोखिम उठाया जा सकता है, क्योंकि अगले 3-5 सालों में यह बाजार और अपने क्षेत्र से कहीं बेहतर मुनाफा दे सकता है। वहीं 2000-2100 रुपये तक के भाव तो उससे पहले ही मिल सकते हैं।
बजाज ऑटो : आशा से तेज चाल
ऑटो क्षेत्र की सुस्ती के बीच बजाज ऑटो के लिए दूसरी तिमाही के ब्रोकिंग फर्मों के अनुमान फीके थे। तिमाही मुनाफे में एमओएसएल ने 6% बढ़त का और एंजेल ने 7.2% अनुमान जताया था, लेकिन इसका तिमाही मुनाफा 18.3% बढ़ कर 877 करोड़ रुपये रहा है। रुपये की कमजोरी से इस तिमाही में कंपनी को अपने निर्यात पर काफी अच्छा फायदा हुआ है।
एंजेल के मुताबिक 2013-14 की अनुमानित आय पर बजाज ऑटो अभी 14.9 पीई पर है, जो हीरो मोटोकॉर्प के 18.2 से नीचे है। लेकिन एमओएसएल के मुताबिक बजाज ऑटो अभी 17 पीई पर है। दअसल जहाँ एंजेल के मुताबिक इस कारोबारी साल में बजाज ऑटो की ईपीएस 133.40 रुपये रहने वाली है, वहीं एमओएसएल के मुताबिक यह ईपीएस 117.20 रुपये रहेगी।
अभी यह शेयर 2,100 के ऊपर है। अगले एक-दो सालों की बात करें तो इसका 2,450 का लक्ष्य दिखता है। लेकिन मौजूदा भावों पर खरीदने के बदले 1,950-1,850 के भाव आने पर खरीदना बेहतर होगा।
यूनिटेक : ज्यादा जोखिम, ऊँचा लाभ
रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए अभी हालात अच्छे तो बिल्कुल नहीं कहे जा सकते। लेकिन इस माहौल में एमओएसएल के मुताबिक यूनिटेक की ईपीएस 2012-13 के 0.80 रुपये से सुधर कर 2014-15 में 1.50 रुपये रहने का अनुमान है। यह 2013-14 की अनुमानित ईपीएस पर 13.0 पीई और 2014-15 की अनुमानित ईपीएस पर 10.9 पीई पर चल रहा है। इस मूल्यांकन को अगर बहुत सस्ता नहीं तो ठीक-ठाक कहा जा सकता है।
इसके कुछ साल पुराने ऊपरी भावों की बात करना तो निवेशकों के जख्म कुरेदने जैसा होगा। लेकिन इसने अगस्त 2013 में 14.65 रुपये की तलहटी बनायी और अब कुछ सँभलता दिख रहा है। जनवरी 2013 में यह 40.90 का शिखर बनाने के बाद गिरा था। अगर यह 40.90 से 14.65 की गिरावट की 23.6% वापसी 20.80 को पार कर ले तो 30 तक जाने की संभावना बन जायेगी, यानी दोगुना होने की भी संभावना बनती है। वहीं 30 के ऊपर जाने के बाद आगे 35 और 40 के लक्ष्य होंगे। यह अभी अधिक जोखिम पर ऊँचे लाभ वाला शेयर लगता है।
जेपी एसोसिएट्स : अब बदलेंगे दिन?
