अंशुमन मैगजीन, सीएमडी, सीबीआरई (द. एशिया) :
बजट में रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए यह अच्छा कदम उठाया गया है कि 25 लाख रुपये तक के गृह कर्ज (होम लोन) पर ब्याज भुगतान के लिए एक लाख रुपये की अतिरिक्त कर छूट मिलेगी।
यह एक लाख रुपये की कर छूट ब्याज भुगतान पर मौजूदा 1.50 लाख रुपये तक की छूट के ऊपर अलग से है, जो गृह कर्ज लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध है। यह छूट उन लोगों को मिलेगी, जो एक अप्रैल 2013 से 31 मार्च 2014 के बीच गृह कर्ज लेंगे। साथ ही इसमें यह शर्त है कि खरीदे गये मकान की कीमत 40 लाख रुपये से ज्यादा न हो। हालाँकि उद्योग की माँग यह थी कि 35 लाख रुपये तक के गृह कर्ज पर अतिरिक्त छूट दी जाये। यहाँ गौर करने की बात यह है कि एक लाख रुपये की यह अतिरिक्त छूट केवल पहली बार घर खरीदने वाले व्यक्ति को ही मिलेगी और केवल एक साल के लिए मिलेगी।
अर्थव्यवस्था के लिए जो भी चीजें जरूरी हैं, उन सबकी बातें वित्त मंत्री ने इस बजट में कही हैं। लेकिन रियल एस्टेट के लिए उन्होंने कोई बड़ा कदम नहीं उठाया। उन्होंने एक तरफ सस्ते मकान पर राहत दी, तो दूसरी तरफ कहा कि 50 लाख रुपये से ज्यादा की खरीद पर टीडीएस कटेगा। साथ ही उन्होंने एक करोड़ रुपये से ज्यादा के मकान पर टैक्स 5% बढ़ा दिया।
अगर वे इस क्षेत्र को कुछ और रियायतें
देते तो अच्छा होता। जो 500-600 वर्ग फुट के मकान हैं, जिन्हें वास्तव में बिल्कुल सस्ते मकानों की श्रेणी में रखा जा सकता है, उस पर पूरी तरह कर छूट दी जानी चाहिए थी।
उन्होंने ग्रामीण आवास योजनाओं के लिए 6,000 करोड़ रुपये और शहरी आवास योजनाओं के लिए 2,000 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। इस पर अमल कैसे होगा, अभी यह स्पष्ट नहीं है। मगर यह राशि आवासीय क्षेत्र के लिए ही खर्च होगी। यह रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक पहलू है।
लेकिन अगर यह पूछें कि इस बजट में ऐसी क्या बात रही जिसके लिए रियल एस्टेट क्षेत्र इसे पाँच साल भी याद करेगा, तो ऐसा कुछ नहीं है। यह बड़ा उत्साहजनक बजट नहीं, लेकिन एक ठीक-ठाक बजट है।
दिल्ली-मुंबई बुनियादी ढाँचा गलियारा (इन्फ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर) एक सकारात्मक कदम है। यह एक बड़ी परियोजना है, जिसके तहत सात नये शहर विकसित होंगे और इसमें विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) बनेंगे। आवासीय उपनगर और औद्योगिक पार्क भी विकसित होंगे। सात राज्यों से गुजरने के चलते इसका काफी असर होगा। वित्त मंत्री ने चेन्नई-बेंगलूरु और बेंगलूरु-मुंबई औद्योगिक विकास गलियारा (इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरिडोर) की भी बात की है। इन सबसे रियल एस्टेट क्षेत्र में भी काफी नयी गतिविधियाँ शुरू होंगी।
इस बजट में बहुत सारी छोटी-बड़ी सकारात्मक बातें हैं, लेकिन कोई बड़ा धमाका नहीं है। मैं इस अर्थ में निराश हूँ कि बजट में रियल एस्टेट और खास कर आवासीय क्षेत्र के लिए कुछ ज्यादा किया जा सकता था। वित्त मंत्री को ज्यादा आक्रामक होना चाहिए था।
(निवेश मंथन, मार्च 2013)