बीती अप्रैल-जून तिमाही के दौरान भारतीय उद्योग जगत का प्रदर्शन मोटे तौर पर निराशाजनक ही रहा है।
एंजेल ब्रोकिंग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि इस दौरान मार्जिन पर दबाव की वजह से सेंसेक्स की कंपनियों और इसकी समीक्षा में शामिल कंपनियों ने कुल मिला कर मुनाफे के मोर्चे पर निराश किया है।
आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस दौरान सेंसेक्स में मौजूद कंपनियों की आमदनी में साल-दर-साल तकरीबन दो प्रतिशत की वृद्धि हुई। ब्रोकिंग फर्म ने बताया है कि कैपिटल गुड्स कंपनियों की आमदनी में लगभग सात प्रतिशत, धातु कंपनियों की आय में करीब पाँच प्रतिशत और तेल-गैस कंपनियों की आमदनी में करीब तीन प्रतिशत की गिरावट की वजह से ऐसा हुआ है।
फर्म ने यह माना है कि कर्मचारियों पर बढ़े व्यय (साल-दर-साल 128 आधार अंकों की वृद्धि) और अन्य आय में बढ़ोतरी (224 आधार अंकों की वृद्धि) की वजह से कंपनियों की कामकाजी लागत बढ़ी है। ब्याज लागत में तीखी बढ़ोतरी और एबिटडा मार्जिन में कमी की वजह से कंपनियों के कर-पश्चात-लाभ में साल-दर-साल लगभग 11% की कमी आयी है।
ऑटोमोबाइल : टाटा मोटर्स का खराब प्रदर्शन रहा हावी
साल 2013-14 की पहली तिमाही में टाटा मोटर्स का खराब प्रदर्शन न केवल ऑटो कंपनियों, बल्कि सेंसेक्स कंपनियों के प्रदर्शन पर भी भारी पड़ा। एंजेल के अनुसार टाटा मोटर्स को छोड़ कर बाकी ऑटोमोबाइल कंपनियों के मुनाफे में साल-दर-साल 7.1% की वृद्धि दर्ज की गयी। लेकिन इसी दौरान टाटा मोटर्स के शुद्ध लाभ में साल-दर-साल 29.1% की गिरावट आ गयी। हालाँकि वैश्विक स्तर पर कमोडिटी की कीमतों में कमी से ऑटोमोबाइल कंपनियों का मार्जिन बढ़ा है, लेकिन माँग में कमजोरी की वजह से ऑटोमोबाइल क्षेत्र की आमदनी नहीं बढ़ पा रही है।
बैंकिंग : नये निजी बैंकों का बेहतर प्रदर्शन
शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) में सालाना 7% बढ़ोतरी और बेहतरीन ट्रेजरी आय से सरकारी बैंकों के कामकाजी मुनाफे (ऑपरेटिंग प्रॉफिट) में पहली तिमाही में 16.8% की दर से वृद्धि देखी गयी। लेकिन परिसंपत्तियों की गुणवत्ता पर दबाव की वजह से इनके प्रॉविजनिंग खर्च में साल-दर-साल 41.5% की बढ़ोतरी हो गयी। एंजेल के अनुसार, ऐसी स्थिति में इन बैंकों के मुनाफे में साल-दर-साल 8.1% की गिरावट दर्ज की गयी।
निजी बैंक भी परिसंपत्तियों की गुणवत्ता के दबाव से अछूते नहीं रहे। हालाँकि नये निजी बैंकों को पुराने निजी बैंकों के मुकाबले कम दबाव का सामना करना पड़ा। अप्रैल-जून तिमाही में जहाँ नये निजी बैंकों का मुनाफा साल-दर-साल 26.8% की दर से बढ़ा, वहीं पुराने निजी बैंकों के लाभ में इसी दौरान साल-दर-साल 29.6% की दर से गिरावट आ गयी।
कैपिटल गुड्स : निराशाजनक प्रदर्शन जारी