जुलाई-सितंबर 2013 की तिमाही में जयप्रकाश एसोसिएट्स का मुनाफा साल-दर-साल 37.2% घटने के अनुमान हैं। एमओएसएल ने समायोजित शुद्ध लाभ के आधार पर यह आकलन सामने रखा है। लेकिन पूरे साल की बात करें तो 2013-14 में इसका सालाना समायोजित मुनाफा 20.1% बढ़ कर 591 करोड़ रुपये होगा। इसकी समायोजित ईपीएस 2013-14 में 17.9% बढ़ कर 2.70 रुपये और 2014-15 में 63.4% बढ़ कर 4.40 रुपये होने का अनुमान है। इसके आधार पर इसका मूल्यांकन 2013-14 के लिए 13.7 पीई और 2014-15 के लिए 8.4 पीई पर है।
अभी यह शेयर 40 रुपये के कुछ ऊपर है। इसमें काफी उतार-चढ़ाव रहता है, इसलिए बाजार में कमजोरी आने पर यह अगस्त 2013 की तलहटी 28.35 के पास आसानी से जा सकता है, जहाँ इसे खरीदा जा सकता है। इसके लिए 47 के ऊपर जाना काफी सकारात्मक होगा। तब यह ऊपर की ओर 58 तक चढ़ सकता है और उसके आगे जाने पर अगले 1-2 सालों में 75 तक जा सकता है।
एसीसी : कमजोर नतीजों पर भाव टूटे तो खरीदना बेहतर
सीमेंट क्षेत्र में माँग-आपूर्ति का अनुपात घटने से एसीसी अभी केवल 73% उत्पादन क्षमता का उपयोग कर पा रही है। इसके चलते सीमेंट की कीमत पर दबाव है, जबकि दूसरी ओर कच्चे माल, ऊर्जा और परिवहन की लागत में बढ़ोतरी हो रही है। इसके चलते कंपनी के मार्जिन में गिरावट आ रही है। एमओएसएल के मुताबिक कैलेंडर वर्ष 2013 में इसका एबिटा मार्जिन 14.6% रहेगा। लेकिन साल 2014 और 2015 में सीमेंट की कीमतें बढऩे का अनुमान है, जिससे एसीसी की ईपीएस भी सुधरेगी। अर्थव्यवस्था में फिर से तेजी लौटने पर सीमेंट क्षेत्र स्वाभाविक रूप से फायदे में रहेगा।
अभी यह 112५ के आसपास है, लेकिन अक्टूबर 2012 से ही यह कमजोर रुझान के साथ चल रहा है। तब इसने 1545 का शिखर बनाया था। साल 2013-14 की दूसरी तिमाही में कंपनी के मुनाफे में तीखी गिरावट के अनुमान हैं।
ऐसे में नतीजों के बाद अगर इसके शेयर भाव में कमजोरी आती है तो आने वाले समय में इसके 800-900 के दायरे में फिसल जाने पर भी कोई आश्चर्य नहीं होगा, लेकिन वह खरीदारी के लिए एक अच्छा स्तर होगा। निचले स्तरों पर खरीदारी करके इसे अगले कई सालों के लिए अपने पोर्टफोलिओ का हिस्सा बनाया जा सकता है।
एलऐंडटी : अगले साल ईपीएस सुधरने की उम्मीद
कैपिटल गुड्स (पूँजीगत वस्तु) क्षेत्र अभी काफी दबाव के दौर से गुजर रहा है, जिसके चलते बाजार इस क्षेत्र से बुरी तरह निराश है। लेकिन इस पूरे क्षेत्र में एलऐंडटी तुलनात्मक रूप से बेहतर स्थिति में है। एमओएसएल के मुताबिक जहाँ बीएचईएल की ईपीएस में 2012-13 से 2014-15 के दौरान लगातार गिरावट के अनुमान हैं, वहीं एलऐंडटी की ईपीएस 2013-14 में 53.40 रुपये से घट कर 43.80 रुपये पर आने के बाद 2014-15 में फिर से बढ़ कर 51.50 रुपये हो जाने की आशा है।
लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) ने हाल ही में अगस्त 2013 में 677 की तलहटी बनायी। इससे पहले दिसंबर 2011 में इसने 646 की तलहटी बनायी थी। जाहिर है कि 650-675 का दायरा इसके लिए अच्छा सहारा बन रहा है।
अगर इस दायरे में यह फिर से मिले तो इसे खरीदना बेहतर होगा। हालाँकि 650 के नीचे जाने पर यह 500 तक भी गिर सकता है, लेकिन उसे खरीदारी के ज्यादा आकर्षक मौके की तरह लें। आने वाले समय में ऊपर यह 960 और 1060 के लक्ष्य तक आसानी से जा सकता है। आगे चल कर 1300 इसका बड़ा लक्ष्य होगा।
(निवेश मंथन, अक्तूबर 2013)