वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी मॉर्गन स्टेनले का अनुमान है कि भारत में खुदरा महँगाई अभी और कम होगी तथा मार्च 2017 तक यह 4.5 से 4.75% के दायरे में रहेगी। उसका मानना है कि महँगाई में नरमी के मद्देनजर भारतीय रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दर में इसी वित्त वर्ष के दौरान 0.25 से 0.5% तक की और कटौती कर सकता है। कंपनी की एक शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2017 को समाप्त होने वाली तिमाही की खुदरा महँगाई (सीपीआई) के बारे में हमारा अनुमान 4.5 से 4.75% है।
यह रिजर्व बैंक के 5% के अनुमान से कम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक ने वास्तविक ब्याज दर 1.25% रखने का जो लक्ष्य रखा है, उससे हमें लगता है कि मार्च 2017 तक नीतिगत दर में 0.25 से 0.50% तक की कटौती की जा सकती है।
बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफा-एमएल) की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि फरवरी और अप्रैल में केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों में 0.25%-0.25% की कटौती कर सकता है। बोफा-एमएल ने कहा कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक के पिछले सप्ताह आये विवरण से केंद्रीय बैंक के आगामी महीनों में नरम रुख अपनाने का संकेत मिलता है। नोट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक अप्रैल में नीतिगत दरों में 0.25% की कटौती कर सकता है। उससे पहले वह 7 फरवरी की मौद्रिक बैठक में भी ब्याज दरों में 0.25% की कटौती कर सकता है।
जुलाई-सितंबर में घरों की बिक्री 12% बढ़ी
ऑनलाइन रियल एस्टेट पोर्टल प्रॉप टाइगर की एक रिपोर्ट रियल्टी डीकोडेड के अनुसार जुलाई-सितंबर की अवधि में देश के 9 प्रमुख शहरों में घरों की बिक्री 12% बढ़ कर 54,721 इकाई रही। हालाँकि, 9 प्रमुख शहरों मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलुरू, अहमदाबाद, गुरुग्राम, नोएडा और पुणे में घरों की बिक्री इससे पिछली तिमाही के 55,000 इकाई के आँकड़े से 1% कम रही। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में घरों की कुल बिक्री में मुंबई, पुणे और बेंगलुरू का हिस्सा 57% का रहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी शहरों में कीमतें सीमित दायरे में ऊपर-नीचे हुईं। सिर्फ हैदराबाद में सालाना आधार पर कीमतों में 11% की वृद्धि हुई। रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि इन शीर्ष नौ शहरों के डेवलपर्स घरों के दाम नहीं घटा रहे हैं। इसकी बजाय वे ग्राहकों को बाद में भुगतान तथा भुगतान में लचीलेपन की सुविधा दे रहे हैं। प्रॉपटाइगर.कॉम तथा मकान.कॉम के कारोबार प्रमुख (कंसल्टिंग और डेटा इनसाइट) अनुराग झांवर ने कहा, बाजार अपना आधार पा रहा है। पिछली दो तिमाहियों से बिक्री 55,000 इकाई के दायरे में है।
इक्विटी में बदला जायेगा एनपीए
इस्पात, बिजली और शिपिंग क्षेत्र के डूबे कर्ज (एनपीए) पर सरकार ने बैंकों से जान-बूझ कर कर्ज न चुकाने वाली कंपनियों पर कब्जा करने को कहा है। बैंक इन कंपनियों के कर्ज को इक्विटी में बदल पायेंगे। इन कंपनियों के संयंत्र का प्रबंधन सरकारी कंपनियों के हाथ में दिया जा सकता है। हालाँकि, जो कंपनियाँ वाकई कर्ज चुकाने में सक्षम नहीं हैं और जिनका ऋण एनपीए होने की आशंका है, उनके लिए लोन रीस्ट्रक्चरिंग का विकल्प दिया जा सकता है। यह फैसला वित्त मंत्री की अगुवाई में हुई एक बैठक में लिया गया, जिसमें बैंकों के प्रमुख और वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।
50 पीएसयू में विनिवेश को सैद्धांतिक मंजूरी
कैबिनेट ने सरकारी कंपनियों में हिस्सा बेचने से संबंधित विनिवेश प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है और आगे होने वाले विनिवेश की रूपरेखा तय कर दी है। इसके तहत 50 पीएसयू में रणनीतिक विनिवेश होगा। इस मामले में अब कंपनी दर कंपनी फैसला लिया जायेगा। नीति आयोग ने रणनीतिक बिक्री पर दी गयी रिपोर्ट में कुल 57 कंपनियों में विनिवेश का सुझाव दिया है। इन रिपोट्र्स में सूचीबद्ध पीएसयू में सरकारी शेयर 49% से भी कम करने और गैर सूचीबद्ध कंपनियों को पूरा बेच देने का सुझाव है। संवेदनशील सेक्टर को छोड़कर बाकी सेक्टर की कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी कम करने की योजना है।
व्यापार सुगमता में भारत 130वें स्थान पर
सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद व्यापार सुगमता के मामले में विश्व बैंक द्वारा जारी 190 देशों की रैंकिंग में भारत 130वें स्थान पर बना रहा। 2015 की मूल रैंकिंग में भी भारत का 130वाँ स्थान था। वैसे विश्व बैंक ने बिजली क्षेत्र में हो रहे सुधार की सराहना की है। बिजली सुविधा हासिल करने में रैंकिंग 70 से सुधर कर 26 हो गयी है। कॉन्ट्रैक्ट लागू कराने में भारत 178वें से 172वें स्थान पर आया है, जबकि विदेश व्यापार के मामले में भी भारत की रैंकिंग ऊपर आयी है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि न केवल केंद्र सरकार, बल्कि देश के तकरीबन सभी राज्य व्यापार सुगमता की दिशा में काफी सक्रिय रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन सुधारों की झलक ताजा रैंकिंग में दिखायी नहीं दे रही है। करीब 12 सुधार ऐसे हैं जो इस प्रक्रिया का हिस्सा ही नहीं बन पाये।
(निवेश मंथन, नवंबर 2016)