महँगाई के मोर्चे पर राहत की खबर है। अक्टूबर 2016 में थोक महँगाई दर यानी डब्ल्यूपीआई घट कर चार महीने के निचले स्तर 3.39% पर आ गयी है। सितंबर में भी थोक महँगाई दर घट कर 3.57% रही थी। वहीं अगस्त की थोक महँगाई दर 3.74% से संशोधित हो कर 3.85% कर दी गयी है। खुदरा महँगाई दर अक्टूबर में 4.3% से घट कर 4.2% रही है जो 14 महीनों का सबसे निचला स्तर है। सबसे ज्यादा राहत दालों की महँगाई से मिली है, जो सितंबर के 14% से गिर कर अक्टूबर में 4% के करीब आ गयी है।
अक्टूबर नें थोक खाद्य महँगाई दर भी घट कर 7 महीनों के निचले स्तर पर आ गयी है। मासिक आधार पर अक्टूबर में खाद्य महँगाई दर 5.75% से घट कर 4.34% रही है, जबकि प्राथमिक वस्तुओं की महँगाई दर 4.76% से घट कर 3.31% और ईंधन की महँगाई दर 5.58% से बढ़ कर 27 महीनों के उच्चतम स्तर 6.18% पर रही है। मासिक आधार पर अक्टूबर में मूल (कोर) खुदरा महँगाई दर 4.8% के मुकाबले 4.9% रही है। मासिक आधार पर अक्टूबर में खुदरा खाद्य महँगाई दर 3.8% से घट कर 3.2% रही है। मासिक आधार पर अक्टूबर में शहरी इलाकों की महँगाई दर 5.18% से घट कर 5.15% रही है, जबकि ईंधन, बिजली की महँगाई दर 3.07% से घट कर 2.8% रही है।
बैंकों ने जमा दरें घटायीं
नोटबंदी का असर बैंकों की ब्याज दरों पर भी दिखने लगा है। एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और पंजाब नेशनल बैंक ने जमा पर दरों में कटौती की है। एसबीआई ने एक से तीन साल तक की जमा दरों में 0.15% कटौती की। जमा की नयी दरें 6.5-6.9% हो गयी हैं। बैंक ने थोक (बल्क) जमा (1 करोड़ रुपये से अधिक की जमा) की दरों में 0.25% कटौती की। इस कटौती के एक हफ्ते बाद एसबीआई ने फिर थोक जमा दरों में 1.50% की कटौती की।
अब एसबीआई में 1-10 करोड़ रुपये जमा करने पर 1.5 से 2% तक कम ब्याज मिलेगा। आईसीआईसीआई बैंक ने खुदरा जमा की दर 0.50% घटायी है। बैंक ने एक करोड़ रुपये से कम की रकम जमा करने पर दरें घटायी हैं। एचडीएफसी बैंक ने थोक जमा पर 0.50% तक ब्याज दरें घटायी हैं। बैंक ने 3-5 साल की थोक जमा पर दरें 6.5% कर दी हैं, जबकि एक साल की थोक जमा पर दर 7% से घटा कर 6.75% कर दी है। पीएनबी ने भी चुनिंदा खुदरा जमा की दरें 0.10-0.25% तक घटायी हैं।
काला धन पर स्विट्जरलैंड से बड़ा समझौता
भारत ने काला धन पर जानकारियाँ साझा करने के लिए स्विट्जरलैंड से समझौता कर लिया है। समझौते के मुताबिक 2018 के बाद स्विस बैंकों में जो भी राशि जमा होगी, उसकी जानकारी 2019 में भारत को मिल जायेगी। इसका मतलब यह भी है कि 2018 तक के लेन-देन की जानकारी नहीं मिलेगी। यानी स्विस बैंकों में काला धन जमा करा चुके भारतीयों को अपना पैसा निकाल कर उसे %सुरक्षित’ जगहों पर ले जाने के लिए लगभग दो साल का वक्त मिल गया है।
आदित्य बिड़ला समूह का स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में प्रवेश
आदित्य बिड़ला फाइनेंशियल सर्विसेज ने आदित्य बिड़ला स्वास्थ्य बीमा के नाम से अपनी एकल स्वास्थ्य बीमा इकाई शुरू की है। नयी कंपनी के सीईओ अजय श्रीनिवासन हैं। इस कंपनी में आदित्य बिड़ला समूह की 51% और एमएमआई होल्डिंग्स की 49% हिस्सेदारी है। आदित्य बिड़ला स्वास्थ्य बीमा के तहत लोगों को इस सेवा के साथ जोडऩे की कोशिश होगी और लोगों को बेहतर स्वास्थ्य बीमा का फायदा मिलेगा।
सरकार ने जीएसटी मॉडल कानून का संशोधित मसौदा जारी कर दिया है। सरकार ने दावा किया है कि इस मसौदे में उद्योग की चिंताओं का ध्यान रखा गया है। जीएसटी परिषद नये मसौदे पर अंतिम फैसला लेगी।
सूत्रों के मुताबिक नये मसौदा कानून में करीब 200 खंड होंगे। नये मसौदे में मुनाफाखोरी पर लगाम, माल एवं सेवा की परिभाषा, आपूर्ति श्रृंखला के मूल्याँकन जैसे जटिल मुद्दों को शामिल किया गया है। भारत सरकार के राजस्व सचिव हँसमुख आढिय़ा ने ट्वीट कर इस बारे में जानकारी दी है। जीएसटी मॉडल कानून का संशोधित मसौदा ष्ड्ढद्गष्.द्दश1.द्बठ्ठ, स्रशह्म्.द्दश1.द्बठ्ठ, द्दह्यह्ल.द्दश1.द्बठ्ठ में अपलोड किया गया है। इससे पूर्व नवंबर महीने की शुरुआत में जीएसटी परिषद ने चार-स्तरीय कर ढाँचे को अंतिम रूप दिया।
परिषद ने आम सहमति से जीएसटी के लिए 5%, 12%, 18% और 28% की दरें तय की हैं। परिषद की इस बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि सरकार तय समय सीमा में जीएसटी लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। उनके मुताबिक 12% और 18% जीएसटी की मानक दरें होंगी। वित्त मंत्री ने कहा कि आम आदमी के इस्तेमाल के अनाज पर कोई कर नहीं होगा।लग्जरी कार और तंबाकू उत्पादों पर 28% की दर से जीएसटी के साथ अधिभार भी लगेगा। सीपीआई में शामिल 53% उत्पादों पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। ज्यादा खपत वाले उत्पाद पर 5% टैक्स लगेगा। श्री जेटली ने कहा कि सोने पर टैक्स रेट का फैसला बाद में लिया जायेगा। इस कर ढाँचे पर अभी संसद की मंजूरी लेनी होगी।
(निवेश मंथन, दिसंबर 2016)