राजीव रंजन झा :
निवेश मंथन के अगस्त अंक में मैंने लिखा था कि खतरे का निशान तो 5178 पर ही है। मैंने कहा था, ‘अगर यह 6339-5178 की 23.6% वापसी के स्तर 5452 को तोड़ कर नीचे आने लगे तो यह कमजोरी बढऩे का साफ संकेत होगा। वैसी हालत में 5178 अगला स्वाभाविक लक्ष्य तो होगा ही, और उसके नीचे चले जाने पर भी कोई आश्चर्य नहीं होगा।‘
अगस्त के पहले हफ्ते में ही निफ्टी ने खतरे का यह निशान छूना शुरू कर दिया और जब यह स्तर पक्के ढंग से टूटा तो निफ्टी अगस्त के आखिरी हफ्ते में लगभग 4700 के स्तर तक फिसल गया। अमेरिकी बाजार के बुरी तरह टूटने के चलते भारतीय बाजार 5 अगस्त को एक बड़े अंतराल की गिरावट के साथ खुला था। उस दिन सुबह शेयर मंथन (222.ह्यद्धड्डह्म्द्गद्वड्डठ्ठह्लद्धड्डठ्ठ. द्बठ्ठ) में मैंने राग बाजारी नाम से ही अपने दैनिक स्तंभ में लिखा था, निफ्टी अभी पिछले 7 सालों से सहारा देती रुझान रेखा के नीचे है। अगर यह वापस इस रेखा के ऊपर चला गया, तब तो संकट के टलने की उम्मीद बनेगी। लेकिन इस रेखा के नीचे अटक जाने पर लगभग तय मानें कि अगली गिरावट में 5178 का समर्थन स्तर नहीं बच पायेगा। निफ्टी के लिए 7 सालों की रुझान के ऊपर लौट पाना संभव नहीं हो पाया। इसने अगले 4-5 दिनों तक 5178 के समर्थन स्तर को बचाने की नाकाम कोशिश की। उसके बाद यह सीधे फिसल कर अगस्त के अंतिम हफ्ते में 4700 तक गिर गया।
इस गिरावट में निफ्टी ने थोड़ी देर के लिए 4800 के पास सहारा लिया। यह एक दिलचस्प मुकाम था। दरअसल 4800 के लक्ष्य की चर्चा मैंने फरवरी में की थी। मैंने शेयर मंथन में सात फरवरी की सुबह लिखा था, ‘अगर निफ्टी 5300-5250 से नीचे फिसला तो 25 मई 2010 की तलहटी 4786 ही इसके लिए अगला बड़ा सहारा होगी। फिलहाल, बाजार तेजी से वापस सँभलने के लिए भी तैयार रहें और करीब 4800 का स्तर देखने के लिए भी।‘ उस समय निफ्टी करीब 5400 के आसपास था। फिर मार्च में भी जब बाजार डगमगाया था तो 21 मार्च को मैंने लिखा था, ‘मुझे 5200 के नीचे जाने पर 4800 दिखता है।‘
लेकिन अगस्त के पहले हफ्ते में मुझे बाजार के हर कोने से 4800 का ही लक्ष्य सुनाई पडऩे लगा। इसीलिए मैंने आठ अगस्त को लिखा कि ‘लगभग 4800 का लक्ष्य लगभग हर किसी के सामने है। बाजार सबके लक्ष्य को इस तरह नहीं मान लेता! यह कुछ तो अलग करेगा, लेकिन क्या? शायद 4800 तक न गिरे। या फिर उससे कहीं ज्यादा गिरे।‘
हालाँकि 19 अगस्त को निफ्टी ठीक इसी स्तर के पास 4796 तक गिरने के बाद पलटा, लेकिन शुक्रवार 26 अगस्त को यह 4720 तक गिर गया और अगले दिन सोमवार 29 अगस्त को एकदम तीखे ढंग से पलट कर 4900 के ऊपर निकल गया। इस संभावना के बारे में मैंने 25 अगस्त को ही लिखा था, ‘अगर बाजार को लगभग इन्हीं स्तरों से पलटना भी है, तो उससे पहले बाजार लोगों को एक बार डरायेगा और जब सब लोग काफी नीचे के स्तरों की बात करने लगेंगे, तब यह पलट जायेगा।‘ ऐसा ही हुआ, 26 अगस्त की शाम लोग निफ्टी 4500 तक गिरने की बातें करने लगे थे। जब पूरे बाजार में डर छा गया तो अगले दिन बाजार ने पलटी मार ली। छकाना और किसे कहते हैं!
