पी के अग्रवाल, निदेशक, पर्पललाइन इन्वेस्टमेंट :
बजट मेरे हिसाब से शेयर बाजार पर ज्यादा असर नहीं डाल सका। बजट से पहले बाजार कुछ डर रहा था और वैसी कोई बात बजट में नहीं होने के चलते एक तकनीकी उछाल आयी है।
आगे सरकार किस तरह के नीतिगत सुधार करती है, इस पर सबकी नजरें रहेंगी।
इस बजट से मेरी सबसे बड़ी निराशा यह है कि इसमें आम आदमी के लिए कुछ भी नहीं था। सरकार आय कर छूट की सीमा बढ़ाना नहीं चाहती, लोगों की जेब में ज्यादा पैसे नहीं छोडऩा चाहती। फिर लोग अपनी खपत कैसे बढ़ायेंगे? बचत दर 36.8% से घट कर 30% रह गयी है। ऐसा इसीलिए है कि आम आदमी कुछ बचा ही नहीं पा रहा। महँगाई इतनी बढ़ गयी है कि जीवन निर्वाह में सब खर्च हो जाता है। यदि सरकार इस तरफ ध्यान देती तो यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी बेहतर होता।
अगर सरकार प्रत्यक्ष कर में थोड़ा डीटीसी के प्रावधानों के मुताबिक ज्यादा छूट देती तो बेहतर होता। आय कर छूट की सीमा को मौजूदा स्तरों पर बनाये रखने से केवल निराशा नहीं हुई है, बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी यह ठीक नहीं है। जब आम आदमी खपत करने की स्थिति में ही नहीं रहेगा, तो विकास दर कैसी बढ़ेगी? आपने एक तरफ उद्योगों को निवेश भत्ता दे दिया कि नयी फैक्ट्री लगायें। लेकिन क्या करेंगे फैक्ट्री लगा कर, जब उस माल की खपत ही नहीं होगी? बेशक उत्पाद (एक्साइज) और सीमा (कस्टम) शुल्क में इजाफा नहीं किया गया। इसीलिए मै कह रहा हूँ कि सरकार ने सिर्फ उद्योगों को ही राहत दी, आम आदमी के लिए कुछ भी नहीं किया।
अर्थव्यवस्था में पूँजी निवेश को बढ़ाने के लिए उद्योगों को निवेश भत्ता देने की बात कही गयी है। मुझे नहीं लगता कि इसका ज्यादा असर होगा। उद्योग तब तक नया संयंत्र नहीं लगाते, जब तक कि उनकी मौजूदा क्षमता का पूरा इस्तेमाल न हो जाये। जब पहले से ज्यादा उत्पादन क्षमता खाली पड़ी है, तो केवल निवेश भत्ता घोषित होने के चलते नयी परियोजना शुरू नहीं हो जायेंगी। संभव है कि अभी जो परियोजनाएँ चल रही हों या जिन कंपनियों ने पहले से योजना बना रखी हो, वे भत्ता लेने के लिए अपनी गति थोड़ी तेज कर दें। लेकिन मुझे नहीं लगता कि सिर्फ निवेश भत्ता लेने के लिए कोई कंपनी नयी परियोजना शुरू करेगी।
बजट के बाद घरेलू शेयर बाजार ने छोटी अवधि में एक वापस उछाल (पुलबैक) की कोशिश की है। लेकिन यह वापस उछाल ज्यादा समय तकटिकती नहीं दिख रही है। जिस तरह निफ्टी ने जनवरी में 6100 से गिरावट देखी थी, उसके चलते एक स्तर पर इसमें वापस उछाल आना जरूरी था। जब बाजार यह वापस उछाल पूरी कर लेगा, तब यह दोबारा नीचे की ओर जाना शुरू कर देगा।
नीचे की ओर निफ्टी का लक्ष्य 5500-5550 के आसपास हो सकता है, क्योंकि इन्हीं स्तरों से निफ्टी ऊपर 6100 तकगया था। एक बार यह उस स्तर को छू लेगा। क्या निफ्टी 5500 को भी तोड़ कर और नीचे जायेगा या नहीं और कितना नीचे जायेगा यह कहना अभी मुश्किल है। वास्तव में यह बाजार की उस समय की स्थिति पर निर्भर करेगा। अगर निफ्टी 5500 से नीचे जाता है, तो अगला लक्ष्य 5300-5350 का होगा, जहाँ से सितंबर 2012 में बाजार ने ऊपर जाना शुरू किया था। ऊपर जाते समय बाजार ने जो स्तर देखे थे, वही स्तर नीचे जाते समय भी बाजार को सहारा देंगे।
मैंने जनवरी में ही कहा था कि इस साल कोई नया ऐतिहासिक उच्च स्तर नहीं बनेगा और जनवरी में 6100 पर ही शिखर बनेगा। ठीक वैसा ही हुआ। आगे इस साल अगर निफ्टी 5500 के आसपास से पलट कर ऊपर की ओर जाता भी है तो 6300 से ऊपर नहीं जा पायेगा।
हमारी रणनीति यह होती है कि लंबी अवधि के निवेश पोर्टफोलिओ में ज्यादा बदलाव नहीं करेंं और सिर्फ चुनिंदा अच्छे शेयरों को रखेंं। ऐसे शेयरों को बाजार में गिरावट आने पर धीरे-धीरे खरीदें और अपनी नजरिया लंबी अवधि रखें। अगर चुनिंदा शेयरों को अपने पोर्टफोलिओ में 5 से 10 साल तक की अवधि के लिए रखने पर एक बड़ी संपदा बनाने का अवसर मिलेगा। दूसरी ओर कारोबारी (ट्रेडिंग) पोर्टफोलिओ में बाजार परिस्थितियों के अनुसार कारोबार करते रहें। कारोबारी और निवेश पोर्टफोलियो को अलग-अलग रखें। इसमें भ्रम की स्थिति न पैदा करें।
निफ्टी जब 5500-5550 के आसपास रहे, तो उस समय लंबी अवधि के पोर्टफोलिओ में अच्छे और सस्ते शेयरों को चुन कर डालें। इसके लिए मुझे बैंक, ऑटो और हाउसिंग या हाउसिंग फाइनेंस सबसे बेहतर लग रहे हैं। इन क्षेत्रों से संबंधित दिग्गज कंपनियों के शेयर आपके पोर्टफोलियो में जरूर होने चाहिए। इसके अलावा लंबी अवधि के लिए एफएमसीजी, इन्फ्रास्ट्रक्चर, कैपिटल गुड्स और आईटी भी रखे जा सकते हैं। मुझे निजी बैंकों में एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक, पीएसयू बैंकों में एसबीआई, कैपिटल गु्ड्स में एलएंडटी, आईटी में टीसीएस और इन्फोसिस, जबकि ऑटो में मारुति और टाटा मोटर्स के शेयर अच्छे लगते हैं।
(निवेश मंथन, मार्च 2013)