एंजेल के अनुसार कैपिटल गुड्स कंपनियों के मुनाफे पर अप्रैल-जून तिमाही के दौरान भी दबाव बना रहा। आमदनी में कमी और ब्याज लागत में बढ़ोतरी की वजह से यह स्थिति बनी हुई है। सेंसेक्स में मौजूद कैपिटल गुड्स क्षेत्र की एकमात्र कंपनी बीएचईएल ने इस तिमाही के दौरान भी मुनाफे के मोर्चे पर निराश किया। आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस दौरान कैपिटल गुड्स कंपनियों के शुद्ध लाभ में साल-दर-साल तकरीबन 32% की कमी देखी गयी है।
सीमेंट : मार्जिन में कमी से घटा मुनाफा
एंजेल की समीक्षा में शामिल सीमेंट कंपनियों के मुनाफे में साल 2013-14 की अप्रैल-जून तिमाही में साल-दर-साल 27.1% कमी दर्ज की गयी। इन कंपनियों के मार्जिन में 6.26% अंकों की कमी इसका मुख्य कारण रही। इसके अलावा कम प्राप्तियों के साथ-साथ माल भाड़े और कच्चे माल के मोर्चे पर बढ़ोतरी को भी इस गिरावट के लिए जिम्मेदार माना जा सकता है।
एफएमसीजी : आमदनी में बढ़ोतरी से मिला मुनाफे को सहारा
अर्थव्यवस्था में कमजोर माँग के बावजूद अप्रैल-जून तिमाही में एंजेल ब्रोकिंग की एफएमसीजी क्षेत्र की समीक्षागत कंपनियों के मुनाफे में साल-दर-साल 11.2% की वृद्धि दर्ज की गयी। बिक्री की अधिक मात्रा और बेहतर प्रोडक्ट मिक्स के दम पर आमदनी में ठीक-ठाक बढ़ोतरी के कारण ऐसा संभव हो सका। मार्जिन के मोर्चे पर इन कंपनियों का प्रदर्शन मिला-जुला रहा। जहाँ सेंसेक्स की एफएमसीजी कंपनियों के मार्जिन में साल-दर-साल 1.88% अंक की वृद्धि हुई, वहीं एंजेल ब्रोकिंग की समीक्षागत एफएमसीजी कंपनियों के मार्जिन में 0.49% अंक की ही बढ़ोतरी हुई।
बुनियादी ढाँचा क्षेत्र- बरकरार है मुनाफे के मोर्चे पर पीड़ा
आमदनी और मार्जिन पर दबाव के कारण अप्रैल-जून तिमाही में बुनियादी ढाँचा क्षेत्र की कंपनियों के मुनाफे में साल-दर-साल 31.4% की गिरावट दर्ज की गयी। एंजेल ब्रोकिंग की समीक्षा में शामिल 12 बुनियादी ढाँचा कंपनियों में से 10 कंपनियों के मुनाफे में इस दौरान कमी आयी। सेंसेक्स में मौजूद बुनियादी ढाँचा क्षेत्र की एकमात्र कंपनी एलऐंडटी ने भी इस दौरान निराश किया। उम्मीद से कमतर क्रियान्यवन और खराब कामकाजी प्रदर्शन की वजह से ऐसा हुआ। चुनौतीपूर्ण आर्थिक माहौल, ठेकों के मोर्चे पर खराब होती स्थिति, ग्राहकों से भुगतान में देरी और ऊँची ब्याज लागत की वजह से क्षेत्र पर दबाव बना हुआ है।
आईटी : कमजोर रुपये से सुधरा लाभ
अप्रैल-जून तिमाही में एंजेल ब्रोकिंग की समीक्षा वाली आईटी कंपनियों के मुनाफे में साल-दर-साल 13.7% की वृद्धि दर्ज की गयी। वॉल्यूम में अच्छी वृद्धि के कारण आमदनी के मोर्चे पर शानदार प्रदर्शन को इसका प्रमुख कारण माना जा सकता है। एंजेल ब्रोकिंग के अनुसार, अगली तिमाही में भी इन कंपनियों के मुनाफे पर रुपये की कमजोरी का सकारात्मक प्रभाव पडऩे की उम्मीद है। आईसीआईसीआई डायरेक्ट के अनुसार, अप्रैल-जून तिमाही में आईटी कंपनियों की आमदनी में लगभग 16% की वृद्धि दर्ज की गयी। फर्म का मानना है कि पहली कतार की सभी कंपनियों में एकसार वृद्धि और बड़े समझौतों की वजह से ऐसा हो सका है।