खैर, बाजार अब आगे क्या करने वाला है? इसके संकेतों की कुछ चर्चा मैंने शनिवार 27 अगस्त को ही शेयर मंथन पर की है। निफ्टी के नवंबर 2010 से अब तक के चार्ट को देखें। इसमें एक निचली गिरती पट्टी बनती दिख रही है। इस पट्टी की ऊपरी रेखा को आपने राग बाजारी में कई बार देखा है। यह दरअसल नवंबर 2010, जनवरी 2011 और अप्रैल 2011 के शिखरों को छूती रुझान रेखा है। जुलाई में भी निफ्टी को इसी रेखा पर बाधा मिली। इसके बाद अगस्त के अंतिम हफ्ते में निफ्टी ने इस पट्टी की निचली रेखा के एकदम पास आ कर पलटने की कोशिश की है। इस संरचना को देख कर मैंने शनिवार 27 अगस्त को लिखा, ‘एक उम्मीद यह है कि शायद इस निचली रेखा से पलट कर निफ्टी फिर से पट्टी की ऊपरी रेखा की ओर जाने की कोशिश करे।‘
इस पट्टी की ऊपरी रेखा को फिर से छूने की कोशिश का मतलब होगा निफ्टी का करीब 5400-5500 तक जाना। यह रेखा सितंबर के अंत में करीब 5500 पर होगी और अक्टूबर के अंत तक करीब 5400 पर। इससे पहले निफ्टी ने इस पट्टी की निचली रेखा से ऊपरी रेखा तक जाने में फरवरी के दूसरे हफ्ते से अप्रैल के पहले हफ्ते तक, यानी करीब पौने दो महीने का समय लिया था। अगर यह फिर से ऊपरी रेखा तक जाने में करीब डेढ़-दो महीने का समय लगाये, तो इसे 5400-5450 पर ही इस रेखा के चलते फिर से बाधा मिलेगी। हालाँकि उस मुकाम पर अगर बाजार ने इस बाधा को पक्के तौर पर पार कर लिया तो यह नवंबर 2010 से चले आ रहे दबाव के खत्म होने का इशारा होगा, क्योंकि यह इस गिरती पट्टी से ऊपर निकल जायेगा। वहाँ से एक विस्फोटक तेजी भी दिख सकती है, वैसे यह उस समय की घरेलू और वैश्विक स्थितियों पर निर्भर होगा। इतना ध्यान रखें कि भविष्य में कभी भी निफ्टी का 5740 के ऊपर जाना 6339 के पिछले ऐतिहासिक शिखर को पार करने की दिशा में पहला संकेत होगा।
दूसरी ओर, अगर पट्टी की निचली रेखा से ऊपरी रेखा तक जाते समय इसका सफर बीच में ही टूट जाये, मतलब यह करीब 5100-5200 के आसपास तक ही जा कर नीचे आने लगे तो क्या होगा? वैसी स्थिति में दो संभावनाएँ बनेंगी। पहली यह कि निफ्टी फिर से निचली रेखा के आसपास तक आने के बाद दोबारा ऊपर की चाल पकड़े। ऐसी चाल में काफी दम हो सकता है और वह चाल दूर तक जा सकती है।
दूसरी संभावना यह होगी कि निफ्टी निचली रेखा को निर्णायक ढंग से काट कर नीचे फिसल जाये। ऐसे में निफ्टी इस गिरती पट्टी से भी नीचे चला जायेगा। यह स्थिति बाजार के लिए ज्यादा बड़ी कमजोरी का सबब बन सकती है। हमें निफ्टी की हाल की गिरावट के चार्ट पर भी नजर डालनी चाहिए। निफ्टी जुलाई के ऊपरी स्तर 5740 से अगस्त के अंतिम हफ्ते में 4720 तक फिसला। इस गिरावट की 23.6% वापसी का स्तर 4961 पर है जो अब एक सहारे का काम करेगा। इसके ठीक ऊपर हमें 20 दिनों का सिंपल मूविंग एवरेज (एसएमए) 5055 पर दिख रहा है। इसके आगे 32.8% वापसी 5110 पर है। इस गिरावट की 50% वापसी 5230 और 61.8% वापसी 5351 पर है।
अब नवंबर 2010 के शिखर 6339 से ताजा तलहटी 4720 की वापसी देखें तो 23.6% वापसी 5102 पर है। इसके बाद 38.2% वापसी 5338 पर है। ध्यान देने की बात यह है कि इसमें 61.8% का महत्वपूर्ण स्तर 5720 पर है, जो जुलाई के शिखर के पास ही है।
इन बातों से यह संकेत लिया जा सकता है कि निफ्टी को आगे 5100-5110 के दायरे में, फिर 5230 के आसपास और फिर 5340-5350 के आसपास बाधा मिल सकती है। ध्यान दें कि इसका 50 दिनों का सिंपल मूविंग एवरेज (एसएमए) 5356 पर है। छोटी-मध्यम अवधि में दबाव से बाहर आने के लिए जरूरी होगा कि निफ्टी इन बाधा स्तरों को पार करे और उसके बाद नवंबर 2010, जनवरी 2011, अप्रैल 2011 के शिखरों को मिलाती रुझान रेखा के ऊपर जा कर टिक सके। यही रेखा अगले 1-2 महीनों में 5400-5500 तक के लक्ष्य दे रही है। और फिर 100 दिनों का एसएमए भी अभी 5469 पर है।
एसबीआई : हो गयी गिरावट पूरी?
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का 19 जनवरी 2011 का बंद स्तर 2502 का था। तब इसके बारे में शेयर मंथन के राग बाजारी में 20 जनवरी 2011 की सुबह कहा गया था कि %अगर इसने 2494 के समर्थन स्तर को तोड़ दिया तो यह 80% वापसी के स्तर 2193 तक गिर सकता है।Ó हालाँकि साथ ही यह भी लिखा गया था कि एसबीआई अगर 2550 के ऊपर टिक सका, तो 2689 और 2884 तक चढऩे की उम्मीद रहेगी। उस समय एसबीआई ने 2494 स्तर को थोड़े से अंतर से तोडऩे के बाद तुरंत सहारा पा लिया। इसने 20 अगस्त को 2463 की एक तलहटी बनायी, लेकिन और वहाँ से पलट गया और अंत में 2535 पर बंद हुआ। अगले ही दिन इसने 2550 को भी बड़े अंतर से पार किया और 31 मार्च को 2889 के ऊँचे स्तर पर नजर आया। इस दौरान यह हर उतार-चढ़ाव में 2494 से कुछ ऊपर ही सहारा पा कर लौटता रहा। लेकिन यह मजबूत सहारा टूटा 17 मई के उस निर्णायक दिन, जब तिमाही नतीजों में लगभग सारा मुनाफा एकदम सफाचट हो जाने के सदमे ने इस शेयर को सीधे 2627 से 2401 पर पटक दिया। उसके बाद की कमजोरी के बाद इसने जुलाई में वापसी की अच्छी कोशिश की, लेकिन 2494 की सीमा रेखा को निर्णायक ढंग से पार नहीं कर पाया। यह 2515, 2530 जैसे स्तरों तक जाने के बाद फिर से फिसल गया और वहाँ से आयी गिरावट ने इसे फरवरी 2010 के निचले स्तर के पास ला कर पलट दिया। इसने पाँच फरवरी 2010 को 1863 की तलहटी बनायी थी और हाल में 26 अगस्त 2011 को यह 1867 तक गिरने के बाद थोड़ा सँभला।
यह स्तर एसबीआई के लिए काफी बड़े सहारे का काम कर सकता है। दरअसल इस स्तर के टूटने का मतलब यह होगा कि एसबीआई वापस करीब 1400 के स्तरों की ओर लौटने वाला है। लेकिन क्या 3515 के शिखर से घट कर लगभग आधा रह जाने के बाद क्या और 400-450 रुपये की गिरावट की संभावना बाकी बचती है? अगर घरेलू और वैश्विक मोर्चे पर कोई बिल्कुल नयी आपदा न आ जाये तो ऐसा होने की संभावना कम माननी चाहिए। लेकिन ऐसा होने का यह भी मतलब निकलेगा कि एसबीआई और उसके साथ-साथ शायद सेंसेक्स-निफ्टी भी मई 2009 की उछाल से पहले की स्थिति में लौट जायेंगे। अगर दोहरी मंदी के बोझ से दुनिया भर के बाजार टूट ही जायें तो कुछ नहीं कहा जा सकता। वैसी हालत में तो एसबीआई 1400 पर और निफ्टी 3800 पर दिख ही सकते हैं। लेकिन फिलहाल यह सोचना वाजिब है कि एसबीआई और निफ्टी दोनों ही बड़े मजबूत सहारे से वापस पलटने की कोशिश कर रहे हैं।
एसबीआई फरवरी 2010 के निचले स्तर से चल कर आठ नवंबर 2010 को 3515 के शिखर तक चढ़ा था। इस उछाल की 80% वापसी 2193 पर और 61.8% वापसी 2494 पर है। अगर इसे 1860-70 के स्तरों से सहारा लेने के बाद केवल एक वापस उछाल ही दर्ज करनी हो, तो भी अगले कुछ हफ्तों में यह इन स्तरों तक चढ़ सकता है। अगर इसने 2494 का स्तर और उसके ठीक ऊपर बनी एक लाल रेखा को भी पार कर लिया तो यह इसके लिए काफी सकारात्मक संकेत होगा। दरअसल यह लाल रेखा 04 जनवरी 2008 के शिखर 2428 और 20 अक्टूबर 2009 के शिखर 2499 को मिलाती रुझान रेखा है। इन स्तरों को पार करना एसबीआई के लिए दबाव के दौर बाहर आने का साफ संकेत होगा। तब आप आगे चल कर 2689 और 2884 का लक्ष्य रख सकते हैं। और हाँ, भविष्य में जब भी एसबीआई 3125 को पार करने में सफल होगा, तब आप 3515 के लक्ष्य की बात फिर से सोच सकते हैं।
(निवेश मंथन, सितंबर 2011)