धातु एवं खनन : लाभ के मद में निराशाजनक प्रदर्शन
अप्रैल-जून तिमाही में एंजेल ब्रोकिंग की समीक्षा वाली सभी धातु कंपनियों के मुनाफे पर दबाव बना रहा। इस दौरान आमदनी के साथ ही साथ मार्जिन में भी आयी कमी के कारण धातु कंपनियों के मुनाफे में साल-दर-साल 15.5% और तिमाही-दर-तिमाही 14.3% की गिरावट आयी। सेंसेक्स में शामिल धातु कंपनियों के मुनाफे की बात करें तो टाटा स्टील के मुनाफे में वृद्धि से इन्हें सहारा मिला। उम्मीद से कम मात्रा और कोल इंडिया के लिए कर्मचारियों की ऊँची लागत की वजह से खनन कंपनियों ने भी इस दौरान निराश किया।
तेल-गैस : सब्सिडी के बोझ का असर
तेल-गैस कंपनियों ने मुनाफे के मोर्चे पर मिला-जुला प्रदर्शन किया। ओएनजीसी और गेल पर उम्मीद से अधिक सब्सिडी का बोझ इनके मुनाफे पर भारी पड़ा। यदि ओएनजीसी और गेल को निकाल दें तो रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रदर्शन की वजह से तेल-गैस कंपनियों के मुनाफे में अप्रैल-जून तिमाही में साल-दर-साल 4.3% वृद्धि हुई। इस दौरान विपणन व परिशोधन सेगमेंट से ऊँचे लाभ, कमतर डेप्रेशिएशन और ऊँचे अन्य आय की वजह से रिलायंस इंडस्ट्रीज के लाभ में साल-दर-साल 18.9% की बढ़ोतरी दर्ज की गयी। आईसीआईसीआई डायरेक्ट के अनुसार इस दौरान तेल-गैस क्षेत्र की कंपनियों के पीएटी में साल-दर-साल लगभग 13% की कमी दर्ज की गयी।
दवा : मिला-जुला रहा प्रदर्शन
अप्रैल-जून तिमाही में दवा (फार्मा) क्षेत्र की कंपनियों का प्रदर्शन मिला-जुला रहा। रैनबैक्सी के उम्मीद से खराब प्रदर्शन का असर पूरे समूह के प्रदर्शन पर पड़ा। यदि रैनबैक्सी को निकाल दिया जाये तो एंजेल ब्रोकिंग की समीक्षा वाली दवा कंपनियों के मुनाफे में इस दौरान 29.1% की सालाना दर से शानदार वृद्धि दर्ज की गयी। मुख्यत: सिप्ला और सन फार्मा की बेहतरीन अन्य आय के कारण सेंसेक्स की दवा कंपनियों के मुनाफे में इस दौरान साल-दर-साल 36.8% की बढ़ोतरी देखी गयी। आईसीआईसीआई डायरेक्ट का मानना है कि मुख्यत: अमेरिकी बाजार में उम्मीद से बेहतर विकास की वजह से कारोबारी साल की पहली तिमाही में दवा कंपनियों की आमदनी में साल-दर-साल लगभग 23% की दर से वृद्धि हुई।
टेलीकॉम : आइडिया ने दिया सहारा
बाजार के अनुमानों को पीछे छोड़ते हुए आईडिया ने अप्रैल-जून तिमाही में शानदार नतीजे पेश किए। इस दौरान कंपनी के एआरपीएम में तिमाही-दर-तिमाही 6.1% की वृद्धि हुई। आइडिया को निकाल दें तो बाकी टेलीकॉम कंपनियों के मुनाफे में इस दौरान साल-दर-साल 13.4% की दर से कमी आयी। एंजेल ब्रोकिंग का मानना है कि उद्योग के हालात मौजूदा कंपनियों के पक्ष में हैं, क्योंकि कंपनियों के ‘वर्चुअल कंसोलिडेशन’ की वजह से मूल्य तय करने की शक्ति फिर से इनके पास आ गयी है।
(निवेश मंथन, सितंबर 2013)